8 साल पूर्व
कारण :
बुरी नीयत के कारण दूसरों की संतान अथवा कुत्ते को हानि पंहुचाने के कारण वर्ष यह ऋण कुण्डली में आ जाता है |
ग्रह संकेत :
यदि की जातक की जन्म कुण्डली में छठे भाव में चन्द्रमा अथवा मंगल बैठे हों तो इस कारण जातक की कुण्डली में केतु पीड़ित हो जाता है एवं देवी ऋण बनता है |
निशानी :
दूसरों के पुत्र को गुप्त रूप से मारना, सम्बन्धियों के प्रति बुरी नीयत रखते हुए उनका वंश नाश कर देना, दूसरों के कुत्ते को मारना अथवा मरवाना |
अनिष्ट :
जिस जातक की जन्म कुण्डली में देवी ऋण होता है उस जातक की नर संतान या तो होती ही नहीं है अथवा होती है तो जीवित नहीं रहती अथवा यदि जीवित भी रहती है तो अपाहिज होती है |
उपाय :
परिवार के प्रत्येक सदस्य के बराबर मात्रा में धन जमा करके एक ही दिन एक साथ सौ कुत्तों को रोटी खिलाएं | पड़ोस में रहने वाली विधवा की सहायता करके उसका आशीर्वाद प्राप्त करें | घर में काला कुत्ता पालें | पीड़ित जातक अपना कर्ण छेदन करवाएं |
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