ज्योतिषशास्त्र : लाल किताब

रत्न एवं धातु द्वारा नवग्रहों के अशुभ प्रभाव के निवारण हेतु लाल किताब उपाय

Sandeep Pulasttya

8 साल पूर्व

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निम्न लाल किताब के विधान अनुसार समस्त नवग्रहों के अशुभ प्रभाव के निवारण हेतु रत्न एवं धातु के माध्यम से उपाय दिए जा रहे हैं :

 

सूर्य ग्रह :

तांबे के दो चौकोर सामान आकार एवं भार वाले टुकड़े लें, उनके दान का संकल्प लें, तत्पश्चात एक टुकड़े को बहते जल में प्रवाहित कर दें व दूसरे टुकड़े को सदैव अपने पास रख लें एवं उसे कदापि अपने से अलग न होने दें।

 

चन्द्रमा ग्रह :

चांदी के दो चौकोर सामान आकार एवं भार वाले टुकड़े लें, उनके दान का संकल्प लें, तत्पश्चात एक टुकड़े को बहते जल में प्रवाहित कर दें व दूसरे टुकड़े को सदैव अपने पास रख लें एवं उसे कदापि अपने से अलग न होने दें।

 

मंगल ग्रह :

लाल पत्थर के दो चौकोर सामान आकार एवं भार वाले टुकड़े लें, उनके दान का संकल्प लें, तत्पश्चात एक टुकड़े को बहते जल में प्रवाहित कर दें व दूसरे टुकड़े को सदैव अपने पास रख लें एवं उसे कदापि अपने से अलग न होने दें।

 

बुध ग्रह :

लोहे के दो बिना जोड़ वाले छल्ले लें, उनके दान का संकल्प लें, तत्पश्चात एक टुकड़े को बहते जल में प्रवाहित कर दें व दूसरे छल्ले को अपने बाएं हाथ की मध्यमा अुंगली में सदैव के लिए धारण कर लें।

 

बृहस्पति ग्रह :

सोने के दो चौकोर सामान आकार एवं भार वाले टुकड़े लें, उनके दान का संकल्प लें, तत्पश्चात एक टुकड़े को बहते जल में प्रवाहित कर दें, व दूसरे टुकड़े को सदैव अपने पास रख लें, एवं उसे कदापि अपने से अलग न होने दें।

 

शुक्र ग्रह :

दो सामान आकार एवं भार वाले सफ़ेद मोती लें, उनके दान का संकल्प लें, तत्पश्चात एक मोती को बहते जल में प्रवाहित कर दें व दूसरे मोती को सदैव अपने पास रख लें एवं उसे कदापि अपने से अलग न होने दें।

 

शनि ग्रह :

लोहे अथवा काला नमक के दो चौकोर सामान आकार एवं भार वाले टुकड़े लें, उनके दान का संकल्प लें, तत्पश्चात एक टुकड़े को बहते जल में प्रवाहित कर दें व दूसरे टुकड़े को सदैव अपने पास रख लें एवं उसे कदापि अपने से अलग न होने दें।

 

राहु ग्रह :

दो सामान आकार एवं भार वाले नीलम लें, उनके दान का संकल्प लें, तत्पश्चात एक नीलम को बहते जल में प्रवाहित कर दें व दूसरे नीलम को सदैव अपने पास रख लें एवं उसे कदापि अपने से अलग न होने दें।

 

केतु ग्रह :

दुरंगे पत्थर के दो लगभग सामान आकार एवं भार वाले टुकड़े लें, उनके दान का संकल्प लें, तत्पश्चात एक पत्थर को बहते जल में प्रवाहित कर दें व दूसरे पत्थर को सदैव अपने पास रख लें एवं उसे कदापि अपने से अलग न होने दें।

 

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