ज्योतिषशास्त्र : मन्त्र आरती चालीसा

कुंजबिहारी जी की आरती

Sandeep Pulasttya

8 साल पूर्व

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|| कुंजबिहारी जी आरती ||


आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की ॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की,

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की ॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की,

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा;
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की ॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद;
टेर सुन दीन भिखारी की ॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की,
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

 


 

|| Kunjbihari Ji Arti ||
 

Arti Kunjbihari Ki,Shri Giradhar Krishnamuraari Ki .ll
Gale Mein Baijanti Maalaa, Bajaave Murali Madhur Baalaa,l
Shravan Mein Kundal Jhalakaalaa, Nand Ke Anand Nandlala,l
Gagan Sam Ang Kanti Kaali, Radhika Chamak Rahi Aali,l
Latan Mein Thadhe Banamali,
Bhramar Si Alak, Kasturi Tilak, Chandra Si Jhalak;
Lalit Chavi Shyama Pyari Ki.ll
Shri Giradhar Krishnamuraari Ki...

Arti Kunjbihari Ki,Shri Giradhar Krishnamuraari Ki .ll
Kanakmay Mor Mukut Bilasei, Devata Darsan Ko Tarasei l
Gagan So Suman Raasi Barase,
Baje Murchang, Madhur Mridang, Gwaalin Sang;
Atual Rati Gop Kumaari Ki ll
Shri Giradhar Krishnamuraari Ki...

Arti Kunjbihari Ki,Shri Giradhar Krishnamuraari Ki .ll
Jahaan Te Pragat Bhayi Ganga, Kalush Kali Haarini Shri Ganga,l
Smaran Te Hot Moh Bhanga;
Basi Shiv Shish, Jataa Ke Biich, Harei Agh Kiich;
Charan Chhavi Shri Banvaari Ki.ll
Shri Giradhar Krishnamuraari Ki...

Arti Kunjbihari Ki,Shri Giradhar Krishnamuraari Ki .ll
Chamakati Ujjawal Tat Renu, Baj Rahi Vrindavan Benu,l
Chahu Disi Gopi Gwaal Dhenu;
Hansat Mridu Mand, Chaandani Chand, Katat Bhav Phand;
Ter Sun Diin Bhikhaarii Kii ll
Shri Giradhar Krishnamuraari Ki

Arti Kunjbihari Ki,Shri Giradhar Krishnamuraari Ki ll

 


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