ज्योतिषशास्त्र : हस्तरेखा एवं अंकज्योतिष

मूलांक आठ का फलादेश एवं महत्व

Sandeep Pulasttya

7 साल पूर्व

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अंक आठ का निर्माण दो शून्यों से मिलकर हुआ है। इसका निर्माण इस प्रकार हुआ है कि एक के ऊपर दूसरा शून्य चढ़ा रहता है। अतः ये एक प्रकार से दो चक्र हैं, जो संयुक्त रूप में एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। जिन व्यक्तियों का मूलांक आठ होता है वे व्यक्ति आत्मनिर्भर होते हैं एवं ऐसे व्यक्तियों को किसी अन्य की सहायता व साथ की आवश्यकता नहीं होती है अपितु दूसरे व्यक्तियों को ही इनकी आवश्यकता रहती है। 

जिन व्यक्तियों का मूलांक आठ होता है वे व्यक्ति कुशल व्यापारी होते हैं एवं व्यवसायिक एवं आर्थिक रूप में सफलता अर्जित करते हैं। इन्हें अपनी योजनाओं की अमली जामा पहनाना आता है। ऐसे व्यक्ति कार्य प्रबन्धक, शासक अथवा किसी संस्थान के प्रमुख के रूप में सफल सिद्ध होते हैं। इनमें कार्य करने की अदभुद क्षमता विधमान होती है। ये दूसरों से जो कुछ भी इच्छा करते हैं, वह इन्हें प्राप्त हो जाता है।

जिन व्यक्तियों का मूलांक आठ होता है उनके विरोधी भी उनकी परियोजनओं को अवरोधित अथवा निरुतसाहित नहीं कर पाते। बल्कि इसक कारण से इनमें और अधिक परिश्रम करने एवं उसमें वास्तविकता लाने की होड़ सी लग जाती है। ऐसे व्यक्ति जीवन यापन हेतु उच्च प्रशासकीय, सैन्य अथवा राजनैतिक क्षेत्र के चुनाव को प्राथमिकता देते हैं।

मूलांक आठ वाले व्यक्तियों का इनकी कार्य निष्पादन क्षमता व योग्यता को देखते हुए आज  के इस आधुनिक युग में अत्यधिक महत्तव है। ऐसे व्यक्ति विश्वसनीय उधमी भी होते हैं।

जिन व्यक्तियों का मूलांक आठ होता है वे दूसरे व्यक्तियों को उनके धन एवं सफलता को आधार बना तौलते हैं। परन्तु इन चीजों में इनका स्वमं का कोई विश्वास नहीं होता। ऐसे व्यक्ति धन मात्र अपना सामाजिक स्तर स्थापित करने हेतु अर्जित करते हैं। भौतिक सुख प्राप्ति हेतु ये धन लोलुप नहीं होते हैं। अपने पीछे लोगों की भीड़ लगाए रखने से इनका उद्देश्य अपने अस्तित्व एवं उपलब्धियों की पहचान मात्र स्थापित करना भर है।

आठ का मूलांक सफलता का प्रतीक होता है। यह विदेशी मुद्रा डालर ($) का भी प्रतीक अंक है। यह अंक शान्ति, प्रगति एवं सम्पन्नता का सन्देश देता है। जिन व्यक्तियों का मूलांक आठ होता है वे अत्यधिक ईर्षालु प्रवृत्ति के होते है। इनकी यह प्रवृत्ति विध्वंस अथवा विनाश का कारण भी बन जाती हैं। आठ मूलांक वाले व्यक्तियों को चाहिए की वे अपने हृदय को विशाल  बनाये एवं अपने हृदय में उच्च विचारों का ही संचार करें।

 

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