7 साल पूर्व
लाल किताब की धारणा के अनुसार कोई भी जातक जो अपनी कुण्डली स्थित ग्रहों अथवा योगों से पीड़ित है उसको अपने कुण्डली फलित के अनुसार सुखी जीवन यापन करने हेतु, ग्रह शान्ति के लिए निर्धारित उपाय अथवा टोटके करने तो आवश्यक हैं ही किन्तु साथ ही साथ कुछ निर्धारित आचरण सम्बंधित नियमों का भी ढृढ़ रूप से पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। इन नियमों का ढृढ़ रूप से पालन करने से कुण्डली स्थित बहुत से दोषों से काफी हद तक बचा जा सकता है। लाल किताब में उल्लेखित आचरण सम्बंधित कुछ सामान्य एवं दैनिक जीवन में प्रयुक्त होने वाले नियमों का विवरण निम्नवत हैं।
आचरण सम्बंधित लाल किताब नियम :
♦ किसी भी जातक को मांसाहार, मदिरापान एवं मधपान को पूर्णतया निषेध करना चाहिए।
♦ माता पिता को प्रताड़ित न करें व उनकी निःस्वार्थ सेवा करें।
♦ माता को प्रताड़ित करने से वंश पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
♦ परस्त्री गमन न करें।
♦ दिन में पत्नी के साथ सम्भोग न करें।
♦ रात्रि के समय भी पत्नी के साथ अप्राकर्तिक यौन सम्बन्ध न बनाएं।
♦ दूसरों को दिए वचन का पालन करें, किये गए वादे न तोड़ें।
♦ किसी से ईर्ष्या न करें व परनिंदा से भी बचें।
♦ क्रोध, अहंकार एवं हिंसा से दूर रहे।
♦ दूसरों का अहित न तो करें व न ही इसके विषय में विचार करें।
♦ कुटिल स्वभाव का त्याग करें।
♦ कुंवारी कन्याओं का सम्मान करें।
♦ देवी देवताओं की उपासना नियम संयम एवं श्रद्धापूर्वक करें।
♦ पशुओं अथवा किसी अन्य जीव जंतुओं पर क्रूरता न करें।
♦ बड़े बुजुर्गों को सम्मान दें।
♦ प्रातः भोर होते ही निंद्रा का त्याग कर देना उत्तम रहता है।
♦ जल स्रोतों को दूषित नहीं करना चाहिए।
♦ अशुभ ग्रहों के प्रभाव से उत्पन्न बुरे विचारों एवं प्रवृत्तियों को बल पूर्वक बदलने का प्रयत्न करें।
♦ असहाय अथवा विकलांग व्यक्तियों एवं विधवा स्त्रियों की यथा संभव सहायता करें।
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