7 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में बृहस्पति ग्रह तृतीय भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक नौकरी से आजीविका चालाने वाला होता है। संतान के जन्म के पश्चात भाग्योदय होगा एवं तत्पश्चात निरंतर उन्नति के पथ पर अग्रसर रहेंगे। ऐसे जातक की धन संपत्ति में छब्बीस वर्ष की आयु के पश्चात वृद्धि होनी प्रारम्भ लगती है। ऐसा जातक अपने मित्र व करीबीइयों के साथ छल कपट कर उनके धन के माध्यम से धनवान बनने की चेष्टा करता रहता है। बुजुर्ग व्यक्तियों के साथ मित्रता करने से धन में वृद्धि होती है। ऐसा जातक अपने भाइयों से सहायता व लाभ प्राप्त करने वाला होता है। पत्नी भी ऐसे जातक के लिए सहायक सिद्ध होती है। ऐसे जातक के घर परिवार के सदस्य सज्जन एवं नेक दिल होते हैं। ऐसा जातक अपने भाग्य से संतुष्ट रहने वाला होता है। ऐसा जातक जब किसी व्यक्ति पर मेहरबान हो जाए तो उसको बहुत लाभान्वित करता है किन्तु रुष्ट होने पर उसको अत्यंत हानिकर भी सिद्ध होता है। ऐसे जातक को समाज में प्रतिष्ठा एवं सम्मान प्राप्त होता है। दूसरों की मनोदशा को पढ़ना अथवा उसे भांप लेना ऐसे जातक को खूब आता है।
जन्म कुण्डली में बृहस्पति ग्रह तृतीय भाव में स्थित होने से जातक धार्मिक प्रवृत्ति वाला, बुद्धिमान एवं न्यायप्रिय होता है। जीवन के इकत्तीसवें वर्ष की आयु में गंभीर रोग से ग्रस्त होने की पूर्ण संभावना रहती है। ऐसा जातक अपनी बात सीधे सीधे शब्दों में प्रकट करता है। अर्थहीन एवं अधिक वार्ता करना ऐसे जातक के लिए शुभ भी नहीं होता है। ऐसे जातक का जीवन ख़ुशी से बीतता है। वृद्धावस्था में भी सुख एवं आराम मिलता है।
जन्मपत्री के तृतीय भाव हेतु बृहस्पति ग्रह टोटके :
♦ दुर्गाजी का पूजन अर्चन करें।
♦ बड़े बुजुर्ग व्यक्तियों की सेवा करें।
♦ लोभ लालच से दूर रहे।
♦ दूसरों की चापलूसी करने की प्रवृत्ति में कमी लाएं।
♦ बुजुर्गों से प्राप्त हुई धन संपत्ति को सहेज कर रखें।
♦ कन्याओं को मिष्ठान खिलाएं व उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
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