8 साल पूर्व
हिन्दी मास व उनकी नामावली:-
मास बारह प्रकार के होते हैं जिनके हिन्दी नाम इस प्रकार है-
चैत्र, बैसाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ एवं फाल्गुन।
हिन्दी वार व उनकी नामावली :-
वार सात होते हैं। वारों के हिंदी नाम निम्न प्रकार है-
रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार एवं शनिवार।
हिन्दी नक्षत्र व उनकी नामावली :-
एक से अधिक तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं। वस्तुतः आकाश मण्डल की ओर देखने पर अश्व, शकट, सर्प, गज आदि के आकार सादृश तारा पुंज दिखाई देते हैं। इन तारा पूंज को ही नक्षत्र कहते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सम्पूर्ण आकाश मण्डल को सत्ताइस भागों में विभक्त कर दिया है और प्रत्येक भाग का नाम एक नक्षत्र रख दिया है।
सत्ताईस नक्षत्रों की नामावली निम्न प्रकार है :
1. अश्विनी, 2. भरणी, 3. कृत्तिका, 4. रोहिणी, 5. मृगशिरा, 6. आद्र्रा, 7. पुनर्वशु, 8. पुण्य, 9. अश्लेषा, 10. मघा, 11. पूर्वाफाल्गुनी, 12. उत्तरा फाल्गुनी, 13. हस्त, 14. चित्रा, 15. स्वाती, 16. विशाखा, 17. अनुराधा, 18. ज्येष्ठा, 19. मूल, 20. पूर्वाषाढ़ा, 21. उत्तराषाढ़ा, 22. अभिजित्, 23. श्रवणा, 24. घनिष्ठा, 25. शतभिषा, 26. पूर्वा भाद्र पद, 27. उत्तराभाद्रपद।
हिन्दी योग व उनकी नामावली :-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल सत्ताईस योग हैं, जो सूर्य एवं चन्द्रमा के परस्पर सम्बन्ध से बनते हैं। सूर्य एवं चन्द्रमा के स्पष्ट स्थानों को जोड़कर एवं उनकी कलाएं बनाकर उसमें 800 का भाग देने पर गत योगों की संख्या निकल आती है। जो शेष बचता है, उससे यह ज्ञात किया जाता है कि वर्तमान योग की कितनी कलाएं बीत गई हैं। शेष को 800 से घटाने पर वर्तमान योग की गम्यकलाएं आ जाती हैं।
सत्ताईस योगों की नामावली निम्न प्रकार है :
1. विष्कम्भ, 2. प्रीति, 3. आयुष्मान, 4. सौभाग्य, 5. शोभन, 6. अतिगण्ड, 7. सुकर्मा, 8. घृति, 9. शूल, 10. गण्ड, 11. वृद्धि, 12. ध्रुव, 13. व्याघात, 14. हर्षण, 15. वज्र, 16. सिद्धि, 17. व्यतीपात, 18. वरीयान्, 19. परिधि, 20. शिव, 21. सिद्ध, 22. साध्य, 23. शुभ, 24. शुक्ल, 25. ब्रह्म, 26. ऐन्द्र, 27. वधूति।
हिन्दी करण व उनकी नामावली :-
तिथि के आधे भाग को करण कहते हैं, अर्थात् एक तिथि में दो करण होते हैं। कुल 11 (ग्यारह) करण हैं।
ग्यारह करणों की नामावली निम्न प्रकार हैं-
1. वव, 2. वालच, 3. कौलव, 4. तैतिल, 5. गर, 6. वाणिज, 7. विष्ट, 8. शकुनि, 9. चतुष्पद, 10. नाग और 11. किस्तुघ्न।
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