ज्योतिषशास्त्र : मन्त्र आरती चालीसा

क्रोधशमन हेतु शाबर मन्त्र प्रयोग विधि सहित

Sandeep Pulasttya

7 साल पूर्व

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शाबर मन्त्रों के आदि रचियता अथवा जनक भगवान् शिव ही हैं। प्राचीन ऋषि मुनि शाबर मन्त्रों के प्रयोग से आमजन के कष्ट निवारण किया करते थे। शिवजी द्वारा रचित शाबर मन्त्रों के पश्चात, उन मन्त्रों के आधार पर कुछ दूसरे शिवभक्त महर्षियों, सन्त-महात्माओं ने भी अलग अलग विचार व उद्द्श्योँ को लेकर अनेकों उसी प्रकार के ही मन्त्रों की रचना की। प्रभाव क्षमता में ये मन्त्र भगवान शिव द्वारा रचित मन्त्रों से कुछ ही कम प्रभाव देते हैं परन्तु हैं ये सब समान ही। शाबर मन्त्रों की विशिष्टता यह है कि इन मन्त्रों को कोई भी, कभी भी, कहीं भी जपकर सिद्ध कर सकता है। ये मन्त्र इतने सरल है व इनको सिद्ध करना भी इतना सरल है की कोई भी आमजन बड़ी आसानी से इन्हे सिद्ध कर लाभान्वित हो सकता है। शाबर मन्त्रों की जप साधना वैदिक मन्त्रों की अपेक्षा सरल है। अक्सर देखा जाता है कि छोटे बड़े साधु संत अथवा फकीर, इन मन्त्रों के प्रयोग से लोगों को चमत्कृत एवं उपकृत करते रहते हैं। शाबर मन्त्र प्रबल रूप से प्रभावी एवं अचूक है।

प्रायः हम देहातों में निरक्षर लोगों को भी चमत्कारिक झाड़ फूंक करते देखते हैं। वह सब इन्हीं शाबर मन्त्रों का प्रभाव ही है। दरिद्र, असभ्य कहे जाने वाले फकीर एवं दूसरी छोटी जातियों के लोग वस्तुतः किसी न किसी शाबर मन्त्र की सिद्धि प्राप्त हैं एवं उसका प्रयोग करके कभी कभी सभ्य, शिक्षित वर्ग को अचंभित कर देते हैं।

शाबर मन्त्र सहस्रों शताब्दियों से अनगिनत व्यक्तियों द्वारा अनुभूत किये गए हैं। इनकी साधना आमजन को वहीं सम्बल प्रदान करती है, जो एक देवता की साधना से प्राप्त किया जा सकता है। जीवन की किसी भी समस्या का, शाबर मन्त्र के जप से निश्चित एवं तीव्र समाधान किया जा सकता है।

यहां हम क्रोधशमन शाबर मंत्र प्रस्तुत कर रहे है :

 

क्रोधशमन शाबर मन्त्र :

मन्त्र - (1)     ओइम् ह्रीं ठीं ठीं क्रोध प्रशमन ह्रीं ह्रीं हां क्लीं सः सः स्वाहां

प्रयोग विधि -  किसी क्रोधित व्यक्ति को शान्त करना हो तब इस मन्त्र को पढ़ते हुए अपने कपड़े जैसे धोती, अंगोछा, लुंगी, कुर्ता आदि पर एक गांठ लगा लें। इस तरह मन्त्र को सात बार पढ़कर कपड़े पर सात गांठें लगायें। फिर वही वस्त्र पहने हुए, उस व्यक्ति के पास जायें। निश्चय ही उसका क्रोध शान्त हो जायेगा। कलह निवारण, शान्ति स्थापना एवं सन्धि प्रस्ताव के समय यह बहुत ही उपयोगी होता है। मन्त्र पढ़ते समत उस व्यक्ति की कल्पना कर लेनी चाहिए, जिसके पास जाना हो।

 

मन्त्र - (2)     ओइम् शान्तं प्रशान्तं सर्वक्रोध प्रशमति स्वाहा।

प्रयोग विधि -  एक लोटा जल लेकर उसको इस मन्त्र से 21 बार अभिमन्त्रित करें, फिर उसी जल से तीन बार मुंह पर छीटे मारकर धोयें। क्रोध शान्त हो जायेगा।

 

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