8 साल पूर्व
ऋषि मुनियों द्वारा अनेकों मन्त्रों महामन्त्रों का वर्णन किया गया है | भिन्न भिन्न उद्देश्यों की कामना पूर्ती हेतु भिन्न भिन्न मंत्र दिए गए हैं | जब भी इनका जप किया जाए तो ये अपना प्रभाव अवश्य ही दिखाते हैं | किन्तु मन्त्र जप हेतु विशेष ऋतुएं, तिथियां एवं दिन निर्धारित किये गए हैं | इनके निर्धारित समय अनुसार इनका जप करना अधिक प्रभावी व फलदायी सिद्ध होता हैं, यह पाखंड न होकर पूर्णतया विज्ञान सम्मत है। निम्नवत सरल भाषा में वर्णन प्रस्तुत है :-
मन्त्रों हेतु प्रभावी व उपयुक्त - ऋतुएं
मंत्र अपनी सम्बंधित ऋतुओं के अनुसार प्रभावी होते हैं, यह पाखंड न होकर पूर्णतया विज्ञान सम्मत है। ऐसा इसलिए है क्यूंकि ऋतुओं में सक्रिय अनुकूल वायु तत्वों का प्रभाव मन्त्र जप को विशेष रूप से फलदायी बनाता है। अतः मन्त्र शास्त्रियों ने उसको भी निर्धारित कर दिया है।
वर्ष के प्रारम्भिक दो महीने चैत एवं वैसाख आकर्षण, वशीकरण हेतु उपयुक्त होते हैं, अतः इस ऋतु में वही मन्त्र फलदायक होंगे जो आकर्षण, वशीकरण के लिए निश्चित हैं। इसी प्रकार विद्वेषण के मन्त्र ग्रीष्म ऋतु जेठ व आषाढ़ माह में प्रभावी होते हैं। स्तम्भन वाले मन्त्र सावन व भादों में तथा मारण मन्त्र कुमार कार्तिक माह में विशेष प्रभावशाली रहते हैं। शान्तिकर्म वाले मन्त्रों की साधना अगहन व पूस माह में एवं पुष्टि कर्म वाले मन्त्रों का जप माघ व फागुन माह में करना चाहिए। ऋतु अनुकूल जप का प्रभाव बड़े बड़े साधकों ने अनुभव एवं स्वीकार किया है।
मन्त्रों हेतु प्रभावी व उपयुक्त - तिथियाँ
मंत्र अपनी तिथि अनुसार भी अधिक प्रभावी व फलदायी सिद्ध होते हैं। अतः मन्त्र शास्त्रियों ने उसको भी निर्धारित कर दिया है। वशीकरण हेतु सप्तमी की तिथि निर्धारित की गई है, आकर्षण के लिए तीज की तिथि निर्धारित की गई है, तेरस, उच्चाटन के लिए दूज की तिथि निर्धारित की गई है, स्तम्भन के लिए छठ की तिथि निर्धारित की गई है, स्तम्भन के लिए परवा, चौथ एवं चतुर्दशी की तिथि निर्धारित की गई है, सम्मोहन के लिए अष्टमी एवं नवमी एवं मारण के लिए पंचमी, एकादशी, द्वादशी एवं पूर्णमासी की तिथियाँ विशेष रूप से सफलता एवं फलदायक होती है।
मन्त्रों हेतु प्रभावी व उपयुक्त - दिन
मंत्र अपने दिन अनुसार भी जप करने पर अधिक प्रभावी व फलदायी सिद्ध होते हैं। अतः मन्त्र शास्त्रियों ने उनको भी निर्धारित कर दिया है। वशीकरण सम्बंधित मन्त्रों के उच्चारण हेतु शनिवार का दिन निर्धारित किया गया है, मारण सम्बंधित मन्त्रों के उच्चारण हेतु रवि, उच्चाटन सम्बंधित मन्त्रों के उच्चारण हेतु बुध, विद्वेषण सम्बंधित मन्त्रों के उच्चारण हेतु मंगल, सम्मोनहन सम्बंधित मन्त्रों के उच्चारण हेतु शुक्र, आकर्षण सम्बंधित मन्त्रों के उच्चारण हेतु बृहस्पति एवं स्तम्भन सम्बंधित मन्त्रों के उच्चारण हेतु सोमवार का दिन निर्धारित किया गया है। अपने निर्धारित दिन के अनुसार किया गया मन्त्र जप तुरन्त प्रभाव दिखाता है।
व्यक्ति के जीवन में अनेकों अभाव हैं, अनेकों प्रश्न हैं, जिन्हें वह अपनी सामर्थ्य के अनुसार तन, मन, धन लगाकर दमित करना चाहता है। किन्तु जब वह चतुर्दिक से असफल और निराश होकर थक जाता है, तब अध्यात्म की शरण लेता है। मन्त्र साधना पर उसकी आस्था सहज ही केन्द्रित हो जाती है। फिर यह तो निश्चित है ही कि यदि कोई व्यक्ति पूरी आस्था, संयम व नियम के अनुसार किसी मंत्र का जप करे तो उसे अभीष्ट सिद्धि अवश्य ही प्राप्त होगी।
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