ज्योतिषशास्त्र : मन्त्र आरती चालीसा

श्री गणेश जी का विघ्नहरण शास्त्रीय मन्त्र एवं साधना विधि प्रभाव सहित

Sandeep Pulasttya

7 साल पूर्व

bhagwan-lord-ganesh-shaastriya-mantra-hindi-astrology-jyotishshastra-hd-image-png

 

शास्त्रीय मन्त्र कई प्रकार के होते है। अक्सर देखने सुनने को मिलता रहता है कि फलां साधु अथवा फकीर, ने एक मन्त्र पढ़ा और रोगी का रोग दूर हो गया। यह कोई जादू नहीं बल्कि शास्त्रीय मन्त्रों का प्रभाव है जिससे साधु अथवा फकीर आमजन को चमत्कृत एवं उपकृत करते रहते हैं। इन मन्त्रों को कोई भी व्यक्ति जप साधना से सिद्ध कर सकता  है। ये अपना प्रभाव सिद्ध होने के पश्चात ही दिखाते हैं। जो व्यक्ति इन्हे सिद्ध कर लेता है वही व्यक्ति इन्हे क्रियाशील कर सकता है। शास्त्रीय मन्त्रों की जप साधना अपेक्षाकृत सरल है एवं इनका प्रभाव प्रबल व अचूक है।

यहाँ हम श्री गणेश जी के शास्त्रीय मन्त्र, उनकी प्रयोग विधि सहित प्रस्तुत कर रहे हैं :-

 

 

श्री गणेश मन्त्र :

साधना विधि :-  निम्न प्रस्तुत मन्त्र का किसी शुभ मुहूर्त में पूर्व दिशा की ओर मुख कर जप प्रारम्भ करें। मन्त्र सिद्धि प्राप्ति हेतु प्रतिदिन 21 माला के हिसाब से लगातार 31 दिनों तक मन्त्र जप का विधान है। जप समाप्ति पर दशांश हवन एवं सामर्थ्य अनुसार दान करना विधि सम्मत होता है।

 

मन्त्र : -

 ‘ओइम् श्रीं ह्रीं ध्रीं क्लीं लुं गं गणपतये।

 वर वर दे सर्व भस्मानय कुरु स्वाहा।’

 

प्रभाव :-   इस मन्त्र के प्रभाव से गणेशजी की कृपा प्राप्त होती है। सारे विघ्न दूर हो जाते हैं एवं सुख संपत्ति में वृद्धि होती है।

 

नोट : अपने जीवन से सम्बंधित जटिल एवं अनसुलझी समस्याओं का सटीक समाधान अथवा परामर्श ज्योतिषशास्त्र  हॉरोस्कोप फॉर्म के माध्यम से अपनी समस्या भेजकर अब आप घर बैठे ही ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं |

 

© The content in this article consists copyright, please don't try to copy & paste it.

सम्बंधित शास्त्र
हिट स्पॉट
राइजिंग स्पॉट
हॉट स्पॉट