8 साल पूर्व
श्री गणेशजी के मन्त्र :-
देवों के देव महादेव अर्थात शिवजी के आशीर्वाद से गणेशजी को देवसमाज में आदिदेवता का स्थान प्राप्त है। प्रत्येक मंगल कार्य का शुभारम्भ करने से पूर्व, सर्वप्रथम इन्हीं की पूजा व स्तुति की जाती है। समाज, धर्म, व्यवसाय, सामान्य जीवन में सम्बन्धित समस्त कार्यों के प्रारम्भ में गणेशजी की पूजा की परंपरा अनादि काल से चली आ रही है। देवोपासना के क्षेत्र में गणेशजी को विघ्न हर्ता एवं बौद्धिक क्षेत्र का पोषक माना जाता है।
कोई भी व्यक्ति प्रत्येक कार्य सफलता के लिए प्रारम्भ करता है, किन्तु समयानुसार उसमें बाधाओं की व असफलता की आशंका भी रहती है। इसलिए विध्नविनाशक गणेशजी की पूजा करके, साधक आश्वस्त हो जाता है कि अब मेरे मार्ग में कोई व्यवधान नहीं आयेगा। श्री गणेशजी उसके निवारण हेतु मुझपर कृपालु हो गये हैं।
यह भी एक प्रत्यक्ष सत्य है कि गणेशजी जहां समस्त प्रकार के विघ्न, उपद्रव एवं आपदा को नष्ट करने में सहज रूप से समर्थ हैं, वहीं वे अपने भक्त के लिए सफलता, कामनापूर्ति, धन धान्य, सुख समृद्धि एवं बुद्धि विवेक के दाता भी हैं।
अग्र लिखित दो अति सरल मन्त्रों में से किसी एक का विधिवत् अथवा दैनिकचर्या के रूप में सहज भाव से, जप करके भक्तजन लाभान्वित हो सकते है। व्यावहारिक जीवन में कोई भी कार्य करते समय गणेशजी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। मन्त्र इस प्रकार है-
मन्त्र :- ओम् श्री गणेशाय नमः।
मन्त्र :- ओम् गं गणपतये नमः।
जप व फल :
इनमें से किसी एक का यदि प्रतिदिन 5000 (पाँच हजार) जप किया जाय और कम से कम 25 दिनों तक निरंतर जप किया जाए, एवं अतिउत्तम फल प्राप्ति हेतु 250 दिनों तक निरंतर जप किया जाए व तदोपरान्त मन्त्र जप गड़ना के अनुसार उसका दशमांश हवन भी संपन्न किया जाय तो गणेशजी की कृपा की अनुभूति अवश्य ही प्रतीत हो जाती है।
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