8 साल पूर्व
लाल किताब की धारणा के अनुसार कोई भी जातक जो अपनी कुण्डली स्थित ग्रहों अथवा योगों से पीड़ित है उसको अपने कुण्डली फलित के अनुसार सुखी जीवन यापन करने हेतु, ग्रह शान्ति के लिए निर्धारित उपाय अथवा टोटके करने तो आवश्यक हैं ही किन्तु साथ ही साथ कुछ निर्धारित दान सम्बंधित नियमों का भी ढृढ़ रूप से पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। इन नियमों का ढृढ़ रूप से पालन करने से कुण्डली स्थित बहुत से दोषों से काफी हद तक बचा जा सकता है। लाल किताब में उल्लेखित दान सम्बंधित कुछ सामान्य नियमों का विवरण निम्नवत हैं :
दान सम्बंधित नियम
⇒ लाल किताब की दान सम्बंधित धारणा के अनुसार किसी भी जातक को अपनी जन्म कुण्डली में स्थित उच्च ग्रहों से सम्बंधित वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए एवं न ही ऐसी वस्तुओं को जल में प्रवाहित करना चाहिए। जातक को अपनी जन्म कुण्डली में स्थित नीच अथवा अशुभ फलदायक ग्रहों से सम्बंधित वस्तुओं का दान नहीं लेना चाहिए।
⇒ जातक की जन्म कुण्डली में शनि यदि प्रथम अथवा पंचम भाव में स्थित है तो ऐसे जातक को भिखारी को सिक्का दान में नहीं देना चाहिए।
⇒ जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा यदि द्वादश भाव में स्थित हो तो किसी को मुफ्त में शिक्षा प्रदान करने हेतु शिक्षण संस्थान की स्थापना न करें व न ही किसी की शिक्षा अथवा प्रशिक्षण के लिए धन उपलब्ध कराएं। किसी पंडित अथवा कथा वाचक को भोजन न कराएं।
⇒ जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा यदि षष्टम भाव में स्थित है तो ऐसे जातक को, भूमिगत जल स्रोत अथवा पियाउ नहीं लगवाना चाहिए। जातक को अपना धन किसी को दान अथवा उपहार स्वरुप नहीं देना चाहिए।
⇒ जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा यदि चतुर्थ भाव में स्थित है एवं बृहस्पति दशम भाव में स्थित है तो ऐसे जातक को न तो कभी कोई सार्वजनिक धार्मिक आयोजन कराना चाहिए एवं न ही किसी धर्मशाला का निर्माण कराना चाहिए व न ही किसी भी रूप में सहयोग करना चाहिए।
⇒ जातक की जन्म कुण्डली में बृहस्पति यदि सप्तम भाव में स्थित है तो ऐसे जातक को किसी पंडित अथवा साधु संत को वस्त्र नहीं देने चाहिएं।
⇒ जातक की जन्म कुण्डली में शुक्र यदि नवम भाव में स्थित है तो ऐसे जातक को किसी की भी मुफ्त में अथवा दया भाव में सहायता नहीं करनी चाहिए।
⇒ जातक की जन्म कुण्डली में शनि यदि षष्टम भाव में स्थित है तो ऐसे जातक को अपने भतीजे अथवा भतीजी का विवाह नहीं करना चाहिए।
⇒ जातक की जन्म कुण्डली में शनि यदि अष्टम भाव में स्थित है तो ऐसे जातक को किसी सार्वजनिक अथवा धर्मार्थ भवन, धर्मशाला अथवा भोजनालय का निर्माण नहीं कराना चाहिए एवं न ही इनके निर्माण अथवा संचालन में सहयोग का भागीदार बनना चाहिए।
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