8 साल पूर्व
कपाल के सामने की ओर का हिस्से बौद्धिक योग्यता का क्षेत्र हैं। सिर के सामने की ओर का हिस्सों का उभार जिसमें माथा भी सम्मलित है, से बौद्धिक योग्यता के गुणों के निर्दिष्ट गुण को बढ़ाता है जो इस प्रकार से हैं :
बौद्धिक योग्यता का क्षेत्र - यह सिर के सामने की ओर का हिस्सा है, जिसमें माथा भी सम्मलित है।
⇒ तकनीकी योग्यता :-
मानव कपाल के इस भाग का सही अथवा पूर्ण विकास सम्बंधित मानव में कलात्मक रुचि, पूर्णता एवं सौन्दर्य के प्रति प्रेम की प्रवृत्ति उत्पन्न करता है। किन्तु यदि कपाल के इस भाग का अत्यधिक विकास हो जाए तो यही विकास सम्बंधित मानव में अति सौन्दर्यात्मक प्रकृति का कारण बनता है। यदि मानव कपाल का यह भाग अविकसित रह जाए तो ऐसा मानव अरुचि के भाव उत्पन्न करता है।
⇒ आदर्शवाद :-
मानव कपाल के इस भाग का सही अथवा पूर्ण विकास सम्बंधित मानव में कलात्मक रुचि, पूर्णता एवं सौन्दर्य के प्रति प्रेम के भावों का जनन करता है। किन्तु यदि कपाल के इस भाग का अत्यधिक विकास हो जाए तो यही विकास सम्बंधित मानव में अति सौन्दर्यात्मक प्रकृति का संकेत करता है। यदि मानव कपाल का यह भाग अविकसित रह जाए तो ऐसा मानव भद्दी रुचि में लिप्त रहता है।
⇒ उत्कृष्टता :-
मानव कपाल के इस भाग का सही अथवा पूर्ण विकास सम्बंधित मानव में स्वाभाविक श्रेष्ठता और मानवीय कला के महान् निर्माता का सूचक है। किन्तु यदि कपाल के इस भाग का अत्यधिक विकास हो जाए तो यही विकास सम्बंधित मानव में बढ़ा-चढ़ाकर प्रशंसा करने वाले भाव व प्रवृत्ति उत्पन्न कर देता है। यदि मानव कपाल का यह भाग अविकसित रह जाए तो यह मानव में उत्कृष्टता एवं महानता के प्रति अरुचि उत्पन्न करता है।
⇒ अभिनय निपुणता :-
मानव कपाल के इस भाग का सही अथवा पूर्ण विकास सम्बंधित मानव में अभिनय एवं सामाजिक व्यक्तित्व बनाने में रुचि की प्रवृत्ति उत्पन्न करता है। किन्तु यदि कपाल के इस भाग का अनावश्यक विकास हो जाए तो यही विकास सम्बंधित मानव में जन कार्यों में अश्लीलता के भाव उत्पन्न होने का कारक होता है। यदि मानव कपाल का यह भाग अविकसित रह जाए तो यह मानव से नाट्य कला का अपमान तक करा सकता है।
⇒ हास्य व्यंग्य :-
मानव कपाल के इस भाग का सही अथवा पूर्ण विकास सम्बंधित मानव में हास्य, व्यंग, उल्लास एवं उत्साहपूर्ण चरित्र की प्रवृत्ति उत्पन्न करता है। किन्तु यदि कपाल के इस भाग का अनावश्यक विकास हो जाए तो यही विकास सम्बंधित मानव में दूसरों की खिल्ली उड़ाने की प्रवृत्ति उत्पन्न करता है। यदि मानव कपाल का यह भाग अविकसित रह जाए, तो यह मानव की गंभीर प्रकृति का सूचक है।
⇒ तर्कवाद :-
मानव कपाल के इस भाग का सही अथवा पूर्ण विकास सम्बंधित मानव में तर्क वितर्क के प्रति प्रेम की प्रवृत्ति उत्पन्न करता है। किन्तु यदि कपाल के इस भाग का अनावश्यक विकास हो जाए तो यही विकास सम्बंधित मानव में अव्यावहारिक सिद्धांतवाद के भाव उत्पन्न होने का कारक होता है। यदि मानव कपाल का यह भाग अविकसित रह जाए तो यह मानव की तर्कशक्ति और निर्णय लेने की कमी उत्पन्न करता है।
⇒ मानव प्रकृति की परख :-
मानव कपाल के इस भाग का सही अथवा पूर्ण विकास सम्बंधित मानव में दूसरे व्यक्तियों को देखते ही परख लेने की दृष्टि की प्रवृत्ति उत्पन्न करता है। किन्तु यदि कपाल के इस भाग का अनावश्यक विकास हो जाए तो यही विकास सम्बंधित मानव के छिद्रान्वेषी होने का कारक होता है। यदि मानव कपाल का यह भाग अविकसित रह जाए तो यह मानव की अन्य मानव की प्रवृत्ति को सही ढंग से न समझ पाने का कारक होता है।
⇒ विश्लेषणात्मक योग्यता :-
मानव कपाल के इस भाग का सही अथवा पूर्ण विकास सम्बंधित मानव की विश्लेषणात्मक योग्यता का सूचक है। किन्तु यदि कपाल के इस भाग का अनावश्यक विकास हो जाए तो यही विकास सम्बंधित मानव के व्यावहारिक आलोचक होने की प्रवृत्ति उत्पन्न करता है। यदि मानव कपाल का यह भाग अविकसित रह जाए तो यह मानव की निर्णय करने की योग्यता में कमी का सूचक है।
⇒ आकर्षक व्यक्तित्व :-
मानव कपाल के इस भाग का सही अथवा पूर्ण विकास सम्बंधित मानव के आकर्षक व्यक्तित्व का होने की सूचना देता है। किन्तु यदि कपाल के इस भाग का अनावश्यक विकास हो जाए तो यही विकास सम्बंधित मानव के गप्पी व्यक्ति का सूचक है। मानव कपाल का यह भाग अविकसित रह जाए तो यह मानव में अनाकर्षक व्यवहार की प्रवृत्ति का जनन करता है।
⇒ स्मरण शक्ति :-
मानव कपाल के इस भाग का सही अथवा पूर्ण विकास सम्बंधित मानव के आंकड़ों को याद रखने की शक्ति का सूचक है। किन्तु यदि कपाल के इस भाग का अनावश्यक विकास हो जाए तो यही विकास सम्बंधित मानव के व्यर्थ की बातों को याद रखने की प्रवृत्ति उत्पन्न करता है। मानव कपाल का यह भाग अविकसित रह जाए तो यह मानव की कमजोर स्मरण शक्ति का संकेत है।
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