9 साल पूर्व
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार रत्न धारण करना सौभाग्यवर्धन हेतु अति श्रेष्ठ उपाय है, इस तथ्य से सहमत होते हुए भी विद्वान इस पर एकमत नहीं है कि किसे कौन सा रत्न धारण करना चाहिए। किसी का मत है, केवल निर्बल ग्रह का रत्न धारण करें एवं किसी का मत है कि, सबल ग्रह का रत्न धारण करना चाहिए। कोई कहता है, लग्न का रत्न धारण करना उचित रहेगा तो कोई लग्नेश का रत्न धारण करने की अनुशंसा रखता है। कोई मासानुसार रत्न धारण का समर्थक है तो कोई भारतीय वितंडावाद से विरत होकर, पाश्चात्य विद्वानों की सम्मति का समर्थन कर रहा है।
कौनसा रत्न पहनें ?
अनेकों ज्योतिषाचार्यों ने प्रमाणित किया है कि रत्न पहनने के लिए लग्न और प्रत्येक भाव में बैठे ग्रहों की स्थितियों के अनुसार, प्रत्येक स्तिथि से रत्न की सबलता एवं अनुकूलता का विचार करके ही पहनना चाहिए। मनीषी जनों ने अपनी सूक्ष्म विवेचना द्वारा प्रत्येक रत्न का, लग्न के साथ सम्बन्ध एवं परिणाम परखा है। तदोपरान्त उन्होंने निष्कर्ष दिया कि किस लग्न में, कौनसा ग्रह, किस भाव में रहता है एवं सम्पूर्ण कुण्डली को ध्यान में रखते हुए उक्त लग्न वाले जातक के लिए कौनसा रत्न अनुकूल एवं कल्याणकारी होगा।
विद्वानों के इस शोधपूर्ण निष्कर्ष के आधारानुसार हम संक्षेप में बारहों लग्नों के लिए धारणीय माणिक्य रत्न का प्रत्येक लग्नानुसार विवरण दे रहे हैं।
माणिक्य रत्न :
सूर्य ग्रह का प्रतिनिधि रत्न माणिक्य है। सूर्य ग्रह से लाभ प्राप्ति हेतु ज्योतिष अनुसार माणिक्य रत्न धारण किया जाता है। चूंकि रत्न धारण में लग्नों का प्रभाव अत्यधिक महत्तव रखता है; अतः माणिक्य रत्न धारण पूर्व लग्नानुसार विचार करके, उसके प्रभाव के सम्बन्ध में किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से कुंडली का विश्लेषण करा लेना चाहिए। प्रत्येक लग्न की स्थिति भिन्न होती है एवं लग्न के अनुसार ही समस्त ग्रह विभिन्न भावों का स्वामित्व प्राप्त करते हैं। अतः यदि ऐसी परिस्थिति में रत्न एवं लग्न का परस्पर मिलान एक साथ सन्तुलित रूप में नहीं हो पाता तो रत्न अहितकारी एवं प्रतिकूल प्रभाव प्रदान भी कर देता है। अतः लग्नानुसार इसे धारण करते समय यह देख लेना आवश्यक होगा कि किस लग्न में सूर्य कहाँ, किस भाव में है। उसकी स्थिति कैसी है। उसी के अनुसार रत्न धारण करना शुभ रहेगा।
मेष लग्न
माणिक्य सूर्य ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है। जिन व्यक्तियों की कुण्डली मेष लग्न की होती है उस कुंडली में सूर्य ग्रह पाँचवें भाव में स्थित होता है। पाँचवे भाव में स्थित सूर्य सन्तान सुख, आत्मज्ञान एवं बुद्धि व विवके का नियन्त्रक होता है। अतः यदि मेष लग्न वाला व्यक्ति माणिक्य रत्न धारण करता है, तो इसके प्रभाव से सूर्य ग्रह अनुकूल हो जाता है एवं माणिक्य रत्न धारक व्यक्ति को सन्तान सुख बौद्धिक विकास एवं आत्मज्ञान में वृद्धि प्रदान करता है।
वृष लग्न
वृष लग्न की कुंडली वाले व्यक्ति का सूर्य ग्रह चैथे भाव का स्वामी होता है; साथ ही लग्नेश शुक्र होता है। यूँ तो ऐसे स्थिति में माणिक्य रत्न धारण करना, सूर्य ग्रह के अनुसार शुभ होता है परन्तु शुक्र ग्रह के अनुसार उचित नहीं होता है क्यूंकि सूर्य एवं शुक्र परस्पर विरोधी ग्रह है। अतः ऐसी स्थिति में यदि वृष लग्न वाला व्यक्ति माणिक्य रत्न धारण कर लेता है तो भले ही वह सूर्य प्रबल का लाभ प्राप्त कर ले, किन्तु शुक्र की अनुकूलता का लाभ प्राप्त नहीं कर पाटा है। अतः वृष लग्न वाले व्यक्ति को माणिक्य रत्न धारण अनुकूल नहीं है। किन्तु सूर्य की महादशा के समय माणिक्य रत्न धारण कर लाभ प्राप्त किया जा सकता हैं। सूर्य की महादशा के समय में धारण किया गया माणिक्य सम्बंधित व्यक्ति को ज्ञानार्जन, भूमि लाभ एवं वाहन आदि का सुख उपलब्ध कराने में सक्षम रहेगा।
मिथुन लग्न
मिथुन लग्न वाले व्यक्ति की कुण्डली में सूर्य तीसरे भाव का स्वामी होता है व इस कारण बुध ग्रह का विरोधी होता है। अतः मिथुन लग्न वाले व्यक्ति को माणिक्य रत्न, नहीं धारण करना चाहिए।
कर्क लग्न
जिस व्यक्ति की कुण्डली कर्क लग्न की होती है उस व्यक्ति की कुण्डली में सूर्य ग्रह दूसरे भाव का स्वामी होता है। यहाँ वह धन स्थान का स्वामी और लग्नपति का मित्र होने के कारण विशेष प्रभावशाली हो जाता है। अतः यदि कर्क लग्न वाले व्यक्ति माणिक्य रत्न धारण करते हैं तो उन्हें आर्थिक समृद्धि के योग प्राप्त होते हैं। ऐसे व्यक्ति यदि किसी प्रकार के नेत्र विकार से पीड़ित होते हैं तो कष्ट मुक्त हो जाते हैं।
सिंह लग्न
जिस व्यक्ति की कुण्डली सिंह लग्न की होती है वह माणिक्य रत्न धारण कर आजीवन अनुकूल परिस्थितियाँ प्राप्त कर सकता है। सिंह लग्न वाला व्यक्ति माणिक्य रत्न धारण कर साहस, शक्ति, विवके, विजय, प्रभाव एवं धातु के सम्बन्ध में विशेष लाभ एवं अनुकूलता में वृद्धि प्राप्त कर सकता हैं।
कन्या लग्न
कन्या लग्न की कुण्डली में सूर्य की स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए कहा गया है कि ऐसे जातकों को माणिक्य धारण अनुकूल नहीं होता।
तुला लग्न
जिन व्यक्तियों की कुंडली तुला लग्न की होती है ऐसे व्यक्तियों को माणिक्य रत्न धारण करना ज्योतिष मतानुसार निषेध है। क्यूंकि तुला लग्न की कुण्डली में सूर्य एवं शुक्र ग्रह की स्थिति सम्बंधित व्यक्ति के प्रतिकूल होती है। अतः माणिक्य रत्न यदि ऐसी स्थिति में धारण kar लिया जाए तो प्रतिकूलता में वृद्धि की संभावना रहती है।
वृश्चिक लग्न
जिन व्यक्तियों की कुंडली वृश्चिक लग्न की है उनके लिए माणिक्य निश्चित ही शुभ प्रभाव प्रदाता रत्न है। अतः वृश्चिक लग्न में जन्म लेने वाले माणिक्य रत्न धारण करके मान सम्मान में वृद्धि , व्यवसाय में वाद्धि, राजदरबार की अनुकूलता, नौकरी में उन्नति आदि सफलतायें अर्जित कर सकते हैं।
धनु लग्न
माणिक्य रत्न धारण धनु लग्न की कुंडली वाले व्यक्ति को शुभ एवं अनुकूल प्रभाव प्रदान करता है। धनु लग्न के व्यक्ति को यदि पिता पक्ष से सुख, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति, सौभाग्योदय आदि की मनोकामना है तो माणिक्य रत्न धारण कर इन इच्छाओं की प्राप्ति संभव है। सूर्य की महादशा में तो इसका प्रभाव में कई गुना अधिक वृद्धि हो जाती है।
मकर लग्न
मकर लग्न की कुंडली वाले व्यक्ति को माणिक्य रत्न धारण अशुभ एवं प्रतिकूल प्रभावी होता है।
कुम्भ लग्न
कुम्भ लग्न की कुंडली वाले व्यक्ति को माणिक्य रत्न धारण ज्योतिषाचार्यों के मतानुसार निषेद्ध कहा गया है।
मीन लग्न
जिन व्यक्तियों की कुंडली मीन लग्न की होती है उनके लिए माणिक्य रत्न धारण करना अशुभ होता है; अतः ऐसे व्यक्तियों को माणिक्य रत्न नहीं धारण करना चाहिए। कुछ ज्योतिषाचार्यों के मतानुसार सूर्य की महादशा में मीन लग्न के व्यक्ति यदि माणिक्य रत्न धारण करें तो उन्हें अपने विरोधियों पर भरपूर प्रभाव जमाने अथवा विजय प्राप्त करने में सुविधा रहती है।
स्थिति चाहे जैसी भी उत्पन्न हो माणिक्य धारक में सावधानी अति महत्वपूर्ण होती है। माणिक्य रत्न के साथ हीरा, नीलम या गोमेद रत्न नहीं धारण करना चाहिए। यदि किन्ही विशेष परिस्थितियों में धारण ही करना पड़े, तो इन रत्नों की अँगूठिया एक हाथ में या पास पास न धारण की जायें। अति उचित यही रहता कि माणिक्य रत्न के साथ उसका वर्जित रत्न न धारण किया जाए।
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