8 साल पूर्व
विभिन्न विभिन्न व्यक्तियों की मृत्यु भिन्न भिन्न कारणों से होती है। किसी की मृत्यु का कारण अचानक घटित दुर्घटना तो किसी की मृत्यु का कारण बीमारी किसी की मृत्यु का कारण हत्या तो किसी का आत्महत्या आदि देखने को प्रायः मिलता है। यहां हम कुछ ऐसे विशेष योगों के सम्बन्ध में विवेचन कर रहे हैं जिनके कुण्डली में स्थित होने से स्वाभाविक मृत्यु की अपेक्षा किसी कारण से जातक मृत्यु को प्राप्त करता है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य चन्द्रमा एवं बुध ग्रह एकसाथ युति में चतुर्थ भाव में स्थित हो तो ऐसा जातक घोड़े से गिरकर मृत्यु को प्राप्त करेगा।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध तृतीय अथवा एकादश भाव में स्थित हो एवं शनि षष्टम अथवा सप्तम भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक की मृत्यु किसी पशु के द्वारा होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में शुक्र एवं शनि दशम भाव में स्थित हों एवं सूर्य चतुर्थ भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक की मृत्यु अचानक हो जाती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा एवं राहु ग्रह एक साथ चतुर्थ भाव में स्थित हों तो ऐसे जातक की मृत्यु दम घुटने से, किसी गहरे अंधियारे कुँए में गिरने से अथवा फांसी से होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध एवं गुरु ग्रह की पूर्ण दृष्टि एक दूसरे पर पड़ने से सम्बंधित जातक की मृत्यु अधरंग से होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध एवं गुरु ग्रह एक साथ तृतीय भाव में स्थित हों तो ऐसे जातक की मृत्यु संताप से होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा, मंगल एवं शनि ग्रह पंचम अथवा सप्तम भाव में स्थित हों तो ऐसे जातक की मृत्यु किसी युद्ध अथवा लड़ाई दंगे में होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में अशुभ मंगल एवं शुक्र पंचम अथवा सप्तम भाव में स्थित हों एवं सूर्य व चन्द्रमा किसी भाव में एक साथ युति में स्थित न हों तो ऐसे जातक की मृत्यु किसी युद्ध अथवा लड़ाई दंगे में होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा एवं बुध ग्रह एक साथ युति में तृतीय अथवा षष्टम भाव में स्थित हों तो ऐसा जातक अल्पायु में आघात के कारण मृत्यु को प्राप्त करता है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा एवं शनि ग्रह एक साथ युति में सप्तम भाव में स्थित हों तो ऐसा जातक अल्पायु में आघात के कारण मृत्यु को प्राप्त करता है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा, मंगल एवं बुध ग्रह एक साथ युति में सप्तम अथवा दशम भाव में स्थित हों तो ऐसा जातक अल्पायु में आघात के कारण मृत्यु को प्राप्त करता है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य ग्रह एकल रूप में प्रथम भाव में उच्च का होकर स्थित हो तो ऐसे जातक की मृत्यु समय पर एवं स्वाभाविक होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध ग्रह द्वादश भाव में एवं शनि ग्रह सप्तम भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक की मृत्यु आत्महत्या करने से होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा एवं बुध ग्रह एकसाथ युति में स्थित हो एवं सूर्य अशुभ हो तो ऐसे जातक की मृत्यु आत्महत्या करने से होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा एवं बुध ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक की मृत्यु आत्महत्या करने से होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध ग्रह एकादश भाव में एवं शनि ग्रह तृतीय भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक की मृत्यु कैद में होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य एवं शनि एकसाथ युति में दशम भाव में एवं बुध ग्रह सप्तम भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक की मृत्यु कैद में होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य सप्तम भाव में किसी शत्रु अथवा पापी ग्रह के साथ स्थित हो एवं शुक्र प्रथम भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक की मृत्यु तपेदिक रोग से होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य व शुक्र ग्रह प्रथम अथवा तृतीय अथवा दशम भाव में स्थित हों एवं तृतीय भाव में शत्रु अथवा पापी ग्रह स्थित हो तो ऐसे जातक की मृत्यु तपेदिक रोग से होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध एवं शनि ग्रह चतुर्थ भाव में हों तो ऐसे जातक की मृत्यु उसकी हत्या होने से होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य प्रथम भाव में हों एवं चन्द्रमा, बुध एवं शनि ग्रह की युति हो तो ऐसे जातक की मृत्यु उसकी हत्या होने से होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा ग्रह यदि शनि ग्रह से अधिक बलवान होकर स्थित हो तो ऐसे जातक की मृत्यु विदेश में होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा एवं शनि ग्रह सप्तम भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक की मृत्यु अपनी मातृभूमि पर होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा ग्रह दशम भाव में स्थित हो एवं द्वित्य भाव में कोई ग्रह स्थित न हो तो ऐसे जातक की मृत्यु छाती से सम्बंधित रोग के कारण होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध, राहु एवं केतु ग्रह वर्षफल में एक साथ एक ही भाव में आ जाएँ, तृतीय भाव ग्रह से रिक्त हो अथवा तृतीय भाव में अशुभ ग्रह स्थित हो, प्रथम, चतुर्थ, सप्तम एवं दशम भाव ग्रह से रिक्त हो, कुण्डली में चन्द्रमा अशुभ होकर स्थित हो, बुध ग्रह तृतीय, सप्तम, नवम अथवा द्वादश भाव में स्थित हो, शनि एवं राहु ग्रह अष्टम भाव में स्थित हों, चन्द्रमा एवं केतु ग्रह अष्टम भाव में स्थित हों तो ऐसे जातक की मृत्यु कोई न कोई बहाना अथवा कारण लेकर आती है।
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