5 साल पूर्व
|| नवग्रह स्तोत्र ||
जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महद्युतिम्
तमोऽरि सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् |
दधिशणखतुषाराभं क्शीरोदार्णवसंभवम्
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम् |
धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्
कुमारं शक्तिहस्तं च मणगलं प्रणमाम्यहम् |
प्रियङगुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम्
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् |
देवानां च ऋषीणां च गुरुं काज्ञ्चनसंनिभम्
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम् |
हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् |
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्
छायामार्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम् |
अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्यविमर्दनम्
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् |
पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम्
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् |
नवग्रह स्तोत्र जप लाभ :-
नवग्रह स्तोत्र का जप करने से मण्डल में स्थित समस्त नौ ग्रह सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु एवं केतु शांत होते हैं व प्रसन्न होकर जपकर्ता को अपना शुभत्व प्रदान करते हैं |
नोट : अपने जीवन से सम्बंधित जटिल एवं अनसुलझी समस्याओं का सटीक समाधान अथवा परामर्श ज्योतिषशास्त्र हॉरोस्कोप फॉर्म के माध्यम से अपनी समस्या भेजकर अब आप घर बैठे ही ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं |
© The content in this article consists copyright, please don't try to copy & paste it.