6 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य ग्रह पंचम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक के मजबूत राजनैतिक सम्बन्ध होते हैं। ऐसा जातक स्वभाव से क्रोधी, बहादुर एवं दीर्घायु होता है। जातक समाज के उच्च वर्ग में एक सम्मानित व्यक्ति होता है। ऐसे जातक के जन्म के पश्चात उसके घर परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत होनी प्रारम्भ हो जाती है। जातक को केवल एक पुत्र का सुख प्राप्त होता है। अन्य संतान पुत्री के रूप में प्राप्त होती हैं। कठिन समय में यदि धनवान व्यक्ति सहायता करने से मुह फेर लें तो ऐसे समय जातक को साधू संतो की ओर रुख कर लेना लाभकारी रहता है। यूँ तो जातक का सम्पूर्ण जीवन आराम से व्यतीत होता है किन्तु वृद्धावस्था विशेष रूप से सुख शान्ति से व्यतीत होती है।
जन्म कुण्डली में सूर्य ग्रह पंचम भाव में स्थित होने से जातक अपने माता पिता का सुख लम्बी अवधि तक भोगने वाला होता है। ऐसे जातक की प्रथम पत्नी की मृत्यु संभावित है। दूसरे विवाह से पुत्र संतान पर दुष्प्रभाव पड़ता है। जातक पढ़ाई लिखाई में अव्वल होता है। जातक उदार रोग से पीड़ित रहने वाला होता है। जातक सभी को साथ लेकर चलने वाला होता है।
जन्म कुण्डली के पंचम भाव हेतु सूर्य ग्रह टोटके :
♦ कदापि झूंठ न बोलें।
♦ साले, दामाद व भांजे की सेवा करें।
♦ लाल मुख वाले वानरों की सेवा करें।
♦ अपने वचन का पालन करें।
♦ रीति रिवाजों का अनुसरण करें।
♦ किसी का न तो अहित करें व न ही किसी का अहित चाहें।
♦ पत्नी के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
♦ रसोईघर में चूल्हा पूर्व दिशा की ओर मुख कर रखें।
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