6 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में राहु ग्रह पंचम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक अपने परिवार का मुखिया होता है। धन संपत्ति से भी वह अपने परिवार में श्रेष्ठ होता है। ऐसे जातक के कार्य करने का कोई सुनिश्चित व स्थिर तौर तरीका नहीं होता है। काम की चीजों को भी वह इधर उधर करने वाला होता है। चंचल स्वाभाव के कारण ऐसा जातक अपनी बुद्धि स्थिर नहीं रख पाता है। ऐसा जातक अधिक चंचल होने के कारण अधिक पढ़ लिख भी नहीं पाता है एवं शिक्षा अधूरी छूट जाती है अथवा मन के अनुसार शिक्षा नहीं मिल पाती है। ऐसा जातक ब्रह्मज्ञानी होता है। धन व्यर्थ के कार्यों में खर्च होता रहेगा।
जन्म कुण्डली में राहु ग्रह पंचम भाव में स्थित होने से जातक को कई भाइयों का सुख प्राप्त होता है। ऐसे जातक की माता का जीवन अत्यंत सुखमयी व्यतीत होता है। माता का सहयोग ऐसे जातक को अधिक समय तक नहीं मिलता है। प्रथम पत्नी से संतान सुख न प्राप्त हो ऐसी पूर्ण संभावना होती है यदि संतान सुख प्राप्त भी हो जाए तो उसकी मृत्यु होने की संभावना होती है अथवा संतान के जन्म से लेकर बारह वर्षों तक पत्नी का स्वास्थ्य खराब रहता है। दूसरी पत्नी से कई संतानो का सुख सरलता से प्राप्त होता है। ऐसे जातक का स्वास्थ्य अचानक से बिगड़ जाए इसकी सम्भावन होती है। नेत्र रोग भी आक्रांत कर लेते हैं। ऐसे जातक की संतानो की अपेक्षा उसके पोते पोतियों व नाती नातिन का भविष्य अधिक उज्जवल होता है।
जन्मपत्री के पंचम भाव हेतु राहु ग्रह टोटके :
1. अपनी पत्नी से सम्पूर्ण पद्धत्ति से पुनःविवाह करें।
2. पराई स्त्री से दूर रहे।
3. ठोस चांदी से निर्मित नीचे सूंड वाला हाथी घर में रखें।
4. नित्य मंदिर में जाकर प्रभु के चरणों में माथा टेकें।
5. पत्नी के सिरहाने रात्रि में पांच मूलियाँ पत्तों सहित रखकर प्रातः मंदिर में दें।
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