ज्योतिषशास्त्र : वैदिक पाराशर

मकर लग्न के जातक का फलादेश

Sandeep Pulasttya

7 साल पूर्व

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जन्म कुण्डली का पहला खाना सम्पूर्ण कुण्डली का सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाग होता है। ज्योतिष भाषा में इस खाने को प्रथम भाव अथवा लग्न भाव भी कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य किसी भी जातक की जन्म कुण्डली में लग्न एवं लग्नाधिपति अर्थात लग्नेश की स्थिति को देख कर ही सम्बंधित जातक के रंग, रूप, शारीरिक गठन, आचरण, स्वभाव एवं स्वास्थ्य आदि के सम्बन्ध में विवेचना कर देते हैं। कुछ अनुभवी एवं ज्ञानी ज्योतिषाचार्य तो किसी भी जातक की आभा, मुखमण्डल, आदतें एवं व्यवहार को देखकर ही सम्बंधित जातक के जन्म लग्न का एकदम सटीक पता लगा लेते हैं।

किसी जातक की जन्म कुण्डली का फलादेश बहुत कुछ उस जातक की कुण्डली के लग्न भाव की राशि, लग्नेश एवं उसकी स्थिति, लग्न भाव में स्थित ग्रह, लग्न भाव पर दृष्टि डालने वाले ग्रह, ग्रहों की युति तथा लग्न भाव की दृष्टि आदि से प्रभावित होता हैं। लोक प्रकृति, भौगोलिक एवं सामाजिक स्थितियाँ भी सम्बंधित जातक के कुण्डली फलादेश को प्रभावित करती हैं। यहां हम मकर लग्न में जन्मे जातक का फलादेश प्रस्तुत कर रहे हैं-

 

मकर लग्न :

मकर लग्न में जन्मे जातक यदि व्यापार करें तो इन्हें असफलता का मुंह देखना पड़ता है एवं लगातार असफल होने के कारण इनमें हीन भावना भी आ जाती है। इतने पर भी यदि इन्हें कोई इनका दोष बतला दे तो ये उस व्यक्ति पर अत्यंत क्रुद्ध हो जाते हैं एवं अपना संयम तो खो ही देते है साथ ही साथ वाणी से भी तीर की भाँती चुभने वाले शब्द कह देते हैं। ये स्वभाव से अडि़यल एवं जिद्दी होते हैं। जो बात एक बार इनके दिमाग में घर कर जाए उसे कर के ही मानते हैं चाहे उस कार्य को करने में कितनी ही हानि क्यों न उठानी पडें, उसकी भी परवाह नहीं करते। मकर लग्न में जन्मे जातक का भाग्योदय 25, 33, 35, 36 और 42वें वर्ष में होता है। वृष, कर्क, कन्या लग्न वाले व्यक्तियों से इनका अच्छा ताल मेल बैठ जाता है।

मकर लग्न में जन्मे जातक की देह दुबली पतली होती है, इनका कद मध्यम ऊंचाई का होता है, एवं इनका वर्ण अधिकांशतः श्यामल ही होता है। इनकी देह सुव्यवस्थित रूप से गठित नहीं होती। प्रायः शरीर का कोई भाग अनुपात में कम अथवा अधिक होता है। मकर लग्न में जन्मे जातक के नेत्र सुन्दर होते हैं, ये जातक स्वभाव से गंभीर एवं मननशील होते हैं। आध्यात्म इन्हे अपनी ओर आकर्षित करता है। अपनी व्यवहार कुशलता के कारण सफलता प्राप्त करने वाले होते हैं। ऐसे जातक सदैव सतर्क रहने वाले एवं कुशल नीतिज्ञ होते हैं। धैर्य एवं संयम इनमें कूट कूट कर समाहित होता है। ये जातक अत्यंत महत्वाकांक्षी भावना लिए होते हैं। अनेक विघ्न बाधाओं के होते भी मेहनती एवं कार्यशील रहते हैं। स्वभाव से बेहद उग्र होते है, किन्तु समय देखकर ही ऐसे जातक उग्रता का प्रदर्शन करते हैं। इनका दाम्पत्य जीवन भी सुखमय एवं संतुष्ट नहीं कहा जा सकता, पति-पत्नी एक छत के नीचे भले ही रहें, किन्तु उनके मध्य वैचारिक मतभेद सदैव बने रहते हैं, एवं एक दूसरे से रूठना मनाना सदा ही लगा रहता है। ऐसे जातक अपनी आत्म प्रशंसा में विश्वास नहीं रखते।

ऐसे जातकों में वायु तत्त्व की प्रधानता रहती है। इनका व्यक्तित्व भी रहस्यमयी होता है, इनको समझना अथवा बूझना सरन नहीं होता। इनका कोई कार्यक्रम निश्चित नहीं रहता, अपनी मर्जी से मन में जब, जो आ जाए तब वही करना प्रारम्भ कर देते हैं।

 

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