ज्योतिषशास्त्र : वैदिक पाराशर

लग्नेश की विभिन्न भावों में स्थिति

Sandeep Pulasttya

3 साल पूर्व

lagnesh-dwadash-bhav-phaladesh-predictio-lagna-lord-twelve-houses-JYOTISHSHASTRA-ASTROLOGY-HD-IMAGE

 

लग्नेश प्रथम भाव में :-

यदि लग्न का स्वामी प्रथम भाव में ही स्थित हो तो जातक सुन्दर, निरोग, धन-वैभव सम्पन्न, तथा दीर्घायु होता है। सामान्यतः जातक जीवन में सफलता प्राप्त करता है। वह विचारवान तथा विद्वान होता है परंतु यदि लग्नेश पीड़ित हो, अशुभ ग्रहों से युत या दृष्ष्ट हो तो खराब स्वास्थ्य का सूचक है। ऐसा जातक अस्थिर मानसिकता युक्त तथा अनैतिक कार्यों से युक्त होता है।

 

लग्नेश द्वितीय भाव में :-

द्वितीय भाव में लग्नेश स्थित हो तो जातक स्वपरिश्रम द्वारा धन अर्जित करता ह। वह विद्वान, शुभ प्रकृति युक्त, धार्मिक तथा समाज में सम्मानित होता है। जातक अपने कुटुम्ब जनों को चाहने वाला तथा उनका ध्यान रखने वाला होता है। ऐसा जातक व्यापार में सफल तथा दूरदर्शिता पूर्ण होता है।

यदि लग्नेश यहाँ पीड़ित हो तो जातक निष्ठुर, कामी, कुटुम्ब जनों से द्वेष रखने वाला, स्वार्थी तथा धन लोलुप होता है।

 

लग्नेश तृतीय भाव में :-

तृतीय भाव में लग्नेश की स्थिति कलात्मक विकास के लिये अति शुभ है। जातक सौभाग्यशाली, प्रसिध्द, प्रतिष्ठित, कलाकार अथवा गणितज्ञ होता है। पराशर के अनुसार जातक पराक्रम में सिंह के समान होता है। वह सामान्यतः सभी प्रकार के सुखों से युक्त, विद्वान तथा खुशहाल होगा।

यदि लग्नेश पीड़ित हो तो विपरीत परिणाम मिलते हैं। जातक में साहस तथा पराक्रम की कमी होती है।

 

लग्नेश चतुर्थ भाव में :-

चतुर्थ भाव में लग्नेश स्थित हो तो धन और समृध्दि की शुभता दर्शाता है।  कारण यह है कि लग्न भाव केन्द्र और त्रिकोण, दोनों है. चतुर्थ भाव केन्द्र भाव है।  अतः चतुर्थ भाव में लग्नेश की स्थिति राजयोग कारक है।  यह प्रसिध्दि, धन तथा विद्या का सूचक है। यह माता की समृध्दि के लिये भी शुभ है।  ऋषि पराशर के अनुसार, जातक माता-पिता सम्बन्धी सुख पूर्णता में प्राप्त करता है तथा सुख-सुविधा सम्पन्न होता है। 

 

लग्नेश पंचम भाव में :-

लग्नेश पंचम भाव में सदैव ही शुभ सूचक है। यह केन्द्र-त्रिकोण का सम्बन्ध है। यह जातक को प्रसिध्द, शासकों का प्रिय, अति विद्वान तथा कलात्मक अभिरुचि वाला बनाता है। जातक विद्वान, गुणी, परोपकार तथा मित्रों व सहयोगियों से सुख पाने वाला प्रतिष्ठित व्यक्ति होता है।

ऐसा जातक आमोद-प्रमोद व मनोरंजन का प्रेमी, संतान से सुख पाने वाला तथा यशस्वी होता है।

 

लग्नेश षष्ठ भाव में :-

षष्ठ भाव में स्थित लग्नेश यदि बलिष्ठ हो तो जातक चिकित्सा क्षेत्र अथवा सेना में उच्च पद प्राप्त करेगा। यदि लग्नेश इस भाव में अशुभ ग्रहों से युत अथवा दृष्ट हो तो स्वास्थ्य की दृष्टि से शुभ नही है। ऐसा जातक शत्रुओं से भी मुसीबतें पाता है।

यदि लग्नेश शुभ स्थिति में शुभ ग्रहों से युत तथा दृष्ट हो तो जातक स्वस्थ तथा खेलकूद के प्रति रुचि रखने वाला होगा।

 

लग्नेश सप्तम भाव में :-

लग्नेश का सप्तम भाव में होना स्वास्थ्य तथा समृध्दि के लिये शुभ है क्योंकि यहाँ से लग्नेश अपने भाव अर्थात लग्न को देखेगा। जातक सुशील  तथा ओजस्वी होता है। उसे भ्रमण तथा पर्यटन से लाभ मिलता है उसकी पत्नी सुंदर, सुशील तथा पतिपरायण होती है। पति-पत्नी में परस्पर बहुत प्यार होता है परंतु यदि लग्नेश पर पाप प्रभाव हो तो जटिल परिस्थितियाँ उन्हें पृथक रहने पर विवश कर देती हैं। ऐसी स्थिति जातक को विदेश में भटकाव भी देती है।

 

लग्नेश अष्टम भाव में :-

अष्टम भाव में लग्नेश यदि शुभ दृष्ट हो तो जातक बुध्दिमान, सदाचारी, सौम्य स्वभाव, धार्मिक तथा यशस्वी होता है। परंतु लग्नेश के अशुभ ग्रहों से युत या दृष्ट होने पर जातक गंभीर तथा असाध्य रोग से ग्रसित होता है। ऐसा जातक धन संचय लोभी तथा कृपण होता है। वह धन को ही भगवान मानता है। वह कुरूप तथा नेत्र रोगी होता है।

 

लग्नेश नवम भाव में :-

नवम भाव में लग्नेश के होने का अर्थ है केन्द्र और त्रिकोण का शुभ सम्बन्ध ऋृशि पराशर के अनुसार ऐसा जातक भाग्यशाली, लोगों का प्रिय, ईश्वर के प्रति आस्थावान, कार्य-दक्ष, प्रखर प्रवक्ता तथा क्षमाशील होता है। अपने गुणों व कार्यों से वह देश तथा विदेश में प्रसिध्द तथा समाज में मान-प्रतिश्ठा पाता है। ऐसा जातक सच्चरित्र, नैतिक गुणों से भरपूर, विनयशील व कार्यकुशल  तथा प्रतिष्ठित व्यक्ति होता है।

 

लग्नेश दशम भाव मेंं :-

दशम भाव में लग्नेश की स्थिति भी केन्द्र-त्रिकोण का शुभ सम्बन्ध बनाती है। दशम भाव कर्म से सम्बन्धित है। जातक स्व-परिश्रम द्वारा धन अर्जित करता है।  वह माता-पिता का आदर करने वाला तथा राज्य पक्ष से लाभ पाने वाला, गुरुजनों तथा देवता का भक्त होता है। ऐसा जातक विद्वान, यशस्वी तथा पिता से सभी सुख-सुविधाएं सहज ही पाने वाला होता है। वह शासकीय अनुकम्पा से युक्त, मान, पद, प्रतिश्ठा तथा उच्च्चधिकार पाने वाला होता है।

 

लग्नेश एकादश भाव में :-

लग्नेश एकादश भाव में होने से जातक धन-वैभव सम्पन्न, संतान पक्ष से सुखी तथा दीर्घायु होता है। वह गुणी, यशस्वी, विद्वान, सदाचारी तथा पिता के यश को बढ़ाने वाला होता है। मित्रों के सहयोग से उसे धन लाभ तथा सुख वैभव की प्राप्ति होती है। वह धनी, पुत्र तथा संतान का उत्तम सुख पाने वाला होता है।  लग्नेश की दशा-अन्तर्दशा में जातक उन्नति, अधिकार, धन तथा यश पाता है।

 

लग्नेश द्वादश भाव में :-

द्वादश भाव व्यय का भाव है। शुभ ग्रहों का प्रभाव यदि द्वादश भाव में स्थित लग्नेश पर हो तो जातक दान, पुण्य व परोपकार में धन का सदुपयोग करता है तथा अपने जन्म स्थान से इतर स्थान पर धन तथा यश प्राप्त करता है। अशुभ प्रभाव युक्त लग्नेश का द्वादश भाव में स्थित होना जातक को व्यर्थ के कामों से धन हानि, देह सुख में कमी तथा स्वजनों से दूर प्रवास या अलगाव देने वाला होता है। द्वादश भाव मोक्ष स्थान होने के कारण जातक आध्यात्म में रुचि लेने वाला हो सकता है।

 

नोट : अपने जीवन से सम्बंधित जटिल एवं अनसुलझी समस्याओं का सटीक समाधान अथवा परामर्श ज्योतिषशास्त्र  हॉरोस्कोप फॉर्म के माध्यम से अपनी समस्या भेजकर अब आप घर बैठे ही ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं |

नोट :  प्राण प्रतिष्ठित - एक्टिवेटिड एवं उच्च कोटि के ज्योतिष यन्त्र, वास्तु यन्त्र, परद, स्फटिक, जेमस्टोन्स, रुद्राक्ष, फेंगशुई प्रोडक्ट्स प्राप्ति हेतु  ईकॉमर्स पोर्टल   एस्ट्रोशॉपर  पर विजिट करें 

 

© The content in this article consists copyright, please don't try to copy & paste it.

सम्बंधित शास्त्र
हिट स्पॉट
राइजिंग स्पॉट
हॉट स्पॉट