4 साल पूर्व
|| नवग्रह स्तोत्र ||
जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महद्युतिम्
तमोऽरि सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् |
दधिशणखतुषाराभं क्शीरोदार्णवसंभवम्
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम् |
धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्
कुमारं शक्तिहस्तं च मणगलं प्रणमाम्यहम् |
प्रियङगुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम्
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् |
देवानां च ऋषीणां च गुरुं काज्ञ्चनसंनिभम्
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम् |
हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् |
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्
छायामार्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम् |
अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्यविमर्दनम्
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् |
पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम्
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् |
नवग्रह स्तोत्र जप लाभ :-
नवग्रह स्तोत्र का जप करने से मण्डल में स्थित समस्त नौ ग्रह सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु एवं केतु शांत होते हैं व प्रसन्न होकर जपकर्ता को अपना शुभत्व प्रदान करते हैं |
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