ज्योतिषशास्त्र : रत्न शास्त्र

पन्ना रत्न का सम्पूर्ण विवरण धारण विधि एवं उपरत्न

Sandeep Pulasttya

8 साल पूर्व

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समस्त नवग्रहों में बुध ग्रह का प्रतिनिधि रत्न पन्ना है। पन्ना रत्न एक अति प्राचीन, बहुप्रचलित एवं मूल्यवान रत्न है। ज्योतिष शास्त्र के मतानुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह निर्बल हो तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित व्यक्ति यदि पन्ना रत्न धारण कर ले तो इस प्रकार बुध ग्रह के शुभ प्रभाव को बढ़ाया जा सकता है।

पन्ना रत्न असल में एक खनिज पत्थर है। रासायनिक विश्लेषणानुसार ज्ञात है कि बैरुज जाति का यह स्टोन बेरोलियम व कोल् एवं अलमोनियम तथा आॅक्सीजन का संयुक्त मिश्रण है। इसके मणिभ प्राकृतिक रूप से अष्टभुज आकार के होते हैं। यूँ तो बैरुज स्वयं में ही एक भिन्न श्रेणी का स्टोन है परन्तु फिर भी यह पन्ना रत्न के काफी सामान है। पन्ना रत्न गहरे हरे रंग के रूप में प्राप्त होता है जबकि बैरुज स्टोन हल्का हरा अथवा हल्का नीला एवं पीले रंग का भी प्राप्त होता है। शुद्ध एवं निर्दोष पन्ना रत्न गहरे हरे रंग का एवं पारदर्शी होता है। रासायनिक गुणानुसार पन्ना रत्न में कई क्षार जैसे सोडियम पोटेशियम एवं लीथियम संत्रप्त रूप में स्थित होते हैं।

पन्ना रत्न को संस्कृत भाषा में हरितमणि अथवा मरकत अथवा अश्वगर्भ या गोरुण अथवा गरलारि आदि नामों से सम्बोधित किया जाता है। देवनागरी भाषा में पन्ना एवं बँगला भाषा में पाना नाम से सम्बोधित किया जाता है मराठी भाषा में पाँचू तथा गुजराती भाषा में पीलू नाम से सम्बोधित करते हैं। फारसी भाषा में जमुर्रद तथा अंग्रेजी भाषा में इसको एमराल्ड नाम से  सम्बोधित किया जाता है।

बैरुज स्टोन रूपरंग और प्रभाव में पन्ना रत्न के सामान ही होता है पन्ना रत्न का पूरक उपरत्न है। रत्नों के सौदागर बैरुज स्टोन को ही पन्ना रत्न बताकर आमजन को बेच देते हैं। बैरुज स्टोन  का अंग्रेजी नाम एक्वामेरीन है। हल्का हरा अथवा हल्का नीला एवं पीले रंग का एक्वामेरीन अथवा बैरुज स्टोन देखने में सुन्दर एवं शोभायमान अवश्य ही हो किन्तु गुण की दृष्टि से वह नगण्य होता है। पन्ना रत्न के उपरत्न के रूप में वहीं एक्वामेरीन अथवा बैरुज शुभ एवं लाभप्रद सिद्ध होता है जिसका रंग गहरा हरा हो। समुद्री जल जैसे रंग का यह उपरत्न पन्ना रत्न का आंशिक प्रभाव अवश्य रखता है।

असली पन्ना रत्न हरे रंग की किरणें अथवा आभा प्रसारित करता रहता है। यह रत्न लोचदार एवं वजनी तथा स्वच्छ एवं चिकना होता है। ताप सहन करने में यह हीरे और माणिक्य की तरह कठोर होता है एवं अधिक तापमान पर गर्म करने पर चटकता नहीं है। किन्तु भंगुर होने के कारण आघात पाकर टूटने की आशंका अवश्य रहती है। अँगूठी में जड़ते समय यदि पर्याप्त सावधानी न बरती जाय तो यह रत्न आघात के कारण चूर चूर भी हो सकता है।

जिस व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह निर्बल स्तिथि में हो यदि ऐसा व्यक्ति शुद्ध एवं निर्दोष पन्ना रत्न विधि विधान से धारण करे तो बुध ग्रह के प्रभाव को बलशाली बनता है किन्तु यदि यही पन्ना रत्न सदोष अथवा दूषित अवस्था का धारण कर लिया जाए तो धारक व्यक्ति के लिए अनेकों प्रकार की अशुभता एवं बाधायें उत्पन्न कर देता है। पन्ना रत्न चाहे कितने ही बड़े आकार का व मूल्यवान तथा असली ही क्यों न हो यदि सदोष है तो वह धारक के लिए संकट का कारण बन जाता है।

 

सदोष पन्ना

पन्ना रत्न के सदोष एवं अहितकर होने के कई लक्षण होते हैं जो कि निम्नवत हैं -

पन्ना सदोष होता है यदि उनमें रेखाओं का जाल हो या आभारहित हो या छोटी छोटी धारियाँ स्थित हों या रत्न में गड्ढा खुरदरापन व फीका रंग रूप लिए हो अथवा कोई एक सीधी रेखा खड़ी हो अथवा दो प्रकार के रंग हों अथवा पीले या लाल रंग के बिन्दु स्थित हों अथवा सोने या शहद के रंग के दाग धब्बे रत्न पर स्थित हों।

पीला पन्ना रत्न कदापि धारण नहीं करना चाहिए। आभाहीन गड्ढेदार एवं धारियों से युक्त पन्ना रत्न, भूलवश भी धारण नहीं करना चाहिए।

शुद्ध अवस्था में पन्ना रत्न मादकतावर्धक होता है | पन्ना रत्न से निर्मित प्याली में यदि मदिरा पान किया जाए अथवा उसमें मदिरा भर कर रख दी जाए तो मदिरा का नशा बहुत बढ़ जाता है। कितने ही राजे और नवाब इसी कारणवर्ष मदिरा की मादकता बढ़ाने हेतु पन्ना रत्न से निर्मित प्याली में मदिरापान करते थे।

आयुर्वेद शास्त्र के मतानुसार पन्ना रत्न अति श्रेष्ठ रत्न की श्रेणी में शुमार है। यह विषनाशन एवं ज्वरनाशन तथा बवासीर व सन्निपात के उपचार में अग्रिम रूप से उपयोग किया जाता है। शक्तिवर्धक के रूप में भी यह प्रयुक्त होता है। मूत्र सम्बंधित रोगों में पन्ना रत्न की भस्म का सेवन बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है।

 

पन्ना रत्न धारण विधि

अनुभवी ज्योतिषाचार्योँ के मतानुसार उत्तम फल प्राप्ति हेतु पन्ना रत्न स्वर्ण धातु की अँगूठी में धारण करना चाहिए। इस रत्न को बुधवार के दिन जब ज्येष्ठा अथवा रेवती नक्षत्र हो में धारण करना सर्वदा लाभकारी होता है। पन्ना रत्न स्वयं में ही अदभुद प्रभाव समेटे रहता है। किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से कुंडली का परीक्षण कराकर यदि कोई व्यक्ति बुध ग्रह को स्वमं के अनुकूल करने हेतु शुद्ध एवं निर्दोष पन्ना रत्न का नियमानुसार अथवा विधिवत् रूप से धारण करता है तो ऐसे व्यक्ति को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में आश्चर्यजनक रूप में सफलता की प्राप्ति होती है।

बुध ग्रह का प्रतिनिधि रत्न पन्ना अथवा एमराल्ड को धारण करने के लिए सर्वप्रथम प्रश्न उपजता है कि कितने भार अथवा रत्ती का पन्ना धारण किया जाना उपयुक्त रहेगा ? इसके लिए सर्वप्रथम अपना वजन ज्ञात कर लें | अपने वजन के दसवें भाग के भार बराबर रत्ती का शुद्ध एवं ओरिजिनल पन्ना स्वर्ण अथवा चाँदी की अंगूठी में जड़वाएं | मान लीजिये आपका वजन 70 किलो ग्राम है तब आपको सवा सात रत्ती का पन्ना रत्न धारण करना उपयुक्त रहेगा | किसी भी शुक्ल पक्ष के  बुधवार को सूर्य उदय होने के पश्चात् इसकी प्राण प्रतिष्ठा करें | अंगूठी के शुद्धिकरण एवं प्राण प्रतिष्ठा करने हेतु सबसे पहले अंगूठी को पंचामृत अर्थात दूध, गंगाजल, शहद, घी और शक्कर के घोल में डाल दें, फिर पांच अगरबत्ती बुध देव के नाम जलाए और प्रार्थना करे कि हे बुध देव मै आपका आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु आपका प्रतिनिधि रत्न पन्ना धारण कर रहा हूँ कृपया करके मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करे | तत्पश्चात अंगूठी को पंचामृत से निकालकर 108 बारी अगरबत्ती के ऊपर से घुमाते हुए "ऊँ बुं बुधाय नमः" मंत्र का जाप करे तत्पश्चात अंगूठी को विष्णु जी के चरणों से स्पर्श कराकर कनिष्टिका अंगुली में धारण करें | पन्ना धारण करने के 30 दिनों में प्रभाव देना आरम्भ कर देता है | निरंतर लाभ प्राप्ति हेतु, प्रत्येक तीन वर्षों के अंतराल के पश्चात इसका उक्त विधि द्वारा शुद्धिकरण एवं प्राण प्रतिष्ठा करते रहे |

 

कौन धारण करे ?

जो व्यक्ति लेखा जोखा सम्बन्धी बैंकिंग अथवा व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में कार्य करते हैं ऐसे व्यक्तियों के लिए पन्ना रत्न धारण करना अतिहितकारी सिद्ध होता है। गर्भवती स्त्री यदि पन्ना रत्न धारण करे तो प्रसवकाल में अथवा प्रसव वेदना में अधिक कष्ट नहीं होता। प्रेत आत्माओं के प्रकोप से बचाव करने में पन्ना रत्न अत्यधिक प्रसिद्ध है। यही नहीं पन्ना रत्न धारक व्यक्ति जिस किसी के भी समीप जाता है तो सामने वाला व्यक्ति भी उसके अनुकूल अथवा वशीभूत  होकर सहमति प्रकट करने लगता है। न्यायालय के न्यायिक कार्यों की सिद्धि में अथवा न्यायाधीश को प्रभावित करने में पन्ना रत्न विशेष सक्षम माना गया है। प्रेम सम्बन्धों को मजबूत व अटूट बनाने में भी यह रत्न प्रसिद्ध है। पति पत्नी अथवा प्रणयी युगल यदि प्रेम का वास्तविक आनन्द प्राप्त करना चाहते हैं तो पन्ना रत्न धारण करें। इसमें विशेष तथ्य यह है कि यदि प्रणयी युगल अथवा दम्पति में से किसी एक पक्ष का प्रेम अथवा आकर्षण दूसरे पक्ष के प्रति किसी भी कारण से यदि घट जाता है तो दूसरे पक्ष की अँगूठी का पन्ना रत्न स्वतः ही निष्काम अथवा निष्प्रभावी हो जाता है।

 

असली व नकली पन्ना रत्न की जांच विधि

रत्नो के सौदागर इस पन्ना रत्न के सौदे में बहुत जालसाजी करते हैं अतः खरीदने के पूर्व किसी अनुभवी विशेषज्ञ से इसका उचित प्रकार परिक्षण करा लेना चाहिए। खरीददार स्वमं भी खरीदने से पूर्व पन्ना रत्न का अग्रवर्णित परीक्षण करके असली नकली की पहचान कर सकता है - पन्ना रत्न को गरम करें यदि चटकता नहीं तो ठीक है। उसी समय यह भी गौर करें कि इस पर कहीं तेल तो नहीं तैर रहा है ? कपड़े से खूब रगड़कर पन्ना रत्न में स्थित रेखाओं की पहचान करें, लकड़ी पर रगड़कर उसकी चमक को परखें ऐसा करे पर चमक धुंधली अथवा फीकी नहीं पड़नी चाहिए, पन्ना रत्न को गर्म कर उसमें सुई चुभो दें ऐसा करने के उपरान्त रत्न पर छिद्र का चिन्ह नहीं पड़ना चाहिए। उक्त वर्णित कुछ सरल एवं सुलभ उपायों से पन्ना रत्न के असली अथवा नकली रूप की जांच हो जाती है।

 

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