8 साल पूर्व
लाल किताब की धारणा के अनुसार कोई भी जातक जो अपनी कुण्डली स्थित ग्रहों अथवा योगों से पीड़ित है उसको अपने कुण्डली फलित के अनुसार सुखी दाम्पत्य जीवन यापन करने हेतु, ग्रह शान्ति के लिए निर्धारित उपाय अथवा टोटके करने तो आवश्यक हैं ही किन्तु साथ ही साथ कुछ निर्धारित दाम्पत्य सम्बंधित नियमों का भी ढृढ़ रूप से पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। इन नियमों का ढृढ़ रूप से पालन करने से कुण्डली स्थित बहुत से दोषों से काफी हद तक बचा जा सकता है। लाल किताब में उल्लेखित दाम्पत्य सम्बंधित कुछ सामान्य नियमों का विवरण निम्नवत हैं।
दाम्पत्य सम्बंधित नियम :-
♦ कन्या एवं वर की जन्म कुण्डली का परस्पर सही प्रकार से ग्रह योग एवं प्रवृत्ति का मिलान करके ही विवाह करें।
♦ मायावी अथवा दुनियावी स्वार्थ को ध्यान में रखकर किया गया विवाह केवल दुःख एवं कष्ट प्रदान करता है।
♦ पति एवं पत्नी परस्पर अहम्, अहंकार की भावना, हीनता, उच्चता, अविश्वास, आदि भावों का त्याग कर ही सुखी दाम्पत्य का आनंद उठा सकते हैं अन्यथा जीवन दूभर एवं अनिश्चित हो जाता है।
♦ पत्नी पर बल प्रयोग करना सर्वनाश का कारण बन सकता है अतः पत्नी के साथ मार पीट न करें।
♦ पत्नी से साथ दिन में सम्भोग न करें। ऐसा करना व्यभिचार के समतुल्य ही माना गया है, चाहे इसे पत्नी की सहमति से ही क्यों न किया गया हो।
♦ पत्नी के मासिक धर्म के समय सम्भोग नहीं करना चाहिए।
♦ अप्राकर्तिक मैथुन नरक में धकेल देता है। अतः इससे बचें।
♦ सेक्स करते समय पति पत्नी के जो भाव होते है, वही भाव प्रवृत्ति बनकर संतान में आते हैं। अतः संतान उत्पत्ति के लिए जब भी दंपत्ति रतिक्रिया करें अपने भाव दैविक एवं शुद्ध रखकर ही करें।
♦ दम्पत्ति में जिस किसी को भी यौन दुर्बलता हो उसका निदान कुशल चिकित्सक के माध्यम से करा लें अन्यथ सम्बन्ध विच्छेदन अथवा दोनों में से किसी एक की मृत्यु हो जाती है।
♦ संतान की प्राप्ति में विघ्न बाधाएं आने पर अथवा मृत शिशु का जन्म होने पर अथवा गर्भस्थ शिशु की मृत्यु हो जाने की स्थिति में सम्पूर्ण विधि विधान एवं तकनीक से क्रियान्वित की गई तंत्र क्रिया अधिक सफल सिद्ध होती है।
♦ अनावश्यक एवं जल्दी बाजी में बिना सोचे समझे किये गए टोने टोटके उलटे भी पड़ सकते हैं। अतः उचित आवश्यकता पड़ने पर ही इनका सहारा लें।
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