4 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में शनि ग्रह सप्तम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक जन्मजात ही शासक प्रवृत्ति वाला होता है एवं बनता भी शासक ही है। जातक समाज का एक सम्मानित व्यक्ति होता है। ऐसे जातक को अकूत धन संपत्ति प्राप्त होती है। घर्म का मार्ग अपनाने पर एवं दूसरों पर उपकार करने पर जातक की धन संपत्ति में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि होती है। गोचर दशा में शनि के प्रथम भाव में आने पर धन संपत्ति में अत्यंत ही वृद्धि होती है। ऐसे जातक को उत्तम एवं पूर्व निर्मित घर का सुख प्राप्त हो इसकी पूर्ण संभावना है। छत्तीस वर्ष की आयु के पश्चात जातक के जीवन में धनवान बनने का उत्तम समय आता है। धन संपत्ति की रक्षा हेतु घर के किसी एकांत स्थान पर मिट्टी के बर्तन को शहद से भरकर रखने पर अपेक्षित परिणाम प्राप्त होता है।
जन्म कुण्डली में शनि ग्रह सप्तम भाव में स्थित होने से जातक के साथ साथ उसकी संतान भी दीर्घायु होती है। ऐसे जातक में कभी कभी द्वेष ईर्ष्या एवं छल कपट की भावना प्रबल रूप से जाग्रत हो जाती है। जातक अत्यंत चतुर स्वभाव का होता है। किसी चरित्रहीन स्त्री से संपर्क रखने से पत्नी एवं संतान पर अशुभ प्रभाव पड़ता है। मांस मदिरा का सेवन करने से धन हानि की पूर्ण संभावना होती है। जातक थोड़े से प्रयास भर से भूत प्रेत की सिद्धि प्राप्त कर लेता है। छत्तीस वर्ष की आयु के पश्चात जातक के पिता एवं पत्नी पर शुभ प्रभाव पड़ता है।
जन्म कुंडली के सप्तम भाव हेतु शनि ग्रह टोटके :
♦ डॉक्टर का पेशा न अपनाएं
♦ दवाई से सम्बंधित व्यापार न करें
♦ काली गाय की सेवा करें
♦ घर में शहद किसी बर्तन में भरकर रखें
♦ चोर व डाकुओं की संगत कदापि न करें
♦ मिट्टी के बर्तन में शहद भरकर किसी निर्जन स्थान में गाढ़ दें
♦ बांस से निर्मित बांसुरी में चीनी भरकर किसी निर्जन स्थान में गाढ़ दें।
नोट : अपने जीवन से सम्बंधित जटिल एवं अनसुलझी समस्याओं का सटीक समाधान अथवा परामर्श ज्योतिषशास्त्र हॉरोस्कोप फॉर्म के माध्यम से अपनी समस्या भेजकर अब आप घर बैठे ही ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं |
© The content in this article consists copyright, please don't try to copy & paste it.