ज्योतिषशास्त्र : वैदिक पाराशर

दीपावली पूजन की सरल विधि

Sandeep Pulasttya

6 साल पूर्व

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महालक्ष्मी एवं गणेशजी को दीपावली पर प्रसन्न करने की सरल पूजन विधि प्रदत्त है :-


दीपावली के दिन शुभ मुहुर्त में पूजा स्थल पर चौकी रखकर उस पर लाल कपड़ा बिछाएं | उस पर लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें | गणपति के दाहिनी ओर भगवती की मूर्ति रखें | श्री यंत्र, कौड़ी, गोमती चक्र आदि रखें | पूजन के लिए उत्तर या पूर्व की ओर मुख करके बैठें |

 

पवित्रीकरण :-

हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए जल को सिर तथा शरीर पर छिड़क लें | पवित्रता की भावना रखें-

ॐ अपवित्रः पवित्रोवा सर्वावस्थानं गतोअपिवा
यः स्मरेत पुंडरीकाक्षं स बाहयाभ्यन्तर शुचिः

 

संकल्प :-

हाथ में जल व चावल ( अक्षत ) लेकर निम्न संकल्प करें -


मैंं ........................    पुत्रु श्री .....................,   ..........  गोत्र उत्पन्न आज कार्तिक मास अमावस्या तिथि संवतं 2075 दिन बुधवारु को निज स्थान ............. पर रहकर, परिवार सहित महालक्ष्मी देवी को प्रसन्न करने के लिये तथा धनधान्य, ऐश्वर्य, कीर्ति, वैभव, सम्पत्ति, सम्पदा, प्रतिष्ठा तथा सम्मान प्राप्त करने के लिए श्री गणेश सहित माँ लक्ष्मी का पूजन करने का संकल्प लेता हूँ                 

इसके पश्चात जल व चावल जमीन पर छोड दें |
 

गणेश जी का पूजन :-

गणेशजी का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र बोलें -  

ऊँँ गजाननं भूत गणादि सेवतं  कपित्थ जम्बू  फल चारू भक्षणं
उमा सुतुंं शोक विनाशकारकं  नमामि विघ्नवेश्वर पाद पंकजं 

 

कलश स्थापना :-

लोटे में जल लेकर चौकी पर स्थापित करें | जल में साबुत सुपारी, साबुत हल्दी तथा एक सिक्का डाल दें | लोटे पर कलावा बांधें तथा रोली से स्वास्तिक बनाएं | हाथ जोड़ कर वरुण देवता का ध्यान करें |

 

ध्यान :- 

दाहिने हाथ में पुष्प लेकर भगवती लक्ष्मी का ध्यान करें मंत्र पढते हुए पुष्प को लक्ष्मी जी की मूर्ति पर चढा दें |

ऊँँ हिरण्यवर्णां सुवुर्ण रजत स्रजाम
चंद्रां हिरण्यमयीं लक्ष्मी जातवेदो म आ वह

आवाह्न के लिये पुष्प अर्पित करें |

 

आसन :- 

ऊँँ महालक्ष्मै नमः आसन समर्पयामि

आसन के लिये पुष्प अर्पित करें |

 

आचमन व स्नान :-

इसके पश्चात आचमन व स्नान के लिए जल अर्पित करें |


आचमनीयं जलं समर्पयामि

आचमन के लिए जल समर्पित करें |


स्नानं जलं समर्पयामि

आचमन के पश्चात स्नान के लिए जल समर्पित करें |

 

चरणामृत :- 

स्नान के पश्चात दूध, दही, शहद और शक्कर से चरणामृत तैयार करें तथा चरणाम्रत से स्नान कराएं | तत्पश्चात शुद्ध जल से स्नान कराएं |

 

वस्त्र, आभूषण :-

माँ लक्ष्मी को वस्त्र आर्पित करें | यदि सम्भव हो तो आभूषण भी अर्पित करें | रोली या चंदन का टीका लगाएं | धूप, दीप व अगरबत्ती जलाएं |

 

भोग :-

लक्ष्मी जी को मिठाई अथवा घर की बनी खीर व खील बताशे का भोग लगाएं |

 

आरती :-

माँ लक्ष्मी जी की आरती करें | कम से कम पॉच दीपक जलाकर घर के मुख्य स्थानों पर रखें |

 

|| लक्ष्मी माता जी आरती ||

 ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता | तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
उमा ,रमा,ब्रम्हाणी, तुम हीजग माता | सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
.ॐ जय लक्ष्मी माता....
दुर्गारुप निरंजन, सुख संपत्ति दाता | जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
तुम पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता |  कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता.... 
जिस घर में तुम रहती, सबसद् गुण आता | सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता.... 
तुम बिन यज्ञ ना होवे, वस्त्र न कोई पाता | खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता.... 
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरोदधि जाता | रत्न चतुर्दश तुम बिन ,कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
महालक्ष्मी जी की आरती ,जो कोई नर गाता | उर आंनद समाता,पाप उतर जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता | तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...

 

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