6 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध ग्रह षष्टम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक विदेश गमन करता है व सामुन्द्रिक यात्रा से लाभ प्राप्त करता है। ऐसे जातक को व्यापार से, विधा से एवं दिमागी कार्यों में अपेक्षित लाभ प्राप्त होता है। कृषि योग्य भूमि का स्वामित्व भी प्राप्त होता है जिससे धन लाभ भी होता है। ऐसे जातक को छपाई व प्रिंटिंग के कार्य में अनुकूल लाभ प्राप्त होता है। कोई भी शुभ कार्य फूलों से ईश्वर वंदना करने के पश्चात ही प्रारम्भ करें। ऐसा जातक स्वमं तो धनी व संपत्तिवान होता ही है उसकी पत्नी भी धनी परिवार से होती है। ऐसा जातक राजयोग तुल्य सुख भोगता है। कृषि योग्य भूमि का स्वामित्व भी प्राप्त होता है। वृद्धावस्था सुखमय रहती है।
जन्म कुंडली के षष्टम भाव में बुध ग्रह वाला जातक मनमौजी एवं मस्तमौला स्वभाव वाला होता है। ऐसा जातक काम किन्तु गंभीर बातें बोलता है। ऐसे जातक के मुँह से निकली बात अक्सर सत्य हो जाया करती है। ऐसे जातक की पढ़ाई व्यवधानों के पश्चात ही पूर्ण हो पाती है। जीवन के चौंतीसवें वर्ष के पश्चात संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसी काल समय में माता की मृत्यु के योग भी बनते हैं। ऐसे जातक को कानूनी मुक़दमे में जीत अवश्य ही मिलती है। दृष्टि विकार की भी पूर्ण संभावना रहती है।
जन्म कुंडली के षष्टम भाव हेतु बुध ग्रह टोटके :
♦ मिट्टी के बर्तन में दूध भरकर उसे ढक दें, व उसे वीरान भूमि स्थल में गाढ़ दें।
♦ गंगा जल को कांच की बोतल में भरें व उसे ढक्कन से ढक कर जमीन में गाढ़ दें।
♦ दायें हाथ की कनिष्ठिका अुंगली में चांदी की अंगूठी धारण करें।
नोट : अपने जीवन से सम्बंधित जटिल एवं अनसुलझी समस्याओं का सटीक समाधान अथवा परामर्श ज्योतिषशास्त्र हॉरोस्कोप फॉर्म के माध्यम से अपनी समस्या भेजकर अब आप घर बैठे ही ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं |
© The content in this article consists copyright, please don't try to copy & paste it.