ज्योतिषशास्त्र : लाल किताब

क्या आपका होने वाला दामाद आपके एवं आपकी पुत्री के लिए शुभ है ?

Sandeep Pulasttya

8 साल पूर्व

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अक्सर सुनने व देखने में आता है की विवाह होते ही अथवा कुछ समय पश्चात पति एवं पत्नी में विच्छेदन हो गया अथवा कन्या पक्ष को बड़ी आर्थिक हानि उठानी पड़ी अथवा सर्व सुख साधन से संपन्न होने पर भी वर वधु प्रसन्न एवं संतुष्ट नहीं रह पा रहे हैं अथवा वर की मृत्यु हो गई आदि आदि। इन सबका कारण और कुछ नहीं केवल दोनों जातकों में से किसी एक अथवा दोनों की जन्म कुण्डली में ग्रहों की अशुभ स्थित से उत्पन्न होने वाला दुषप्रभाव है। 

 

निम्नवत कन्या की जन्म कुण्डली में स्थित ऐसे ही योगों के सम्बन्ध में विवेचन किया जा रहा है :

यदि वर की जन्म कुण्डली में राहु अथवा बुध एवं राहु ग्रह तृतीय, अष्टम, नवम अथवा द्वादश भाव में युति में व नीच व अशुभ होकर स्थित हैं अथवा शनि ग्रह द्वित्य भाव में स्थित है, तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित वर अपने ससुराल पक्ष के लिए बर्बादी का कारण  बनेगा।

यदि वर की जन्म कुण्डली में शनि ग्रह प्रथम भाव में स्थित है तो ऐसा जातक चाहे कितना ही धनवान अथवा प्रतापी क्यों न हो वह आधी उम्र के पश्चात अपनी पत्नी को संतान सहित छोड़ देता है।

यदि वर की जन्म कुण्डली में अष्टम भाव में अल्पायु ग्रह स्थित हों तो ऐसे जातक की आयु संदिग्ध रहती है एवं जातक का जीवन सुखी नहीं होता है।

 

 

लाल किताब  लग्न कुंडली द्वारा वर - वधु की आयु की विवेचना :

लग्न कुंडली में शुक्र एवं बुध यदि दोनों एक दूसरे को देखते हों एवं उन्हें सभी मित्र गृह का सहयोग भी प्राप्त हो, तो दोनों की आयु सामान होगी ।

लग्न कुंडली में शुक्र पर शनि की दृष्टि पड़ रही हो एवं उसके अगले भाव में शत्रु ग्रह चन्द्रमा स्थित हो तो ऐसी स्थिति में वधु की मृत्यु वर से पूर्व होती है।

लग्न कुंडली में बुध ग्रह पर सूर्य ग्रह अथवा राहु की दृष्टि पड़ रही हो एवं शुक्र ग्रह पर सूर्य ग्रह व चन्द्रमा एवं राहु ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो, तो ऐसी स्थिति में वधु की मृत्यु वर से पूर्व होती है अथवा दोनों के मध्य तलाक होता है ।

लग्न कुंडली में शुक्र ग्रह पर उसके शत्रु ग्रह सूर्य ग्रह व चन्द्रमा एवं राहु ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो, तो ऐसी स्थिति में वर के अनेकों विवाह संपन्न होने की प्रबल सम्भावना होती है, वधु की या तो मृत्यु हो जाती है या तलाक ।

लग्न कुंडली में बुध ग्रह पर उसके शत्रु ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो एवं शुक्र ग्रह पर उसके मित्र ग्रह अथवा ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो ऐसी स्थिति में वधु की मृत्यु वर की मृत्यु से पूर्व होती है अथवा उसका अलगाव तलाक होता है ।

 

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