ज्योतिषशास्त्र : रत्न शास्त्र

नीलम रत्न की बारह लग्नों के अनुसार धारण हेतु समीक्षा

Sandeep Pulasttya

8 साल पूर्व

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ज्योतिषाचार्यों के अनुसार रत्न धारण करना सौभाग्यवर्धन हेतु अति श्रेष्ठ उपाय है, इस तथ्य से सहमत होते हुए भी विद्वान इस पर एकमत नहीं है कि किसे कौन सा रत्न धारण करना चाहिए। किसी का मत है, केवल निर्बल ग्रह का रत्न धारण करें एवं किसी का मत है कि, सबल ग्रह का रत्न धारण करना चाहिए। कोई कहता है, लग्न का रत्न धारण करना उचित रहेगा तो कोई लग्नेश का रत्न धारण करने की अनुशंसा रखता है। कोई मासानुसार रत्न धारण का समर्थक है तो कोई भारतीय वितंडावाद से विरत होकर, पाश्चात्य विद्वानों की सम्मति का समर्थन कर रहा है।

 

कौनसा रत्न पहनें ?

अनेकों ज्योतिषाचार्यों ने प्रमाणित किया है कि रत्न पहनने के लिए लग्न और प्रत्येक भाव में बैठे ग्रहों की स्थितियों के अनुसार, प्रत्येक स्तिथि से रत्न की सबलता एवं अनुकूलता का विचार करके ही पहनना चाहिए। मनीषी जनों ने अपनी सूक्ष्म विवेचना द्वारा प्रत्येक रत्न का, लग्न के साथ सम्बन्ध एवं परिणाम परखा है। तदोपरान्त उन्होंने निष्कर्ष दिया कि किस लग्न में, कौनसा ग्रह, किस भाव में रहता है एवं सम्पूर्ण कुण्डली को ध्यान में रखते हुए उक्त लग्न वाले जातक के लिए कौनसा रत्न अनुकूल एवं कल्याणकारी होगा।

विद्वानों के इस शोधपूर्ण निष्कर्ष के आधारानुसार हम संक्षेप में बारहों लग्नों के लिए धारणीय नीलम रत्न का प्रत्येक लग्नानुसार विवरण दे रहे हैं।

 

नीलम रत्न :

समस्त नवग्रहों में सर्वाधिक क्रूर और भयंकर ग्रह शनि अपने बुरे प्रभाव के कारण पापक ग्रह माना गया है। परन्तु कुछ स्थितियों में यह भी सहायक भी सिद्ध होता है, परन्तु इसका अनुकूल प्रभाव कम व्यक्ति को ही मिलता है। वस्तुतः यह किसी भी जन्म कुण्डली में कहीं भी स्थित हो, विरोध और पीड़ा ही प्रदान करता है। नीलम रत्न इसी पापकग्रह का प्रतिनिधि रत्न है, जो उसके द्वारा उत्पन्न पीड़ा एवं दुष्प्रभाव से त्रस्त मुनष्यों को शान्ति देता है। नीलम रत्न धारण करने में भी लग्न का विचार अति आवश्यक है।

मेष लग्न -

जिन मुनष्यों की कुण्डली मेष लग्न की हो, उनके लिए नीलम रत्न पहनना लाभदायक रहता है। नीलम रत्न के प्रभाव से ऐसे मुनष्यों का शनि अनुकूल होकर प्रतिष्ठा, पदोन्नति और धन लाभ के अवसर उत्त्पन्न एवं उपलब्ध कराता है।

वृष लग्न -

वृष लग्न के जातक को भी नीलम शुभाशुभ प्रभाव प्रदान करता है। मेष लग्न वाली उपलब्धियाँ वृष लग्न के जातक को भी प्राप्त होती हैं। यदि ऐसे जातक नीलम रत्न के साथ हीरा रत्न भी धारण करें तो विशेष रूप से लाभान्वित होते हैं।

मिथुन लग्न -

इस लग्न के व्यक्ति यदि नीलम रत्न के साथ पन्ना रत्न भी धारण करें तभी श्रेष्ठ फल प्राप्त होता है अथवा जब शनि की दशा चल रही हो, उस समय भी  नीलम रत्न धारण कर अनुकूल लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

कर्क लग्न -

कर्क लग्न वाले व्यक्ति का शनि मारकेश होता है; अतः नीलम रत्न का प्रभाव उसकी प्रतिकूलता को और ज्यादा बढ़ा देता है। अतः ऐसे परिणाम को देखते हुए, कर्क लग्न वाले व्यक्ति को नीलम रत्न धारण करना कदापि उचित नहीं है।

सिंह लग्न -

सिंह लग्न के जातक के लिए भी नीलम अशुभ होता है; क्योंकि उनका शनि प्रतिकूल प्रभाव वाला माना गया है। अतः ऐसे जातक को जिनका लग्न सिंह है; नीलम पहनना निषेध है।

कन्या लग्न -

चूंकि कन्या लग्न में शनि की स्थिति  व्यक्ति के लिए प्रतिकूल नहीं होती, बल्कि कुछ अनुकूल ही बतायी गयी है। फिर भी वे नीलम रत्न तभी धारण करें , जब शनि की महादशा चल रही हो। सामान्य स्थिति में ऐसे जातक को नीलम रत्न धारण करने से लाभ की अपेक्षा हानि की संभावना अधिक रहती है।

तुला लग्न -

तुला लग्न के जातक की कुण्डली का शनि अनुकूल स्थिति का होने के कारण जातक को शुभ प्रभाव देता है। अतः तुला लग्न के जातक नीलम धारण कर जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में सफलता अर्जित करते हैं।

वृश्चिक लग्न -

इस लग्नानुसार जातकों का शनि सदा अनिष्टकारी होता है। अतः ऐसे जातकों को नीलम रत्न धारण करना वर्जित है। 

धनु लग्न -

वे जातक जो धनु लग्न में जन्मे हैं, नीलम का प्रयोग व धारण वर्जित है। चूंकि नीलम ऐसे जातकों के लिए मारकेश हो जाता है।

मकर लग्न -

इस कुण्डली का शनि श्रेष्ठ होता है अतः नीलम धारक को शनि की अनुकूलता प्राप्त होती है। धनलाभ, भाग्योदय, आकस्मिक उपलब्धि, उन्नति और अन्य समृद्धिकारी योग मकर लग्न वाले जातक को शनि और नीलम रत्न के प्रभाव से पर्याप्त सुख व सुविधा के साधन उपलब्ध होते रहते हैं। अतः फलस्वरूप अतिउत्तम होगा यदि मकर लग्न के जातक सदैव ही नीलम रत्न धारण किये रहें।

कुम्भ लग्न -

कुल मिलाकर कुम्भ लग्न वाले व्यक्ति की कुण्डली का शनि उस व्यक्ति के लिए अनुकूल ही कहा जा सकता है। कुम्भ लग्न वाले व्यक्ति नीलम रत्न धारण कर लाभ की स्तिथि में ही रहते हैं।

मीन लग्न -

मीन लग्न वाले जातक की कुण्डली में बैठा शनि जातक के प्रतिकूल परिस्थितियाँ पैदा करता है। यदि नीलम रत्न धारण कर लिया जाए तो उसकी प्रतिकूलता को और अधिक बढ़ा देता है। इसके परिणामस्वरूप ज्योतिषियों ने परामर्श दिया है कि मीन लग्न के जातक को नीलम धारण करना वर्जित है।

ध्यान रखने की बात है कि नीलम रत्न के साथ पीला पुखराज, मोती, मूँगा अथवा माणिक्य धारण करना भी वर्जित है। इन रत्नों की रश्मियों का प्रभाव परस्पर टकराकर जातक के विरुद्ध उपद्रव की स्थिति उत्पन्न कर देता है; अतः निषिद्ध रत्न नहीं पहनने चाहिए।

 

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