7 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में शनि ग्रह तृतीय भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक को जीवन पर्यन्त धन की अल्पता नहीं रहती है, वस्तुतः नगद धन की यदा कदा अल्पता आ सकती है। जातक अधिक धन खर्च करने वाला होता है। चोरी होने से धन की हानि हो इसकी संभावना रहती है। ऐसा जातक स्वभाव से ही मकान अथवा बिल्डिंग आदि का निर्माण अथवा उनकी मरम्मत के कार्य में सदैव रुचिकर रहता है। ऐसे जातक के घर के अंत में कोई अँधेरी कोठरी अथवा दुछत्ती होने से धन संपत्ति में वृद्धि होती है। घर का मुख्य प्रवेश द्वार यदि दक्षिण अथवा पूर्व दिशा में हो तो जातक के लिए अशुभ फलदायक रहता है।
जन्म कुण्डली में शनि ग्रह तृतीय भाव में स्थित होने से जातक दीर्घ आयु वाला होता है। जातक अत्यंत ही साहसी एवं विवेकी होता है। ऐसा जातक परिचितों के साथ साथ अनजान लोगों की भी सहायता करने वाला होता है। ऐसा जातक जिन व्यक्तियों की सहायता करता है, ऐसे व्यक्ति स्वमं तो निश्चिंत हो जाते हैं किन्तु अन्य व्यक्तियों के कार्यों में बाधा डालते है। ऐसे जातक के उसके भाई एवं बहिनो से सम्बन्ध सामान्य ही रहते हैं। जातक को जीवन में अनेकों बाधाओं से जूझना पड़ सकता है। जातक का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। माता के उत्तम स्वास्थ्य के लिए बहते जल में अक्षत प्रवाहित करें। अक्षत जल में प्रवाहित करना जातक की भाग्य वृद्धि के लिए भी, उत्तम रहता है। संतान को कष्ट हो इसकी संभावना है। घर में सुख शान्ति के लिए कुत्ता पालें। मांस मदिरा का सेवन अशुभ फल देता है।
जन्मपत्री के तृतीय भाव हेतु शनि ग्रह टोटके :
♦ मांस मदिरा का सेवन कदापि न करें।
♦ चावल बहते जल में प्रवाहित करें।
♦ घर के मुख्य द्वार की चौखट में लोहे की कील ठोकें।
♦ काले व सफ़ेद तीन कुत्ते पालें।
♦ स्वर्ण आभूषण धारण करें।
♦ सूर्य, चन्द्रमा व बृहस्पति से सम्बंधित वस्तुएं बहते जल में प्रवाहित करें।
♦ घर के अंतिम भाग में अँधेरी कोठरी का निर्माण कराएं।
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