ज्योतिषशास्त्र : लाल किताब

बृहस्पति ग्रह की अन्य अष्ट ग्रहों संग युति के लाल किताब अनुसार शुभ अशुभ प्रभाव एवं उपाय

Sandeep Pulasttya

7 साल पूर्व

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जन्म कुण्डली में जब किसी भाव में एक से अधिक ग्रह स्थित होते हैं तो ऐसी स्थिति को ग्रह युति कहा जाता है। ग्रह युति की स्थिति में एक ग्रह दूसरे ग्रह से प्रभावित होता है, व ऐसी स्थिति में ग्रह अपना मूल प्रभाव न देकर भिन्न प्रभाव प्रदान करने लगता है। यहां बृहस्पति ग्रह की अन्य ग्रहों संग युति के शुभ एवं अशुभ प्रभाव का विवेचन दिया जा रहा है -

 

बृहस्पति + सूर्य :-

शुभ प्रभाव :

किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब बृहस्पति ग्रह के साथ सूर्य ग्रह स्थित होता है तो इस ग्रह युति से शुभ प्रभाव प्राप्त करते हुए सम्बंधित जातक नेक दिल, तीव्र बुद्धि वाला, किस्मत का धनी, समाज में मान सम्मान प्राप्त करने वाला, दीर्घ आयु वाला, अत्यधिक त्यागी एवं साहसी प्रवृत्ति वाला एवं संतान सुख से युक्त होता है।

अशुभ प्रभाव :

किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब बृहस्पति ग्रह के साथ सूर्य ग्रह स्थित होता है तो इस ग्रह युति से अशुभ प्रभाव प्राप्त करते हुए सम्बंधित जातक को मान प्रतिष्ठा में हानि, धन हानि, असफलता एवं व्यक्तित्व की हानि होती है। ऐसा जातक लालची प्रवृत्ति वाला, चतुर स्वभाव वाला एवं अपने कुल को हानि पहुंचाने वाला होता है।

उपाय :

♦   स्वर्ण आभूषण धारण करें।

♦   पिता व पुत्र संयुक्त रहे व संयुक्त रूप से ही व्यापार करे।

♦   घर में ठोस सोना अथवा केसर स्थायी रूप से रखें।

♦   ग्रह यदि अशुभ स्थिति में हैं तो इनसे सम्बंधित वस्तुओं का दान करें व अन्य उपाय भी करें।

♦   यदि पिता न हों तो उनके द्वार प्रयुक्त किये जाने वाले पलंग का उपयोग करें।

 

बृहस्पति + चन्द्रमा :-

शुभ प्रभाव :

किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब बृहस्पति ग्रह के साथ चन्द्रमा ग्रह स्थित होता है तो इस ग्रह युति से शुभ प्रभाव प्राप्त करते हुए सम्बंधित जातक ईश्वर की कृपा से युक्त, सभी को सुख प्रदान करने वाला, स्वभाव से भावुक, भाग्यवान एवं वृद्ध अवस्था में सुख व शांति प्राप्त करने वाला होता है।

अशुभ प्रभाव :

किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब बृहस्पति ग्रह के साथ चन्द्रमा ग्रह स्थित होता है तो इस ग्रह युति से अशुभ प्रभाव प्राप्त करते हुए सम्बंधित जातक निराशा व असफलता को प्राप्त करने वाला, काल्पनिक उम्मीदों पर जीने वाला, स्वभाव से भावुक, भावुकता में ठगा जाने वाला एवं आंसू बहाने वाला होता है।

उपाय :

♦   चांदी का बर्तन घर की नींव में दबाएं।

♦   केतु ग्रह हेतु दोरंगे पत्थर अंगूठी में धारण करें।

♦   नौ वर्ष से कम आयु की कन्याओं का आशीर्वाद प्राप्त करें।

♦   मंगल व शनि से सम्बंधित वस्तुएं न तो घर में स्थापित करें व  न ही अधिक समय तक रखें।

♦   तांबे का छेकल पैसा बहते जल में प्रवाहित करें।

♦   गाय व परिवार की स्त्रियों का आदर सम्मान व सेवा करें।

 

बृहस्पति + मंगल :-

शुभ प्रभाव :

किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब बृहस्पति ग्रह के साथ मंगल ग्रह स्थित होता है तो इस ग्रह युति से शुभ प्रभाव प्राप्त करते हुए सम्बंधित जातक अत्यधिक धनवान, सम्मानित, दूसरों के हृदय पर राज करने वाला, विवेक से कार्य करने वाला, सुन्दर संतान से युक्त एवं ज्ञानी होता है।

अशुभ प्रभाव :

किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब बृहस्पति ग्रह के साथ मंगल ग्रह स्थित होता है तो इस ग्रह युति से अशुभ प्रभाव प्राप्त करते हुए सम्बंधित जातक भाग्यहीन, सदैव कर्ज में डूबा रहने वाला, विभिन्न रोगों से आक्रांत एवं संतान पक्ष के लिए अहितकारी होता है।

उपाय :

♦   शनि को शुभ करने के लिए उपाय करें।

♦   काले रंग की गाय की सेवा करें।

♦   क्षमता अनुसार दान करें।

 

बृहस्पति + बुद्ध :-

शुभ प्रभाव :

किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब बृहस्पति ग्रह के साथ बुद्ध ग्रह स्थित होता है तो इस ग्रह युति से शुभ प्रभाव प्राप्त करते हुए सम्बंधित जातक किसी बड़े पद पर आसीन, ब्रह्मज्ञानी, स्वभाव से साहसी, पुत्र की उत्पत्ति के पश्चात भाग्योदय का सुख प्राप्त करने वाला, दीर्घ आयु वाला, ईश्वर का पूजन अर्चन करने वाला एवं सुखी जीवन व्यतीत करने वाला होता है।

अशुभ प्रभाव :

किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब बृहस्पति ग्रह के साथ बुद्ध ग्रह स्थित होता है तो इस ग्रह युति से अशुभ प्रभाव प्राप्त करते हुए सम्बंधित जातक पर स्त्रियों से सम्बन्ध रखने वाला, स्वभाव से मूर्ख व डरपोक, धनहीन, भाग्यहीन एवं विभिन्न रोगों से आक्रांत रहने वाला होता है।

उपाय :

♦   मिट्टी के बर्तन में गुड भरकर किसी सुनसान स्थान पर गाढ़े।

♦   बुद्ध की शुभता प्राप्त करने हेतु उपाय करें।

♦   नाक में चांदी धारण करें।

 

बृहस्पति + शुक्र :-

शुभ प्रभाव :

किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब बृहस्पति ग्रह के साथ शुक्र ग्रह स्थित होता है तो इस ग्रह युति से शुभ प्रभाव प्राप्त करते हुए सम्बंधित जातक अपने भाइयों की सहायता करने वाला, उच्च मान प्रतिष्ठा वाला, हुनरमंद व भाग्यवान होता है।

अशुभ प्रभाव :

किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब बृहस्पति ग्रह के साथ शुक्र ग्रह स्थित होता है तो इस ग्रह युति से अशुभ प्रभाव प्राप्त करते हुए सम्बंधित जातक निर्धन, शान्ति विहीन, अत्यधिक कामुक प्रवृत्ति वाला, परस्त्री से अनैतिक सम्बन्ध रखने वाला व इस कारण हानि उठाने वाला, गलत आचरण के कारण धन संपत्ति का नाश करने वाला, स्वभाव से झगड़ालू एवं विल्लंभ व व्यवधानों के उपरान्त संतान सुख की प्राप्ति करने वाला होता है।

उपाय :

♦   पर स्त्री से अनैतिक सम्बन्ध न रखें।

♦   सदाचार का सदैव पालन करें।

♦   बुद्ध व शुक्र ग्रह के उपाय करें।

♦   नित्य प्राणायाम व योग साधना करें।

 

बृहस्पति + शनि :-

शुभ प्रभाव :

किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब बृहस्पति ग्रह के साथ शनि ग्रह स्थित होता है तो इस ग्रह युति से शुभ प्रभाव प्राप्त करते हुए सम्बंधित जातक वृद्धावस्था में सुख व आराम पाने वाला, उपदेशक, कार्यों से संत, समझदार, हिम्मतवाला, आवश्यकतानुसार धन से युक्त व दूसरों का सद करने वाला होता है।

अशुभ प्रभाव :

किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब बृहस्पति ग्रह के साथ शनि ग्रह स्थित होता है तो इस ग्रह युति से अशुभ प्रभाव प्राप्त करते हुए सम्बंधित जातक विभिन्न रोग विकारों से ग्रस्त रहने वाला, काम वासना से असंतुष्ट, पत्नी से सामान्य  सुख पाने वाला, धन की हानि, बुद्धि की हानि, दूसरों को ठगने वाला, अत्यधिक व अर्थहीन बात कहने वाला एवं अंग भंग का कष्ट भोगने वाला होता है।

उपाय :

♦   शनि के उपाय करें।

♦   बुद्ध से सम्बंधित वस्तुएं घर में अधिक देर तक न रहने दें।

♦   गणेशजी का पूजन अर्चन करें।

♦   मांस मदिरा का सेवन न करें।

♦   काली गाय की सेवा करें।

 

बृहस्पति + राहु :-

शुभ प्रभाव :

किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब बृहस्पति ग्रह के साथ राहु ग्रह स्थित होता है तो इस ग्रह युति से शुभ प्रभाव प्राप्त करते हुए सम्बंधित जातक अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करने वाला, सुखी जीवन यापन करने वाला, हुनरमंद एवं नेतृत्व करने की क्षमता रखने वाला होता है।

अशुभ प्रभाव :

किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब बृहस्पति ग्रह के साथ राहु ग्रह स्थित होता है तो इस ग्रह युति से अशुभ प्रभाव प्राप्त करते हुए सम्बंधित जातक संतान पक्ष से पीड़ित रहने वाला होता है। प्रथम व द्वादश भाव में छोड़कर अन्य समस्त भावों में यह ग्रह युति अशुभ प्रभाव ही प्रदान करती है।

उपाय :

♦   केतु व चन्द्रमा के उपाय करें।

♦   अनाज को दूध से निथारकर बहते जल में निरंतर 43 दिन तक प्रवाहित करें।

♦   सदाचार का सदैव पालन करें।

♦   मानसिकता को सकारात्मक बनाएं रखें।

♦   स्वर्ण आभूषण धारण करें।

♦   गाय को जल पिलायें व शेष बचे जल से मंगल से सम्बंधित वस्तुओं को निथारकर, उनका दान करें।

 

बृहस्पति + केतु :-

शुभ प्रभाव :

किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब बृहस्पति ग्रह के साथ केतु ग्रह स्थित होता है तो इस ग्रह युति से शुभ प्रभाव प्राप्त करते हुए सम्बंधित जातक दूसरों के दुःख दर्द को समझने वाला, धनवान किन्तु गरीबी में भी सुखी रहने वाला, सुखी जीवन यापन करने वाला, संत स्वभाव वाला एवं भविष्य का ज्ञाता होता है।

अशुभ प्रभाव :

किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब बृहस्पति ग्रह के साथ केतु ग्रह स्थित होता है तो इस ग्रह युति से अशुभ प्रभाव प्राप्त करते हुए सम्बंधित जातक मंद भाग्य से युक्त, निर्धन, स्वमं के ही हित में निहित एवं दूसरों की गुलामी करने वाला होता है।

उपाय :

♦   जर्द नींबू को मंदिर में दान करें।

 

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