ज्योतिषशास्त्र : लाल किताब

अष्टम भाव का लाल किताब कुंडली विवेचना में महत्व

Sandeep Pulasttya

8 साल पूर्व

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किसी जातक की लाल किताब जन्म कुंडली विवेचना में अष्टम भाव क्या बतलाता है ? जाने

 

♦   लाल किताब में अष्टम भाव को मुसीबतों का घर कहा गया है।

♦   अष्टम भाव का स्वामी मंगल है एवं कारक ग्रह मंगल एवं शनि हैं।

♦   इस भाव में मंगल भावफल का ग्रह है।

♦   इस भाव में राशिफल का कोई ग्रह नहीं होता है।

♦   यह भाव जातक की पीठ एवं पाचन क्रिया का कारक भाव है।

♦   देह की वसा एवं लम्बे समय चलने वाले रोगों के सम्बन्ध में इसी भाव के माध्यम से ज्ञात किया जाता है।

♦   इस भाव के माध्यम से ही जातक की आयु सम्बंधित आंकलन एवं जीवन काल में घटित होने वाली दुर्घटनाओं का आंकलन किया जाता है।

♦   जातक की कर्मठता एवं प्रयत्नशीलता का ग्राफ यही भाव बताता है।

♦   जातक के दहेज़ की मात्रा का आंकलन इसी भाव से होता है।

♦   जातक को बीमा आदि से प्राप्त होने वाले लाभ के सम्बन्ध में इसी भाव के माध्यम से आंकलन किया जाता है।

♦   जातक के धन का उपयोग दूसरों के द्वारा कितना होगा इसी भाव से ज्ञात होता है।

♦   औषधियों से अधिकतम प्रभाव प्राप्त करने हेतु उन्हें घर में किस स्थान पर रखना उत्तम रहेगा, इसी भाव से ज्ञात होता है।

♦   जातक के घर के आस पड़ोस के वातावरण के सम्बन्ध में यही भाव बताता है।

♦   जातक के घर की दक्षिण दिशा वाली दीवार का के सम्बन्ध में विचार, घर की छत का विचार एवं अग्नि के स्थान का कारक अष्टम भाव ही है।

 

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