ज्योतिषशास्त्र : आयुर्वेदा

हाईपरकोलेस्ट्रोलेमिया: कारण, लक्षण, निदान, रोकथाम

Sandeep Pulasttya

7 साल पूर्व

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वसा हमारे शरीर का एक अनिवार्य घटक है। यह शरीर निर्माण हेतु एक अनिवार्य तत्व है | किन्तु किसी भी चीज़ की अधिकता अथवा कमी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है | यह प्रणाली में असंतुलन को जनित करती है | वसा कोई अपवाद नहीं है।

हाईपरकोलेस्ट्रोलेमिया  एक ऐसी ही स्थिति है जिसमें शरीर की वसा, अर्थात बहुत खराब वसा आधिक्य मात्रा में रक्त प्रवाह में उपस्थित रहती है।

कोलेस्ट्रॉल - यह एक मोम जैसा, वसा जैसा पदार्थ होता है जो शरीर की सभी कोशिकाओं में उपस्थित रहता है। यह एक लिपिड है जो सभी जीवों की कोशिकाओं द्वारा निर्मित होता है और कोशिका की झिल्ली का भाग बनाता है। यह स्टेरॉइड हार्मोन और पित्त अम्ल का अग्रदूत भी है। यह अंडे, मांस, मछली एवं डेयरी उत्पादों जैसे खाद्य पदार्थों से प्राप्त किया जा सकता है।

यह स्टेरॉल प्रकार का एक यौगिक है जो शरीर के अधिकांश ऊतकों के साथ साथ रक्त एवं तंत्रिकाओं में भी पाया जाता है। कोलेस्ट्रॉल और इसके व्युत्पन्न कोशिका की झिल्लीयों के लिए महत्वपूर्ण घटक हैं एवं अन्य स्टेरॉयड यौगिकों का अग्रदूत भी है, किन्तु रक्त में उच्च सांद्रता एथेरोस्क्लेरोसिस ( धमनियाँ सख्त होना ) को बढ़ावा देते हैं। उच्च सांद्रता, आहार में मुख्यतः पशु वसा के सेवन से मिलती हैं |

मानव शरीर में ऐसे सभी कोलेस्ट्रोल निर्मित करने की क्षमता होती है जो हार्मोन, विटामिन डी और ऐसे पदार्थों को बनाने के लिए आवश्यक हैं जो हमारे भोजन को पचाने में सहायता करते हैं। यह कुछ खाद्य पदार्थों में भी उपस्थित होता हैं जिनका हम उपभोग करते हैं। कोलेस्ट्रॉल हमारे खून (प्लाज़मा) में छोटे प्रोटीन कणों के साथ सूक्ष्म रूप में भ्रमण करता है जिन्हे लिपोप्रोटींस कहते हैं जो भीतर से वसा व बाहर से प्रोटीन से बना होता है।

कोलेस्ट्रॉल सम्पूर्ण शरीर में 2 प्रकार के लिपोप्रोटीन के माध्यम से ले जाया जाता है। यह लिपोप्रोटीन, एलडीएल (कम घनत्व लेपोप्रोटीन) और एचडीएल (उच्च घनत्व लेपोप्रोटीन) हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि शरीर में इन दोनों लिपोप्रोटीन के स्तर संतुलित रहे |

 

लिपोप्रोटीन को उनके घनत्व द्वारा वर्गीकृत किया जाता है :

वीएलडीएल - बहुत कम घनत्व लिपोप्रोटीन

एलडीएल - कम घनत्व लिपोप्रोटीन

आईडीएल - इंटरमीडिएट घनत्व लिपोप्रोटीन

एचडीएल - उच्च घनत्व लिपोप्रोटीन

 

एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को 'खराब कोलेस्ट्रॉल' नाम दिया गया है | एलडीएल के उच्च स्तर से धमनियों में कोलेस्ट्रॉल का निर्माण होता है। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का ऊंचा स्तर एथेरोस्क्लेरोसिस ( धमनियाँ सख्त होना ) एवं कोरोनरी हृदय रोग के बढ़ते जोखिम के साथ जुड़ा हुआ है।

एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को 'अच्छा कोलेस्ट्रॉल' नाम दिया गया है | एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर प्रकृति में सुरक्षात्मक हैं। यह शरीर के अन्य भागों से कोलेस्ट्रॉल को वापस यकृत ( लिवर ) तक ले जाता है। यकृत शरीर से कोलेस्ट्रॉल को समाप्त कर देता है |

 

हाईपरकोलेस्ट्रोलेमिया

हाईपरकोलेस्ट्रोलेमिया का अर्थ है 'रक्त में कोलेस्ट्रॉल की उच्च मात्रा' यह 'उच्च रक्त लिपिड्स' और हाइपरलिपोप्रोटीनीमिया का एक रूप है। खून में एलडीएल का उच्च स्तर आहार, मोटापा, पारिवारिक हाईपरकोलेस्ट्रोलेमिया (आनुवंशिक रोग), मधुमेह या हाइपोथायरायडिज्म का परिणाम हो सकता है |

 

संकेत और लक्षण -

हाईपरकोलेस्ट्रोलेमिया अक्सर अकड़नशील होता है | इसके लक्षण निश्चित नहीं हैं | उच्च कोलेस्ट्रॉल वाले अधिकांश व्यक्तियों को तब तक कोई लक्षण नहीं दिखाई पड़ते हैं जब तक कि कोलेस्ट्रॉल से सम्बंधित एथेरोस्क्लेरोसिस हृदय अथवा दिमाग के लिए जाने वाली धमनियों को संकुचित न कर दें। सामान्य लक्षण निम्नवत दिए जा रहे हैं :

 

एथेरोस्क्लेरोसिस / ऑर्टिरीओस्क्लर्ओसस (धमनीकाठिन्य ) - यह हाईपरकोलेस्ट्रोलेमिया का सबसे महत्वपूर्ण लक्षण है | यह सीरम कोलेस्ट्रॉल स्तर के लम्बी अवधि तक बढे रहने के कारण होता है |

 

 एथेरोस्क्लेरोसिस में क्या होता है ?

सीरम कोलेस्ट्रॉल धमनियों में जमा होने लगता हैं, ये धमनियां शुद्ध रक्त को ह्रदय से शरीर के अलग-अलग भागों में भेजने का कार्य करती हैं | कोलेस्ट्रॉल के रक्त वाहिकाओं में जमा होने व खतरनाक स्तर तक पहुंचे में कई वर्षों से लेकर कई दशक तक लग सकते हैं |

 

मेदार्बुद परत ( एथोरोमाटॉस प्लाक ) - धमनियों में सीरम कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर मेदार्बुद परत के बनने को प्रेरित करता है।

इन परतों ( प्लेक्सों ) के निरंतर बढ़ने के कारण धमनियों संकुचित होने लगती है, जिसके परिणामस्वरूप रक्त के मुक्त प्रवाह में बाधा आती है।

परतों के छोटे छोटे टुकड़ों में टूटकर थक्का ( क्लॉट ) बनाने की प्रबल संभावना रहती है। थक्का, रक्त के प्रवाह को बाधित करता है।

दिल का दौरा - यदि इस तरह के थक्का / थक्के कोरोनरी धमनी (दिल को रक्त आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाओं) में बन जाते हैं, तो ऐसी स्थिति में दिल का दौरा पड़ने की प्रबल संभावना बन जाती है।

आघात - यदि इस तरह के थक्का / थक्के मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनी में बन जाते हैं तो ब्रेन स्ट्रोक / मस्तिष्क का आघात पड़ने की प्रबल संभावना बन जाती है।

 

हाईपरकोलेस्ट्रोलेमिया के अन्य लक्षण एवं प्रस्तुतीकरण :-

ऊतक एवं अंग में रक्त की अल्पता - लगातार बाधा अथवा अवरोधन के कारण ऊतकों एवं अंगों को रक्त की आपूर्ति अल्प मात्रा में होती है, परिणामस्वरूप ऊतक एवं  अंगों की कार्य प्रणाली बिगड़ जाती है। यहां ऊतक स्केमिया ( रक्त की आपूर्ति में बाधा ) लक्षणों के रूप में प्रकट हो सकते हैं | उदाहरण,

♦   मस्तिष्क पर क्षणिक स्केमिक ( रक्त की आपूर्ति में बाधा ) आघात अर्थात टीआईए (मस्तिष्क के अस्थायी स्केमिया) दृष्टि जाना, चक्कर आना और संतुलन में हानि, बोलने में कठिनाई, कमजोरी या नीरसता या कपकपी के जैस अस्थायी लक्षणों के रूप में प्रकट होता है। ये लक्षण आमतौर पर शरीर के एक तरफ महसूस होते हैं।

♦   हृदय पर स्केमिया ( रक्त की आपूर्ति में बाधा ) सीने में दर्द होने की प्रबल संभावना बनाती है।

♦   आंख पर स्केमिया ( रक्त की आपूर्ति में बाधा ) क्षणिक दृश्य हानि के रूप में प्रकट हो सकता है |

♦   पैरों पर स्केमिया ( रक्त की आपूर्ति में बाधा ) के कारण चलने के दौरान दर्द के रूप में प्रकट हो सकता है |

♦   आंतों पर स्केमिया ( रक्त की आपूर्ति में बाधा ) के कारण भोजन खाने के बाद पेट में दर्द के रूप में प्रकट हो सकता है |

 

ज़ैंथिलैस्मा - पलकों के ऊपर या पलक के आसपास त्वचा के नीचे कोलेस्ट्रॉल जमा होने के कारण पीले रंग के पैच / धब्बे के रूप में प्रकट होता है। यह स्थिति उन व्यक्तियों के साथ आम है जो पारिवारिक हाईपरकोलेस्ट्रोलेमिया  (टाइप II हाइपरलिपोप्रोटीनमिया) से ग्रस्त होते हैं।

आर्कस सेनेलिस - कॉर्निया की परिधि का सफेद या भूरे रंग का होना |

क्षंतोमथोसिस - पीले रंग की कोलेस्ट्रॉल से समृद्ध सामग्री का पेशियों पर जमा होना, विशेष रूप से उंगलियों की पेशियों पर |

 

 

टाइप - 3 हाइपरलिपिडिमिया

यह हथेलियों, घुटनों एवं कोहनी के पीतार्बुद से सम्बंधित है |

 

हाइपरलिपिडिमिया होने के कारण :-

हाईपरकोलेस्ट्रोलेमिया आमतौर पर पर्यावरण और आनुवांशिक कारकों का एक संयुक्त प्रभाव है।

 

पर्यावरणीय कारण :

♦   आहार - आहार रक्त के कोलेस्ट्रॉल पर प्रभाव डालता है | जब कोलेस्ट्रॉल का आहार के माध्यम से सेवन रोक दिया जाता है तब यकृत में इसका उत्पादन बढ़ जाता है जिससे की रक्त कोलेस्ट्रॉल में आई कमी सामान्य हो सके |

♦   मोटापा

♦   तनाव

 

आनुवांशिक कारण :

♦   कई जीनों के मिलने के प्रभाव के कारणवश |

♦   एकल जीन में दोष उत्पन्न होने के कारण | ( किसी पूर्व कारण अथवा पारिवारिक हाईपरकोलेस्ट्रोलेमिया ) |

♦   घरेलू हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया प्रत्येक 500 व्यक्तियों में से 1 व्यक्ति को प्रभावित करता है |

 

द्वितीयक कारण :

♦   डायबिटीज मेलिटस टाइप 2

♦   मोटापा

♦   शराब

♦   नेफ्रिटिक सिंड्रोम

♦   हाइपोथायरायडिज्म

♦   कुशिंग सिंड्रोम

♦   एनोरेक्सिया नर्वोसा

♦   मोनोक्लोनल गैमोपैथी

♦   डायलिसिस

 

निदान :-

निदान मूल रूप से जैव रासायनिक परीक्षणों पर निर्भर करता है जो की कोलेस्ट्रॉल के स्तर को जान्ने हेतु किये जाते हैं | कोलेस्ट्रॉल के स्तर की व्याख्या निम्न दी जा रही विधि के अनुसार की जाती है :

 

कुल कोलेस्ट्रॉल

एलडीएल कोलेस्ट्रॉल

एचडीएल कोलेस्ट्रॉल

सीमा

व्याख्या

सीमा

व्याख्या

सीमा

व्याख्या

<200 mg/dL

या

<5.2 mmol/L

वांछनीय

<100 mg/dL

या

<2.6 mmol/L

अधिक वांछनीय

<40 mg/dL या

<1.0  mmol/L

अवांछनीय, जोखिम में वृद्धि

200-239 mg/dL या

<5.2 – 6.2 mmol/L

सीमा रेखा

100 – 129 mg/dL या

2.6-3.3 mmol/L

अच्छा

41-59 mg/dL या

1.0-1.5  mmol/L

ठीक है लेकिन इष्टतम नहीं

>240 mg/dL या

>6.2 mmol/L

उच्च

130 – 159 mg/dL या

3.4-4.1  mmol/L

सीमा रेखा उच्च

>60 mg/dL या

>1.55 mmol/L

अच्छा, कम जोखिम

 

 

160 – 189 mg/dL या

4.1-4.9 mmol/L

उच्च और अवांछनीय

 

 

 

 

>190 mg/dL या

>4.9 mmol/L

बहुत उच्च

 

 

 

परिवार में सीएडी का इतिहास, उच्च कोलेस्ट्रॉल या मधुमेह भी रोग की पहचान करने में सहायता करते हैं | आहार से सम्बंधित सारणी अथवा धूम्रपान का इतिहास रोग की पहचान करने में डॉक्टर को एक अच्छा सुराग दे सकते हैं। डॉक्टर आपके ब्लड प्रेशर की जांच कर सकते हैं व क्षंतॉमस एवं जैंथिलास्मा के सम्बन्ध में विचार कर सकते हैं। एक सरल रक्त परीक्षण रक्त में उच्च स्तर के कोलेस्ट्रॉल की उपस्थिति का पता लगाने के लिए पर्याप्त होता है।

सरकारी दिशानिर्देशों के अंतर्गत प्रायोजित राष्ट्रीय कोलेस्ट्रॉल शिक्षा कार्यक्रम के अनुसार, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के लिए वांछनीय स्तर इस बात पर निर्भर करता है कि किसी व्यक्ति को पहले से ही एथ्रोस्कोलेरोसिस या मधुमेह या सीएडी के लिए अन्य जोखिम वाले कारकों के कारण कोई रोग है पहले से ही है अथवा नहीं। एलडीएल एवं  मधुमेह के उच्च स्तर के अतिरिक्त, सीएडी के लिए जोखिम कारकों में निम्न कारक भी हैं:

♦   आप 45 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष हैं

♦   आप 55 वर्ष से अधिक आयु की महिला हैं

♦   आप एक महिला होने के साथ समय पूर्व रजोनिवृत्ति से ग्रस्त हैं

♦   समयपूर्व सीएडी का पारिवारिक इतिहास है

♦   धूम्रपान / सिगरेट पीने की लत के कारण

♦   उच्च रक्तचाप रहने के कारण

♦   पर्याप्त मात्रा में अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल कोलेस्ट्रॉल) उपस्थित नहीं हैं

 

यदि किसी व्यक्ति को सीएडी है, धमनीय रोग हैं या एथेरोस्लेरोसिस के कारण स्ट्रोक हुआ है, तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित व्यक्ति के एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को 70 मिलीग्राम / डीएल या उससे कम स्तर पर होना आवश्यक हैं |

किसी व्यक्ति के भीतर जितने अधिक जोखिम के कारक लक्षण उपस्थित हैं उतना ही कम, उसका एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर होना चाहिए। 100 से कम के एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सबसे अच्छा माना जाता है | 130 से कम एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को उन व्यक्तियों में स्वीकार्य हैं जिनमें जोखिम के कारक लक्षण उपस्थित नहीं हैं अथवा कम हैं |

एचडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी मायने रखता है | 40 मिलीग्राम / डीएल के स्तर से कम वाले वाले व्यक्तियों में  एथेरोस्क्लेरोसिस ( धमनियाँ सख्त होना ), हृदय रोग एवं  घात ( स्ट्रोक ) विकसित होने की पूर्ण संभावना रहती हैं। 60 एमजी / डीएल से ऊपर एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर रहने की स्थिति में एथेरोस्क्लेरोसिस ( धमनियाँ सख्त होना ), हृदय रोग एवं घात ( स्ट्रोक ) होने की संभावना अति क्षीण रहती हैं वस्तुतः यह स्तर सम्बंधित रोगों से बचाव करने में सहायता करता हैं |

स्वस्थ वयस्कों के लिए डॉक्टर, कुल कोलेस्ट्रोल की ऊपरी सीमा 5 मिमीोल / एल एवं एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की ऊपरी सीमा 3 एमएमओएल / एल होने की अनुशंसा  करते है।

हृदय रोग, विशेषकर कोरोनरी हृदय रोग का उच्च जोखिम रखने वाले व्यक्तियों के लिए, कुल कोलेस्ट्रॉल की ऊपरी सीमा 4 एमएमओएल / एल एवं एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की ऊपरी सीमा 2 एमएमओएल / एल की अनुशंसा की गई हैं।

कुल कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर का होना हृदय रोग, विशेषकर कोरोनरी हृदय रोग के खतरे को बढ़ाता है | एलडीएल या गैर-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर, दोनों ही भविष्य में सीएचडी ( कोरोनरी हृदय रोग )का पूर्वाभास कराते हैं।

35 वर्ष और उससे अधिक आयु के पुरुषों एवं 45 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाओं हेतु जिनमें कोरोनरी हार्ट रोग (सीएचडी) होने का जोखिम अधिक हैं के लिपिड विकारों एवं असामान्य लिपिड के उपचार के लिए नियमित स्क्रीनिंग की अनुशंसा डॉक्टर करते हैं। 20-35 वर्ष की आयु के पुरुषों एवं 20-45 वर्ष की आयु की महिलाओं के लिए नियमित स्क्रीइंग की अनुशंसा की गई हैं यदि उनमें कोरोनरी हार्ट रोग (सीएचडी) के जोखिम वाले अन्य कारक उपस्थित है।

सामान्य कोलेस्ट्रॉल के स्तर वाले व्यक्तियों के लिए, प्रत्येक 5 वर्षों में स्क्रीनिंग की अनुशंसा की गई है।

 

रोकथाम :-

उच्च कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, सीएडी, स्ट्रोक इत्यादि एवं उच्च बुरे वसा से संबंधों की परिवार के इतिहास में उपलब्धता, रोकथाम के उपाय करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं | इसके अलावा यदि कुछ जोखिम के कारक उपस्थित हैं तब ऐसी स्थिति में यह कारक रोकथाम के उपायों को शीघ्र ही अपनाने की और संकेत करते हैं इससे पहले की यह विकराल रूप धारण कर लें |

पारिवारिक इतिहास या जोखिम कारकों के उपलब्ध न होने उपरान्त भी यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने भोजन एवं जीवनशैली के संबंध में हाइपरकोलेस्ट्रोलाइमिया के खिलाफ अनुशासन बनाए रखें एवं निवारक उपाय अपनाएं, क्योंकि नियमित जीवनशैली एवं अनुशासित खाद्य पदार्थों के साथ ही हम सभी इस स्थिति से बच सकते हैं |

 

बचाव हेतु निम्न कुछ उपाय उल्लेखित हैं -

♦   स्वस्थ एवं संतुलित आहार

♦   नियमित व्यायाम

♦   प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ का त्याग (संतृप्त वसा युक्त)

♦   प्रचुर मात्रा में ताज़ी सब्जियों का सेवन

♦   प्रचुर मात्रा में फलों का सेवन

♦   सम्पूर्ण अनाज युक्त भोजन का सेवन

♦   कम वसा युक्त डेयरी उत्पादों का सेवन

♦   एक स्वस्थ वजन बनाए रखें

♦   प्रत्येक संध्या के समय भोजनके साथ रेड वाइन का एक पेग का सेवन

♦   भोजन को थोड़ी थोड़ी मात्रा में ग्रहण करें

♦   धूम्रपान से बचें

♦   उच्च संतृप्त वसा वाले खाद्य पदार्थों से बचें

♦   मक्खन, कठिन मार्जरीन, चर्बी, वसा और प्रसंस्कृत मांस, उच्च वसा युक्त डेयरी पदार्थों का उपभोग न करें

♦   संबंधित पढ़ें: 5 उच्च कोलेस्ट्रॉल खाने का सेवन करने के बाद होने वाली चीजें

संतुलित आहार एवं नियमित व्यायाम एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को लगभग 10% तक घटा सकते हैं। औषधि एलडीएल के स्तर को 20% से लेकर 50% तक घटा सकती हैं।

 

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