ज्योतिषशास्त्र : मन्त्र आरती चालीसा

सौभाग्यवर्धिनी अंगूठी निर्माण विधि, सिद्धिकरण एवं प्रभाव

Sandeep Pulasttya

7 साल पूर्व

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सौभाग्यवर्धिनी अंगूठी सुख, समृद्धि एवं धन व धान्य की वृद्धि के लिए धारण की जाती है। इस अंगूठी को बनाने की प्रक्रिया थोड़ी जटिल अवश्य है, किन्तु सौभाग्य बढ़ाने में यह अंगूठी निश्चित रूप से सफल रहती है।

 

निर्माण विधि :-

सौभाग्यवर्धिनी अंगूठी के निर्माण हेतु किसी ऐसे शुभ महीने का चयन करें जिस दिन रविवार होने के साथ साथ पुष्य नक्षत्र भी हो। ऐसे शुभ महूर्त में सुनार से एक अंगूठी बनवाएं, ध्यान रहे कि यह अंगूठी पुष्य नक्षत्र रहते ही बनवानी है ताकि महूर्त रहते ही वह बनकर मिल जाय एवं महूर्त में ही मन्त्र भी सिद्ध हो सकें। अंगूठी तीन धातुओं के निर्धारित अनुपातिक मिश्रण से निर्मित की जायेंगी जिसमें सोना 1 रत्ती, चाँदी 12 रत्ती एवं तांबा 16 रत्ती भार का लगा होगा। वस्तुतः अंगूठी का कुल भार 29 रत्ती होना अवश्यक है।

अंगूठी सिद्ध करने के लिए प्रातः स्नान आदि से निवृत होकर किसी एकान्त व शुद्ध स्थान पर बैठ जाएँ व भगवान् शिव की प्रतिमा अपने सम्मुख रख लें। शिवजी को स्नान कराकर चन्दन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप से पूजा अर्चना करें, तदोपरांत अगरबत्ती सुलगाकर रख लें एवं अंगूठी को पंचामृत से धोकर, शिव प्रतिमा के पास रख दें। अब निम्नवत दिए गए तीनों मन्त्र दिए गए क्रम अनुसार पढ़ें। एक बार तीनों मन्त्रों का पाठ करने के पश्चात अंगूठी पर चन्दन का तिलक लगाएं। फिर से तीनों मन्त्रों को इसी क्रमानुसार 108 बार पढ़ें एवं हर बार समाप्ति पर अंगूठी को चन्दन का तिलक करते रहें।

 

सिद्ध करने के लिए जप मन्त्र :-

(1)   भक्तामर प्रणतमौलिमणि प्रभाणामुद्द्योतकं दलित पाप तमो वितानम्।

   सम्यक् प्रणम्य जिनपादयुगं युगादावलम्बनं भवजले पततां जनानाम्।।

(2)   ओइम् ह्नीं नमो अरहंतानं नमो जिनानं ह्नां ह्नीं ह्नू ह्नौं ह्नः

   असिआ उ सा अप्रतिचक्रे, फट् विचक्राय स्रौं स्रौं स्वाहा।

(3)   ओइम् ह्नां ह्नीं ह्नू श्रीं क्लीं ब्लूं क्रौं क्रौं ह्नीं नमः।

 

मन्त्र जप 108 बार पूरे हो जाने पर सिद्ध हुई सौभाग्यवर्धिनी अंगूठी को हाथ जोड़कर उठा लें व इसे शिव प्रतिमा से स्पर्श कराकर दाहिने हाथ की तर्जनी में धारण कर लें। भोजन के समय इसे उतारकर बायें हाथ में धारण कर लेना चाहिए। भोजनोपरान्त हाथ धोकर फिर दाहिनी उंगली में धारण कर लें। ध्यान रखें कि जब इस अंगूठी को धारण किये हुए हों तब ऐसी स्थिति में, कोई अपवित्र वस्तु, निन्दित कार्य, हिंसा आदि करना निषेध है।

 

प्रभाव :-

यह सौभाग्यवर्धिनी अंगूठी धन, धान्य एवं वैभव मैं वृद्धि करती है व यह दारिद्रय विनाशक है। भौतिक बाधायें, वायु विकार, दुष्टात्माओं का प्रकोप इससे शान्त हो जाता है। यह अंगूठी चमत्कारिक रूप से सौभाग्य में वृद्धि करती है। इसे धारण कर कुमारी कन्यायें एवं गृहणियां भी सुख सौभाग्य का लाभ प्राप्त करती हैं।

 

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