5 साल पूर्व
श्री शिवरुद्राष्टक स्तोत्र के लाभ :-
श्री शिवरुद्राष्टक स्तोत्र के जाप से देवों के देव आदिदेव भगवान् शिव को प्रसन्न किया जा सकता हैं | श्री शिवरुद्राष्टक स्तोत्र का नित्य जाप करने से जातक की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, मन को असीम शान्ति प्राप्त होती हैं, उत्तम स्वास्थ्य एवं धन, समृद्धि की प्राप्ति होती हैं, जातक का कभी अमंगल नहीं होता | श्री शिवरुद्राष्टक जाप के लाभ शब्दों में नहीं बांधे जा सकते हैं |
|| रुद्राष्टक ||
नमामीश मीशन निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेद स्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाश माकाशवासं भजेहम् ॥
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतो हम् ॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं मनोभूत कोटि प्रभा श्रीशरीशम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारुगंगा लस्त्फाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगाम् ॥
चलत्कुंउलं भ्रू सुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मगाधीश चर्माम्बरं मुउमालं प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
प्रचंड प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं अखंडं आजं भानुकोटि प्रकाशम् ।
त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं भजेहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥
कल्याण कल्पान्तकारी सदा सज्जनानंद दाता पुरारी ।
चिदानंद सदोह मोहापकारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
न याद् उमाना पिदारविदं भजंतीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ॥
न जनामि योगं जपं नैव पूजां नतोहं सदा सर्वदा शंभु तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघतातप्यामानं प्रभोपाहि आपन्नमीश शंभो ॥
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं बिंप्रेण हरतोषये
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ll
इति श्री गोस्वामी तुलसिदास कृतं श्रीरुद्राष्टकं संपूर्णम ll
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