8 साल पूर्व
किसी जातक की लाल किताब जन्म कुंडली विवेचना में द्वादश भाव क्या बतलाता है ? जाने
♦ लाल किताब अनुसार जन्म कुण्डली में स्थित द्वादश भाव का स्वामी ग्रह गुरु है एवं कारक ग्रह गुरु एवं राहु हैं।
♦ द्वादश भाव में राहु गृहफल का ग्रह है एवं बुध राशिफल का ग्रह होता है।
♦ कुण्डली स्थित इस भाव से किसी जातक के खर्चे, हानि, आवास परिवर्तन, कारावास, बंधन एवं मोक्ष के विषय में ज्ञान प्राप्त होता है।
♦ यह भाव घर की दक्षिण पूर्व दिशा से सम्बन्ध रखता है।
♦ जातक के घर के भीतर की रौनक के विषय में ज्ञान प्राप्त होता है।
♦ शयनकक्ष में पति पत्नी के काम सम्बन्ध के विषय में ज्ञान प्राप्त होता है।
♦ इस भाव से शयनकक्ष किस प्रकार का होगा एवं निंद्रा का सुख कितना प्राप्त होगा के विषय में ज्ञान प्राप्त होता है।
♦ पडोसी का मकान कैसा होगा इसी भाव से ज्ञात होता है।
♦ घर में होने वाली बरकत के लिए द्वादश भाव कारक होता है।
♦ यह भाव मस्तिष्क में अचानक उत्पन्न होने वाले विचारों का कारक है।
♦ सम्बंधित जातक के द्वारा दिए गए श्राप एवं आशीर्वाद कितना प्रभावित होगा इसी भाव से ज्ञात होता है।
♦ दूसरों से कितना सम्मान मिलेगा अथवा अपमान एवं दूसरों को सम्बंधित जातक कितना सम्मान देगा इसी भाव से ज्ञात होता है।
♦ जातक के कंजूस अथवा खर्चीला स्वभाव का कारक द्वादश भाव ही है।
♦ जातक को मस्तिष्क एवं अस्थि सम्बंधित रोगों का कारक यही भाव होता है।
♦ ध्यान अथवा योग मार्ग की सफलता एवं असफलता का निर्धारण भी इसी भाव से होता है।
♦ वृद्धावस्था के जीवन काल का कारक द्वादश भाव से ही होता है।
♦ मोक्ष प्राप्ति की संभावना भी द्वादश भाव से ही ज्ञात होती हैं।
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