ज्योतिषशास्त्र : वास्तुशास्त्र एवं फेंगशुई

अच्छी निंद्रा हेतु वास्तु अनुकूल दिशा

Sandeep Pulasttya

7 साल पूर्व

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वास्तु शास्त्र में शयन कक्ष में सोने हेतु वास्तु सम्मत अनुकूल दिशा के परामर्श व नियम दिए गए हैं। उनमें से कुछ प्रमुख अंशों की विवेचना निम्नवत की जा रही है -

 

वास्तु शास्त्र के मतानुसार शयन कक्ष में सोते समय यदि सिर दक्षिण दिशा में एवं पैर उत्तर दिशा में हों तो नींद अच्छी आती है, बुरे स्वप्न नहीं आते एवं सुबह आँख खुलने पर व्यक्ति स्वमं को तरोताज़ा महसूस करता हैं। वस्तुतः मानव देह एक चुम्बक की भाँति कार्य करती है। सिर इस चुम्बक का उत्तरी ध्रुव व पैर दक्षिणी ध्रुव समझे जाते हैं। जब हम उत्तर दिशा की ओर सिर व दक्षिण दिशा की ओर पाँव करके सोते हैं तो हमारे शरीर की चुम्बक का उत्तरी ध्रुव अर्थात् हमारा सिर पृथ्वी की चुम्बक के उत्तरी ध्रुव की तरफ़ हो जाता है। इसके फलस्वरूप प्रतिकर्षण उत्पन्न होता है, जिससे हमें बेचैनी होती है, नींद ठीक नहीं आती और सुबह उठने पर हम तरोताज़ा महसूस नहीं करते।

शयन कक्ष में बिस्तर के सिरहाने खिड़की, दरवाज़ा, शैल्फ या अलमारी नहीं होने चाहिए। सिरहाने के पीछे ठोस दीवार होनी चाहिए। सोने वाले के पाँव भी दरवाजे के सामने नहीं होने चाहिए।

 

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