3 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में राहु ग्रह नवम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक को लोहे से सम्बंधित वस्तुओं का व्यवसाय करने से लाभ प्राप्त होता है। ऐसा जातक पागलों का चिकत्सक हो सकता है। जातक के लिए साधू अथवा सन्यासी का साथ अपव्यय का कारण बनता है। ऐसा जातक यदा कदा अधर्मियों एवं नास्तिकों जैसा व्यवहार करता है जिस कारण उसके मान सम्मान एवं प्रतिष्ठा को आघात पहुंचता है। ऐसे जातक के पिता एवं दादा उसकी कर्महीनता एवं धर्महीनता के कारण समूल नष्ट हो सकते हैं। जातक संतान हीन रहे इसकी भी संभावना रहती है। अदालती झगडे लगे रहेंगे। भाई बंधु परेशान हैरान करते रहेंगे। उनसे स्वस्थ सम्बन्ध रखना शुभ रहता है।
जन्म कुण्डली में राहु ग्रह नवम भाव में स्थित होने से जातक परिवार से अलग रहने पर निष्कर्म हो जाता है। ससुराल में रहने से अथवा अधिक सम्बन्ध रखने से अशुभ फल प्राप्त होते हैं। जातक धर्म कर्म पर आंशिक विश्वास करने वाला होता है। ऐसे जातक की धार्मिक यात्रा में बाधा उत्पन्न होती है। ऐसा जातक यदि दान कर्म करे तो उसके धन में वृद्धि होती है एवं संतान पर शुभ प्रभाव पड़ता है। ऐसा जातक यदि बड़े बुजुर्गों से लड़ाई झगड़ा करे तो उसके स्वास्थ्य एवं संतान पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। जातक को पुत्र संतान का सुख प्राप्त होता है। घर में पालतू काला कुत्ता यदि कहीं गुम हो जाए अथवा मर जाए अथवा नाखून झड़ जाए तो यह घटनाएं खराब राहु की ओर संकेत करती हैं।
जन्म कुंडली के नवम भाव हेतु राहु ग्रह टोटके :
♦ स्वर्ण आभूषण धारण करें।
♦ सिर पर चोटी रखें।
♦ नित्य मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं।
♦ मंदिर में माथा टेकें।
♦ संयुक्त परिवार में रहे।
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