7 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में शुक्र ग्रह तृतीय भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक को कम परिश्रम करने पर भी अधिक फल प्राप्त हो जाता है। जातक की आय भी अच्छी होती है। जातक को जीवन की सभी सुख सुविधाएं प्राप्त होती हैं जिनका वह आनंद भोगता है किन्तु इन सब के बावजूद वह चैन की नींद नहीं सो पाता। जातक को पैतृक संपत्ति तो प्राप्त होती हैं किन्तु उसका लाभ जातक को नहीं प्राप्त हो पाता है। जातक के मित्र एवं भाई उसके धन का दुरूपयोग करते है। जातक यदि अपने स्वमं के घर का निर्माण करता है तो वह घर जातक के लिए अशुभ फलदायक सिद्ध होता है यहां तक की वह घर उजड़ जाए इसकी भी संभावना रहती है। ससुराल पक्ष के साथ साझेदारी में व्यवसाय करने पर अथवा किसी व्यवसायिक कार्य में उनका सहयोग लेने पर काम बिगड़ जाए इसकी पूर्ण संभावना रहती है। ऐसे जातक के यदि पुत्रों की अपेक्षा कन्या संतान अधिक हों तो जातक के खर्चे अधिक बढ़ जाते हैं। जातक की धन संपत्ति में उसकी आयु में वृद्धि के साथ साथ ह्रास आता चला जाता है। ऐसा जातक अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला होता है। जातक को जीवन पर्यन्त कभी भी चोरी अथवा डकैती का भय नहीं रहता।
जन्म कुण्डली में शुक्र ग्रह तृतीय भाव में स्थित होने से जातक को पिता का सुख लम्बी अवधि तक प्राप्त होता है किन्तु माता के सुख में अल्पता अथवा बाधा के योग है। ऐसे जातक की माता यदि सौतेली हो तो उससे अपेक्षित फल प्राप्त नहीं होता। जातक जीवन में अनेकों तीर्थ यात्राएं करने वाला होता है एवं उसको इन धार्मिक यात्राओं का लाभ भी प्राप्त होता है। जातक का स्वास्थ्य अक्सर खराब ही रहता है। जातक को दुःख एवं अनावश्यक व्यवधान आक्रांत किये रहते हैं। जातक की पत्नी चरित्रवान एवं जीवन पर्यन्त जातक का साथ निभाने वाली होती है। किन्तु जातक अनेकों स्त्रियों के संपर्क में रहने वाला होता है। कई स्त्रियां उस पर मोहित रहती हैं। जातक की पत्नी अदम्य साहसी एवं क्रोधी प्रवृत्ति की होती है। जातक भी उसके सम्मुख नतमस्तक एवं भयग्रस्त रहता है। पत्नी जातक के समस्त कार्यों में उसके कंधे से कन्धा मिलकर चलने वाली होती है एवं हर स्थिति परिस्थिति में जातक का साथ निभाने वाली होती है। ऐसा जातक भाग्यवान होता है।
जन्मपत्री के तृतीय भाव हेतु शुक्र ग्रह टोटके :
♦ ससुराल पक्ष के साथ व्यापार न करें।
♦ चांदी धारण करें।
♦ घर में संगीत नृत्य न करें न ही करने दें।
♦ अपनी पत्नी के साथ सम्पूर्ण रीती अनुसार पुनः विवाह करें।
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