ज्योतिषशास्त्र : हस्तरेखा एवं अंकज्योतिष

हथेली पर स्थित आठों पर्वतों के नाम उनकी स्थिति एवं फलादेश

Sandeep Pulasttya

7 साल पूर्व

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पर्वत एक प्रकार का हथेली से ऊपर की ओर उठा हुआ मांस ही है; किन्तु हस्तरेखा विज्ञान के मतानुसार यह केवल उठा हुआ मांस ही न होकर अत्यधिक महत्तव भी रखता है।

 

हस्तरेखा विज्ञान में मुख्यतः आठ पर्वत बताये गए हैं :-

(1)      गुरु पर्वत- तर्जनी के नीचे

(2)      शनि पर्वत- मध्यमा के नीचे

(3)      सूर्य पर्वत- अनामिका के नीचे

(4)      बुध पर्वत- कनिष्ठा के नीचे

(5)      ऊध्र्व मंगल पर्वत- यह हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा के बीच अंगूठे के विपरीत थपकी वाली जगह पर होता है।

(6)      शुक्र पर्वत- यह अंगूठे और जीवन-रेखा के बीच में स्थित है।

(7)      चन्द्र पर्वत- यह शुक्र पर्वत के विपरीत और थपकी वाली जगह के पास होता है।

(8)      निम्न मंगल पर्वत- यह उधर्व मंगल के विपरीत, अंगूठे की ओर होता है।

 

चन्द्र पर्वत :

चन्द्र पर्वत ईश्वर से वरदान की तरह पुरस्कृत कलाकार का संकेत है। जिस व्यक्ति के चन्द्र पर्वत स्थित होता है, वह व्यक्ति कवि, प्रकृति प्रेमी एवं अदभुद विचार शक्तिवाला होता है।

यदि चन्द्र पर्वत का उभार आवश्यक्ता से अधिक बढ़ जाए तो यह बढ़ा हुआ चन्द्र पर्वत सामान्य ज्ञान की कमी, मानसिक अव्यवस्था एवं पागलपन का प्रतीक है।

 

सूर्य पर्वत :

जिन व्यक्तियों का सूर्य पर्वत सामान्य अवस्था में हथेली पर स्थित होता है ऐसे व्यक्ति  कलात्मक रुचि वाले, सौंदर्य के प्रति प्रेम रखने वाले, परिवर्तन एवं पर्यटन से प्रेम रखने वाले, प्रसन्नचित्त एवं अभिनय की निपुणता रखने की प्रवृत्ति वाले होते हैं।

सूर्य पर्वत का उभार यदि असामान्य रूप से बढ़ा हुआ हो तो सम्बंधित व्यक्ति कला एवं सौंदर्य की दुनिया में ही डूबा रहता है, ऐसा व्यक्ति अस्वाभाविक जीवन जीता है तथा जीवन काल में अत्यंत दुःख देने वाले परिणामों की प्राप्ति करता है ऐसे व्यक्ति का अंत भी बड़ा ही दुःखद होता है।

 

मंगल पर्वत :

मंगल पर्वत जब किसी व्यक्ति की हथेली पर सामान्य अवस्था में स्थित होता है तो सम्बंधित व्यक्ति को जीवन में उद्देश्य प्राप्त करने हेतु पर्याप्त आक्रामकता प्रदान करता है। ऐसा व्यक्ति अपने जीवन के उद्देश्य प्राप्ति में आश्चर्यजनक सफलता को प्राप्त करता है। ऐसा व्यक्ति अपनी पत्नी के प्रति विशेष अनुराग रखता है एवं अच्छी पत्नी के चुनाव में विशेष आग्रहशील भी होता है।

किन्तु असामान्य रूप से बढ़ा हुआ उभार लिए हुए मंगल पर्वत सम्बंधित व्यक्ति में युद्धप्रियता, फासीवाद, तानाशाही तथा दूसरों को अनावश्यक रूप से फसाने की प्रवृत्ति का जनक होता है। ऐसा अनावश्यक रूप से बढ़ा हुआ मंगल पर्वत का उभार झगड़ों, प्रतिहिंसा, प्रतिशोध एवं बदले की भावना का मूल कारण भी बनता है।

 

बुध पर्वत :

जिन व्यक्तियों का बुध पर्वत सामान्य अवस्था में हथेली पर स्थित होता है ऐसे व्यक्ति बहुमुखी मानसिकता वाले, व्यापार क्षमता में चातुर्य, वाकपटुता और आर्थिक मामलों में चुम्बकीय आकर्षण की प्रवृत्ति रखने वाले होते हैं।

बुध पर्वत का उभार यदि असामान्य रूप से बढ़ा हुआ हो तो सम्बंधित व्यक्ति धन का अत्यधिक उन्न्मादी एवं जीवन के मुख्य मुद्दों के प्रति उपेक्षा रखने वाला होता है। ऐसे व्यक्तियों को धन में लाभ की अपेक्षा हानि पहुँचती है। सफलता भी असफलता लगती है, क्योंकि उसे निजी, पारिवारिक या सामाजिक सुख अथवा शान्ति कुछ भी नहीं प्राप्त हो पाता।

 

गुरु पर्वत :

जिन व्यक्तियों का गुरु पर्वत सामान्य अवस्था में हथेली पर स्थित होता है ऐसे व्यक्ति  अध्यात्मिक, आदर्शवादी, सच्ची व ईमानदार निष्ठा, देशभक्ति की भावना से भरपूर, राजनैतिक महत्तवाकांक्षा लिए एवं व्यापार में जोखिम उठाने वाले होते हैं।

किन्तु यदि गुरु पर्वत हथेली पर असामान्य अवस्था में स्थित होता है तो यह राजनैतिक अभिमान, अन्धविश्वास, सामाजिक दर्प एवं कला के प्रति झूंठे अभिमान का संकेत है।

 

शुक्र पर्वत :

सामान्य अवस्था में स्थित शुक्र पर्वत सम्बंधित व्यक्ति को स्वस्थ, प्रसन्न एवं हंसमुख बनाता है। ऐसे व्यक्ति का जीवन प्रसन्नता व रोमांच से भरपूर होता है एवं ऐसा व्यक्ति आकर्षक, रुचिकर एवं सुन्दर व मनोहारी होता है।

यदि शुक्र पर्वत सामान्य से अधिक बढ़ जाए तो बढ़ा हुआ शुक्र पर्वत सम्बंधित व्यक्ति के जीवन में अस्वाभाविकताएं, रोमांस, कामवासना, शराब एवं अन्त में बर्बादी का कारण बनता है।

 

शनि पर्वत :

जिन व्यक्तियों का शनि पर्वत सामान्य अवस्था में हथेली पर स्थित होता है ऐसे व्यक्ति दर्शन के प्रति प्रेम रखने वाले, पढ़ने के शौकीन, सतर्क, उत्तम विचार शक्ति व बुद्धि युक्त एवं मानवता सम्बंधित मामलों पर सोच विचार कर निर्णय लेने वाले होते हैं।

किन्तु यदि शनि पर्वत हथेली पर असामान्य अवस्था में स्थित होता है तो यह सम्बंधित व्यक्ति के रुग्ण, शक्की, अवसादग्रस्त एवं विवाद करने की प्रवृत्ति की ओर संकेत करता है।

 

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