8 साल पूर्व
सुखी गृहस्थ जीवन हेतु लाल किताब अनुसार कुछ प्रमुख उपाय एवं टोटके निम्नवत प्रस्तुत हैं | जातक इन्हे प्रयोग कर अपने वैवाहिक एवं गृहस्थ जीवन को आनंदमयी बना सकते हैं -
♦ घर का निर्माण कराते समय उसमें कुछ कच्चा स्थान अवश्य ही छोड़ें।
♦ जिन घरों में कच्चा स्थान नहीं होता वहाँ लक्ष्मी का निवास नहीं होता एवं विवाहित जीवन का सुख उस घर में नहीं मिलता। ऐसे घरों में शुक्र से सम्बंधित वस्तुओं को घर के किसी एकांत स्थान में रखने से दोष का निवारण होता है।
♦ भोजन करने से पूर्व अपने भोजन में से कुछ भाग निकाल कर गाय, कुत्ते एवं कौए को खिलाएं।
♦ तंदूर की बनी मीठी रोटी साधुजनों एवं कुत्तों को खिलाएं।
♦ जन्म कुण्डली में जो ग्रह शुभ एवं उच्च स्थिति में होते हैं उनसे सम्बंधित वस्तुएं दान नहीं करनी चाहिएं व न ही उन्हें बहते जल में प्रवाहित करनी चाहिएं।
♦ घर के मंदिर में भगवान की मूर्तियां रखना उचित नहीं रहता है। जिन जातकों के सप्तम भाव में गुरु ग्रह स्थित होता है उनके लिए तो यह और भी अधिक हानिकारक सिद्ध होता है। मूर्तियों के स्थान पर कागज़ के छपे हुए चित्र मंदिर में रखना उत्तम रहता है।
♦ दक्षिण मुखी घर में पुरुष सदस्यों को सुख शान्ति नहीं मिल पाती है अतः ऐसे घर में निवास करना अशुभ माना गया है। संभव हो तो ऐसे घर का मुख्य प्रवेश द्वार किसी अन्य दिशा में बनाएं। घर के अंदर गैलेरी बनाकर भी मुख्य प्रवेश द्वार की दिशा बदली जा सकती है।
♦ जिस किसी दंपत्ति की संतान जीवित न रहती हो ऐसे दंपत्ति को अपनी संतान के जन्म दिवस पर नमकीन भोज्य वस्तुएं दूसरों को खिलानी एवं बांटनी चाहिए।
♦ तीव्र स्मृति एवं लायक संतान की प्राप्ति हेतु गणेश जी का पूजन अर्चन करें।
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में शनि ग्रह अष्टम भाव में स्थित होता है उन जातकों को धर्मशालाओं अथवा यात्री निवास का निर्माण न तो स्वमं कराना चाहिए व न ही उसके निर्माण अथवा संचालन में किसी भी प्रकार का सहयोग करना चाहिए। ऐसा करने पर जातक अपना स्वमं के घर से विरक्त हो जाता है व घोर आर्थिक संकट में फंस जाता है।
♦ यदि किसी जातक के घर के किसी भाग में कोई अंधियारी कोठरी हो जिसमें धूप हवा न आती जाती हो तो ऐसी कोठरी अथवा कमरे को ज्यूँ का त्यों पड़ा रहने देना चाहिए। यदि ऐसे कमरे में धुप हवा के लिए रोशनदान अथवा खिड़कियाँ बनवा दिए गए तो धूप हवा के साथ साथ दुर्भाग्य भी घर में प्रवेश कर जाता है।
♦ कुछ पुराने समय के निर्मित घरों में धन गहने छुपाने के लिए अंधियारे गुप्त स्थान बने होते हैं। ऐसे स्थानो को खाली नहीं रखना चाहिए। यदि धन अथवा गहने न रखने हों तो वहाँ कुछ सूखे मेवे रख देने उचित रहते हैं।
♦ जब घर में कोई स्त्री गर्भवती हो तो गर्भधारण के तुरंत पश्चात उसकी कलाई पर लाल धागा बाँध देना चाहिए। प्रसूति होते ही यह धागा खोलकर नवजात की कलाई पर बाँध दें व माता की कलाई पर दूसरा लाल धागा बाँध दें। दोनों माता एवं नवजात की कलाई पर यह धागा अट्ठारह माह तक बंधे रहने देना चाहिए। जिन दंपत्ति की संतान जीवित न रहती हों उन्हें यह उपाय अवश्य ही करना चाहिए।
♦ दो बर्तन लें। एक को दूध से भरें व दूसरे को चीनी से भरें। गर्भवती स्त्री प्रसूति से ठीक पहले उन दोनों बर्तनो को अपने हाथ से स्पर्श करे तो ऐसा करने से गर्भस्थ स्त्री को प्रसूति के समय कष्ट नहीं होता। प्रसूति के तुरंत पश्चात इन दोनों बर्तनो को दूध व चीनी सहित मंदिर में दान कर देना चाहिए।
♦ जिन जातकों की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा ग्रह षष्टम भाव में स्थित होता है उन जातकों को कोई दान पुण्य सम्बंधित कार्य नहीं करने चाहिएं। ऐसे जातकों को भूमिगत जल स्रोत एवं पियाउ नहीं लगवाने चाहिएं व न ही इनके लगवाने में किसी की सहायता करनी चाहिए। भूमिगत जल स्रोत एवं पियाउ लगवाने से जातक बिलकुल कंगाल हो जाता है।
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