ज्योतिषशास्त्र : वैदिक पाराशर

मंगल ग्रह का द्वादश राशियों पर प्रभाव फलादेश

Sandeep Pulasttya

8 साल पूर्व

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किसी जातक के जन्मांग चक्र को कोई भी ग्रह दो प्रकार से प्रभावित करता है, एक तो राशिगत व दूसरा भावगत प्रभाव। जन्मांग चक्र में क्रमवार 12 राशियां पड़ती हैं। जिस राशि में जो ग्रह उपस्थित रहता है, वो ही उसके राशिगत प्रभाव का कारण बनता है।

इसी प्रकार जन्म कुण्डली में 12 भाव होते हैं, प्रथम भाव को लग्न भाव माना गया हैं। इन भावों के ग्रह स्वामी भी होते हैं एवं ये गृह अपना भाव स्थल छोड़कर अनीस भाव में भी चले जाते हैं, एक ही भाव में दो या दो से अधिक गृह भी स्थित हो सकते हैं। जो ग्रह जिस भाव में होता है उसी के अनुसार फलित प्रदान करता है।

 

यहां हम मंगल ग्रह का द्वादश राशियोँ के अनुरूप पड़ने वाले शुभ-अशुभ राशिगत प्रभाव की विवेचना प्रस्तुत कर रहे हैं -

 

मेष राशि :

इस राशि में मंगल ग्रह के विधमान होने से सम्बंधित जातक दानी, धनवान, राज आज्ञा पालक, सत्यवक्ता, शूरवीर, नेता, साहसी, फौज या पुलिस में नौकरी करने वाला तथा साहस एवं स्फूर्ति के कारण यश तथा पदोन्नति प्राप्त करता है। ऐसा जातक निश्चित ही ख्याति अर्जित करता है। क्रोधी स्वभाव की अधिकता के कारण ऐसा जातक अपना बना बनाया काम बिगाड़ लेता है, जिसका बाद में बहुत पश्चाताप भी करता है। ऐसा जातक शत्रुाओं पर विजय अवश्य ही प्राप्त करता है।

 

वृष राशि :

इस राशि में मंगल ग्रह स्थित हो तो ऐसा जातक झगड़ालू, प्रवासी, भक्ति भावना से युक्त, पुत्र से द्वेष व मतभेद रखने वाला, संतान सुख से वंचित तथा शीघ्र क्रोधित हो जाने वाली प्रवृत्ति का होता है। रोगी पत्नी से त्रस्त हो ऐसा जातक पर स्त्री के प्रति आकर्षण भाव रखने लगता है।

 

मिथुन राशि :

इस राशि में मंगल ग्रह के विधमान होने से सम्बंधित जातक प्रवासी, सुखी, शिल्पकला में दक्ष, भ्रमण प्रिय, पारिवारिक लोगों से वैचारिक मतभेद रखने वाला, पिता के सुख से वंचित रहता है अथवा अल्प सुख प्राप्त होता है। मिथुन राशि में मंगल यदि शुभ स्थिति में हो तो ऐसा जातक अनेक कलाओं का ज्ञाता तथा संसार में प्रसिद्धि तथा यश प्राप्त करता है।

 

कर्क राशि :

इस राशि में मंगल ग्रह के विधमान होने से सम्बंधित जातक सेवक, दीन दुखी, रोगी, पत्नी के वियोग में दुःखी रहने वाला, सुख की कामना रखने वाला होता है। ऐसा जातक शत्रु पक्ष से पीड़ित रहता है। कर्क राशि में मंगल ग्रह के विधमान होने से जातक की संतान कम होती हैं अथवा बहुत यत्न व इंतज़ार के पश्चात संतान सुख की अनुभूति हो पाती हैं।

 

सिंह राशि :

इस राशि में मंगल ग्रह स्थित हो तो ऐसा जातक परोपकारी, स्नेहशील, ईश्वर के प्रति भक्ति भाव रखने वाला, धार्मिक प्रवृत्ति वाला, सदाचारी, शूरवीर होता है। ऐसे जातक के पुत्र तेजस्वी होते हैं, मित्रों से सदा सहयोग प्राप्त करता है, न्यायालय सम्बंधित कार्यों में विजय प्राप्त करता है एवं दाम्पत्य जीवन से सुख व संतुष्टि प्राप्त करने वाला होता है।

 

कन्या राशि :

इस राशि में मंगल ग्रह के विधमान होने से सम्बंधित जातक शिल्पकार होता है। अपनी व्यवहार कुशल प्रवृत्ति के कारण ऐसे जातक के अनेकों मित्र होते हैं। ऐसा जातक लोकमान्य व पापभीरू किस्म का होता है। समाज व परिवार का नेतृत्व करने के कारण धन के लिए संघर्ष भी करना पड़ता है।

 

तुला राशि :

इस राशि में मंगल ग्रह के विधमान होने से सम्बंधित जातक कामुक स्वभाव से युक्त, पराये धन व संपत्ति को हड़पने वाला, भ्रमण प्रिय व सफल वक्ता होता है। ऐसा जातक कुटिल व धूर्त प्रवृत्ति का होता है, जिसके कारण उसका दाम्पत्य जीवन सुख से वंचित रहता है एवं इस प्रवृत्ति के कारण ही सज्जन व्यक्तियों से उसके वैचारिक मतभेद भी हो जाते है।

     

वृश्चिक राशि :

इस राशि में मंगल ग्रह के विधमान होने से सम्बंधित जातक दुराचारी प्रवृत्ति वाला तथा चोरों का मुखिया होता है। ऐसा जातक पत्नी व संतान सुख से युक्त होता है। ऐसा जातक व्यवसाय, खेती तथा बागवानी जैसे कार्यों से भी धन अर्जित करता है।

 

धनु राशि :

इस राशि में मंगल ग्रह के विधमान होने से सम्बंधित जातक बहुत परिश्रमी, धार्मिक प्रवृत्ति वाला, क्रूर व स्वभाव से कठोर तथा विजेता होता है दुर्घटनायें ऐसे जातक को अकस्मात आक्रांत करती हैं। ऐसा जातक स्त्री का प्रेम व साथ पाने हेतु सदैव प्रयासरत रहता है। जातक की पत्नी भी सुंदर, सुशील, पतिव्रता तथा गृहकार्य में दक्ष होती है।

 

मकर राशि :

इस राशि में मंगल ग्रह के विधमान होने से सम्बंधित जातक ख्याति प्राप्त लोकप्रिय व महत्त्वाकांक्षी राजनेता अथवा सामाजिक कार्यकर्ता होता है। ऐसा जातक ऐश्वर्यशाली, राजा तुल्य शूरवीर व पराक्रमी, सर्वत्र विजयी होता है एवं उसका जीवन मकान, वाहन, वैभव, दाम्पत्य सुख एवं भोग विलास से परिपूर्ण होता है।

 

कुंभ राशि :

इस राशि में मंगल ग्रह के विधमान होने से सम्बंधित जातक नास्तिक, आचारहीन, मत्सवृत्ति, व्यसनी, धन नाशक, लोभी, कुटुंब विरोधी, दुष्ट तथा नीच प्रकृति का होता है। उसे पुत्र सुख का अभाव रहता है। परिवार से उसके मतभेद बने रहते हैं।

 

मीन राशि :

इस राशि में मंगल ग्रह के विधमान होने से सम्बंधित जातक हठी, धूर्त, भाइयों से ईर्ष्या रखने वाला, मांत्रिक, बातूनी, नास्तिक, रोगी, प्रवासी तथा मनोविकार से पीडि़त होता है। ऐसे जातक को जीवन पर्यन्त सुख चैन का आभाव रहता है।

 

 

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