4 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में मंगल ग्रह अष्टम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक बुलंद हौसलों वाला पक्का मर्द होता है। ऐसा जातक परिणाम की परवाह किये बगैर शत्रुओं से ठोस भिड़ंत करने वाला होता है। ऐसा जातक इन्साफ की लड़ाई लड़ता है। ऐसे जातक पर उसके शत्रु अचानक से हमला बोल दें इसकी पूर्ण संभावना रहती है। जातक का जीवन सुरक्षित रहता है। अकारण व अत्यंत क्रोध करना हानि देने वाला होता है। ऐसे जातक को शस्त्र से खतरा रहता है।
जन्म कुण्डली में मंगल ग्रह अष्टम भाव में स्थित होने से जातक को अपने माता पिता से पूर्ण सहयोग प्राप्त होता है। भाइयों के कारण विपत्तियाँ आक्रांत कर सकती है व कोई बड़ा अनिष्ट हो इसकी भी पूर्ण संभावना बनी रहती है। अचानक घटित होने वाली किसी भी दुर्घटना से सचेत रहना लाभदायक रहता है। किसी विधवा स्त्री का अनिष्ट न करें। उसकी बददुआ न लें, अन्यथा भाग्य में अवरोध उत्पन्न होता है। ऐसा जातक दीर्घ आयु को प्राप्त करता है। जातक को रक्त सम्बंधित विकार होने की संभावना रहती है। जातक को गृहस्थी का सम्पूर्ण सुख प्राप्त होता है। जातक को चाहिए की वह अपने घर का मुख्य प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा की ओर न रखे।
जन्म कुंडली के अष्टम भाव हेतु मंगल ग्रह टोटके :
♦ कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं।
♦ विधवा स्त्रियों की सहायता करें व आशीर्वाद प्राप्त करें।
♦ गुड अथवा तिल की रेवड़ियां बहते जल में प्रवाहित करें।
♦ काने, अपंग व काले वर्ण के व्यक्तियों से बचें।
♦ शहद व चीनी से सम्बंधित कारोबार न करें।
♦ माता, साधु व वानरों की सेवा करें।
♦ पुत्र के जन्म दिवस पर प्रतिवर्ष नमक का दान करें।
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