2 साल पूर्व
अक्षय तृतीया पर श्री बांके बिहारी जी के दिव्य चरण दर्शन, वर्ष में बस एक बार मिलता है भक्तों को ऐसा सौभाग्य।
कान्हा की नगरी वृंदावन स्थित सप्त देवालयों में अक्षय तृतीया पर्व की तैयारियां जोरों चलती हैं। यहां के बांके बिहारी मंदिर में ठाकुरजी को शीतलता प्रदान करने के लिए चंदन का लेप लगाया जाता और इसके लिए सेवायतों द्वारा बहुतायात मात्रा चंदन की घिसाई की जाती है।
बड़ी संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु
वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर के दर्शनों के लिए यूं तो हर रोज हजारों श्रद्धालु देश के कौने-कौने से यहां पहुंचते हैं, लेकिन अक्षय तृतीया पर यहां साल में केवल एक बार ही ठाकुरजी के चरण दर्शन होते हैं। ऐसे में कोई भी श्रद्धालु अपने आराध्य के चरणों के दर्शन के अद्भुत पलों को छोड़ना नहीं चाहता और बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। मान्यता है कि प्रभु के चरणों के दर्शन करने से भक्तों को विशेष कृपा मिलती है। साथ ही इस दिन भगवान के चरणों पर चंदन का लेप लगाया जाता है।
इसलिए नहीं होते चरणों के दर्शन
पौराणिक कथा के अनुसार, बांके बिहारीजी का अद्भुत रूप साक्षात राधा और कृष्ण का सम्मिलित रूप है। स्वामी हरिदासजी ने इन्हें अपनी भक्ति और साधना से प्रकट किया था। करीब पांच सौ साल पहले जब निधिवन में बांके बिहारीजी प्रकट हुए थे तब हरिदासजी दिनभर अपने ठाकुरजी की सेवा करते थे। ठाकुरजी की सेवा करते-करते आर्थिक संकट आ गया था। एक दिन स्वामीजी जब उठे तब उन्होंने ठाकुरजी के चरणों में एक स्वर्ण मुद्रा देखी। इस मुद्रा से उन्होंने ठाकुरजी की सेवा व भोगराग की व्यस्था की। इसके बाद जब भी पैसों की आवश्यकता पड़ती, तब ठाकुरजी के चरणों से एक स्वर्ण मुद्रा निकल आती। इसलिए ठाकुरजी के चरणों के दर्शन नहीं करवाए जाते थे। तब केवल अक्षय तृतीया के दिन भक्तों को ठाकुरजी के चरणों के दर्शन करवाए जाने लगे, तभी से यह परंपरा चलाई जा रही है। मान्यता है कि ठाकुरजी के चरणों के दर्शन करने से हर मनोकामना पूरी होती है।
चरणों में लगाया जाता है चंदन का लेप
मंदिर की चंदन कोठरी में चंदन की घिसाई की जाती है। मंदिर के सेवायत पुजारी बांके बिहारी जी को लगने वाले चंदन को बड़ी सी शिला पर प्रतिदिन एक हफ्ते तक घिसते हैं। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में भगवान को लगने वाला चंदन अब बेंगलुरु और मैसूर से भी मंगाया जा रहा है क्योंकि यहां अच्छी क्वालिटी का चंदन मिलता है। इस चंदन में गुलाब जल मिलाकर घिसाई की जाती है। अक्षय तृतीया पर इसी चंदन को भगवान के चरणों में अर्पित किया जाता है। साथ ही ठाकुर बांके बिहारी को चंदन का लेपन भी किया जाता है एवं चंदन का लड्डू भी रखा भोग स्वरुप रखा जाता है।
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