8 साल पूर्व
निंद्रा हेतु वास्तु सम्मत स्थिति :
वास्तु शास्त्र में फलदायी निंद्रा हेतु विभिन्न स्थितियां बतायी गई है। तदानुसार यदि कोई व्यक्ति दक्षिण दिशा की ओर सिर एवं उत्तर दिशा की ओर पैर करके सोता है तो ऐसा व्यक्ति सुख, शान्ति एवं समृद्धि की प्राप्ति करता है। जो व्यक्ति पूर्व दिशा की ओर सिर एवं पश्चिम दिशा की ओर पैर करके सोता है, ऐसे व्यक्ति को सोने से मानसिक शान्ति की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति उत्तर दिशा की तरफ सिर तथा दक्षिण दिशा की तरफ पैर करके सोना बीमारी और बेचैनी का कारण माना गया है।
भोजन पकाने हेतु वास्तु सम्मत स्थिति :
वास्तु शास्त्र में रसोईघर में भोजन पकाने हेतु वास्तु सम्मत दिशा के सम्बन्ध में परामर्श दिया गया है की भोजन पकाने वाले व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। किन्तु यदि रसोईघर का निर्माण इस प्रकार से नहीं है कि रसोइये का मुख पूर्व दिशा की ओर रहे तो मुख दक्षिण दिशा की ओर रखना उचित रहता है। पश्चिम दिशा अथवा उत्तर दिशा की ओर मुँह करके खाना पकाना वास्तु सम्मत नहीं है अर्थात वास्तु शास्त्र ने इसकी अनुमति नहीं दी है।
भोजन ग्रहण करने हेतु वास्तु सम्मत स्थिति :
वास्तु शास्त्र अनुसार जो व्यक्ति पूर्व दिशा की और मुख करके भोजन ग्रहण करता है वह नीरोगी एवं दीर्घायु की प्राप्ति करता है। जो व्यक्ति पश्चिम दिशा की ओर मुख भोजन ग्रहण करता है उसे स्वास्थ्य की हानि होती है। जो व्यक्ति उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन ग्रहण करता ऐसे व्यक्ति को जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं रहती। वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन ग्रहण करना वर्जित किया गया है। जो व्यक्ति दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन ग्रहण करता है ऐसे व्यक्ति का स्वभाव नकारात्मक होने लगता है। वास्तु शास्त्र अनुसार भोजन कक्ष का निर्माण घर के पूर्वी अथवा पश्चिमी भाग में उचित बताया गया है।
अध्ययन करने हेतु वास्तु सम्मत स्थिति :
वास्तु शास्त्र में अध्ययन करने वाले व्यक्ति को अध्ययन करते समय उत्तर-पूर्व दिशा, उत्तर दिशा अथवा पूर्व दिशा की ओर मुख रखने का परामर्श दिया गया है। इन दिशाओं की ओर मुख कर अध्ययन करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
स्नान एवं शौच करने हेतु वास्तु सम्मत स्थिति :
वास्तु शास्त्र की मान्यता अनुसार स्नान के समय व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा की ओर रहना चाहिए एवं शौच के समय कमोड पर उत्तर दिशा अथवा ईशान कोण अर्थात उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठने से छोटी-मोटी बीमारियाँ आक्रांत नहीं करती है।
व्यवसाय पर बैठने हेतु वास्तु सम्मत स्थिति :
व्यवसाय आदि करते समय व्यक्ति को वास्तु शास्त्र की मान्यता अनुसार उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए क्योंकि उत्तर दिशा पर धन के देवता कुबेर का वास एवं आधिपत्य होता है।
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