7 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक को पैतृक संपत्ति प्राप्त होती है। ऐसा जातक अपने पैतृक कार्य को छोड़कर अपना स्वमं का नया कार्य करता है जिसमें वह अत्यंत सफल रहता है एवं खूब धन भी अर्जित करता है। जातक नए अविष्कार कर उसके माध्यम से लाभ अर्जित करता है। जातक यदि दूध, कपडे एवं पानी से सम्बंधित व्यवसाय करे तो लाभ प्राप्त करता है। ऐसा जातक जीवन काल की पच्चीसवें वर्ष की आयु से पचासवें वर्ष की आयु तक अत्यंत धन लाभ प्राप्त करता है। जातक जीवन पर्यन्त धन का संचय करता रहता है किन्तु उसका आनंद कोई और ही उठाता है। जातक की संतान भी जातक के सामान धनवान होती है। रात्रि के समय कार्य करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है। ऐसा जातक विदेश में निवास करे इसकी पूर्ण संभावना रहती है।
जन्म कुण्डली में सूर्य ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित होने से जातक के घर परिवार पर कोई कष्ट नहीं आता है। सूर्य के नीच स्थिति में आने पर जातक की संतान, माता एवं बहिन पर इसका दुष्प्रभाव प्रमुख रूप से पड़ता है। इस समय बिना किसी समस्या के होते हुए भी जातक का मन उदास एवं अशांत रहता है। जातक को जीवन काल में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जातक के अपने पिता से स्वस्थ सम्बन्ध होते है। माता का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता एवं सदैव ही माता का मन अशांत रहता है। पानी के पियाउ अथवा अन्य जल स्रोत लगवाना जातक को शुभ फल प्रदान करता है। संभवतः ऐसा जातक अपने जीवन काल में फलों का बाग़ लगवाए।
जन्मपत्री के चतुर्थ भाव हेतु सूर्य ग्रह टोटके :
♦ स्वर्ण आभूषण धारण करें।
♦ अंधे व्यक्तियों को भिक्षा दें।
♦ मांस मदिरा का सेवन कदापि न करें।
♦ तांबे का छेकल पैसा हरे रंग की डोरी मैं धारण करें।
♦ पियाउ अथवा जल स्रोत लगवाएं।
♦ घर के प्रमुख प्रवेश द्वार का मुख उत्तर दिशा की ओर रखें।
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