ज्योतिषशास्त्र : वैदिक पाराशर

बुध ग्रह का द्वादश भावों में शुभ अशुभ फलादेश

Sandeep Pulasttya

7 साल पूर्व

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जन्म कुण्डली में स्थित ग्रह किसी भी जातक के जीवन शुभ अशुभ फल प्रदान कर प्रभावित करते हैं। ज्योतिषाचार्य किसी भी जातक पर ग्रहों के प्रभाव की विवेचना प्रायः दो विधियों को आधार बनाकर करते है एक तो कुण्डली में ग्रहो की जन्मकालीन स्थिति के अनुसार एवं दूसरा ग्रहो की दैनिक गोचर गति के अनुसार। जिस प्रकार किसी जातक की जन्म कुण्डली में स्थित ग्रहों का शुभ व अशुभ प्रभाव विभिन्न राशियों पर भिन्न भिन्न पड़ता है, उसी प्रकार ग्रह जन्म कुण्डली के बारह भावों के लिए प्रत्येक ग्रह का प्रभाव भी भिन्न भिन्न ही होता है।

 

निम्नवत बुध ग्रह की कुण्डली के द्वादश भावों में प्रदत्त शुभ एवं अशुभ फलादेश की विवेचना की जा रही है -

 

प्रथम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के प्रथम भाव अर्थात लग्न भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक गणित एवं ज्योतिषशास्त्र का विशेषज्ञ, सत्य वचन कहने वाला, विलासी प्रवृत्ति वाला, ईश्वर में आस्था रखने वाला, आयुष्मान, सदैव परदेश में निवास करने वाला, स्त्रियों में रत एवं अधिक खर्च करने वाला होता है।

द्वितीय भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के द्वितीय भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक सर्वगुण सम्पन्न, लेखन तथा प्रकाशन कार्य से धनोपार्जन करने वाला, लेखन कार्य में दक्ष, अच्छा वकील, पिता का आज्ञाकारी, पाप भीरू, अत्यंत सुन्दर एवं कोमल देह वाला, सत्य वचन बोलने वाला, भ्रमण में रूचि रखने वाला, मिष्ठान सेवन में रूचि रखने वाला, अधिक खर्च करने वाला एवं परदेश में निवास करने वाला होता है।

तृतीय भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के तृतीय भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक व्यवसायी, जन्म स्थल से दूर रहकर धन अर्जित करने वाला, साहसी, सामुद्रिक शास्त्र का ज्ञाता, भरे पूरे परिवार से युक्त, सद गुणों से युक्त, कुशलता पूर्वक अपने अभीष्ट कार्य सिद्ध करने वाला एवं अपने मित्रों से प्रेम करने वाला होता है। ऐसे जातक की वृद्धावस्था में सन्यास अपनाने की भी संभावना रहती है।

चतुर्थ भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के चतुर्थ भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक अपने भाई बंधुओं से प्रेम भाव रखने वाला, अनेक स्त्रियों में रत, ज्ञानी, तीव्र स्मरण शक्ति वाला, नीतिज्ञ, भाग्यशाली, स्थूल देह वाला तथा वाहन सुख का भोग करने वाला होता है।

पंचम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के पंचम भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक अपनी बुद्धि कौशल के बल पर अनेक बार लोगों को चमत्कृत कर देने वाला, स्त्री एवं पुत्रों के सुख से युक्त, सुंदर मुख मण्डल व आभा से युक्त, ईश्वर की भक्ति में लीन, पवित्र हृदय वाला,  झगड़ालू प्रवृत्ति वाला, समाज व परिवार में प्रतिष्ठित, तीव्र बुद्धि से युक्त एवं यांत्रिक विषय सम्बंधित विशेष ज्ञान रखने वाला होता है।

षष्टम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के षष्ठ भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक, लेखन एवं मुद्रण कार्य से धन अर्जित करने वाला, अभिमानी एवं विवेकी स्वाभाव वाला, क्लेश करने वाला, आलसी प्रवृत्ति वाला, शत्रुहंता, रोगी एवं दुर्बल देह से युक्त, अत्यंत कामी एवं अनेक स्त्रियों में रत रहने वाला होता है।

सप्तम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के सप्तम भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक  व्यवसाय कुशल, अनेक स्त्रियों में रत रहने वाला, उत्तम कुल में उत्पन्न स्त्री का पति, सुंदर मुख मण्डल व आभा से युक्त, ईश्वर की भक्ति में लीन, दीर्घ आयु से युक्त, उदार हृदय वाला एवं सुखी जीवन व्यतीत करने वाला होता है।

अष्टम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के अष्टम भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक  न्यायधीश, व्यवसाय के माध्यम से आजीविका चलाने वाला, सम्पादन के कार्य में दक्ष, धनवान, सत्य वचन बोलने वाला, अतिथियों का आदर सत्कार करने वाला, दीर्घ आयु से युक्त, अभिमानी स्वभाव वाला, मानसिक क्लेश से त्रस्त रहने वाला एवं धार्मिक प्रवृत्ति वाला होता है।

नवम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के नवम भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक व्यवसाय के माध्यम से आजीविका चलाने वाला, सत्पुरूषों की सेवा से लाभ अर्जित करने वाला,  भाग्यवान, स्त्री एवं पुत्रों के सुख से युक्त, सदाचारी, ज्योतिष में रूचि रखने वाला, गायन एवं संगीत कला में रूचि रखने वाला एवं धार्मिक प्रवृत्ति का होता है।

दशम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के दशम भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक अपने माता पिता एवं गुरुजनों का आज्ञाकारी, अनेक प्रकार के व्यवसायों से धन अर्जित करने वाला, वाहन आदि का सुख भोगने वाला, सत्य वचन बोलने वाला, लोकमान्य विद्वान, व्यवहार कुशल, कवित्व प्रवृत्ति वाला, न्यायप्रिय एवं जमींदार होता है।

एकादश भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के एकादश भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक छह से सात पुत्र एवं पुत्रियों का पिता, स्त्रियों के सुख से युक्त, यशस्वी, शास्त्रों का ज्ञाता, कुल का पोषण करने वाला, सुन्दर नेत्रों वाला, धनी, दीर्घ आयु से युक्त, गायन कला में रूचि रखने वाला, शत्रु पर विजय प्राप्त करने वाला एवं सफल ज्योतिषी के रूप में प्रसिद्ध होता है।

द्वादश भाव फलादेश :  किसी जातक की जन्म कुण्डली के द्वादश भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक दूसरे के धन का उपयोग करने वाला, पर स्त्री में आसक्त रहने वाला, व्यसन से रहित, धार्मिक प्रवृत्ति वाला, शास्त्रों का ज्ञाता एवं परोपकारी प्रवृत्ति वाला होता है।

 

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